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उत्तर भारत में बाढ़ का क़हर, असम में 60 लोगों की मौत

उत्तर भारत में बाढ़ का क़हर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बारिश और बाढ़ की सबसे अधिक मार असम पर पड़ी हैं जहां अब तक तकरीबन 60 लोगों के मारे जाने और 10 लाख से भी ज़्यादा लोगों के प्रभावित होने की ख़बरें हैं।

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उत्तर भारत में बाढ़ का क़हर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बारिश और बाढ़ की सबसे अधिक मार असम पर पड़ी हैं जहां अब तक तकरीबन 60 लोगों के मारे जाने और 10 लाख से भी ज़्यादा लोगों के प्रभावित होने की ख़बरें हैं। उधर बाढ़ में गुजरात में अबतक 9 लोगों के मारे जाने की ख़बर है। बिहार, यूपी, एमपी, महाराष्ट्र और ओडिशा के भी ज़्यादातर इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। उत्तरी बिहार में कोसी नदी ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही है तो ओडिशा और यूपी की भी ज़्यादातर नदियां उफान पर हैं।

बिहार भागलपुर के नारायणपुर प्रखंड से बाढ़ के विनाशकारी रूप की दिल दहला देने वाली तस्वीरें आईं हैं। बारिश से नदी का जलस्तर बढ़ा तो किनारों की मिट्टी नदी के पानी में समाती चली गई, मिट्टी कटी तो बिल्डिंग की नींव हिल गई और बिल्डिंग ने जमीन का साथ छोड़कर पानी का दामन थाम लिया। भारी बारिश के बाद कोसी नदी में पानी का लेवल हद से ज्यादा बढ़ चुका है... जिसकी वजह से नदी के किनारों की मिट्टी लगातार कट कट कर पानी में समाती जा रही है और यही वजह है कि नदी किनारे पर बनीं बिल्डिंग्स पर भी खतरा मंडराने लगा है हालांकि मिट्टी के कटाव को देखते हुए बिल्डिंग को नुकासान की आशंका कुछ दिन पहले से ही थी इसलिए स्कूल को बंद कर उसे खाली करा लिया गया था।

लहरों में फंसी ज़िंदगी- नवी मुंबई, महाराष्ट्र

नवी मुंबई के पनवेल की उमरौली गांव से जिंदगी और मौत के बीच की जंग की रोंगटे खड़े करने वाली तस्वीरें मिली हैं। उफ़नती लहरों के बीच एक शख्स को अपनी जान बचाने के लिए चट्टानों का सहारा लेना पड़ा। लोगों का कहना है कि हर साल बारिश के बाद उमरौली गांव के बीच की नहर समंदर में तब्दील हो जाती है और गांव का शहर से संपर्क टूट जाता है और ऐसे वक्त में लोग जान का ख़तरा उठाकर नहर पार करते हैं। दरअसल अजय सिंह नाम का ये शख्स भी काम से लौटकर अपने घर जाने की जल्दी में था और उसने घर जाने के लिए नदी के रास्ते को चुना और नदी के तेज़ बहाव में बहता चला गया। गनीमत रही की बहाव के रास्ते अजय नाम के शख्स को चट्टान का सहारा मिल गया नहीं तो हादसा और भी भयानक हो सकता था।

बाढ़ बनी मुसीबत - कालाहांडी, ओडिशा

बाढ़ और बारिश ने पूरे उड़ीसा में तबाही मचा रखी है। कालाहांडी में नदियों में बहने वाला पानी सैलाब की शक्ल में गलियों और घरों में घुस गया है। जिले में लगातार बारिश होने के चलते आई बाढ़ से रेलवे ओवरब्रिज समेत कई पुल बह गए और इसके अलावा बाढ़ के कारण कई प्रमुख सड़कें भी क्षतिग्रस्त हुई हैं।

लोगों की सुरक्षा के लिए ओडिशा सरकार ने रविवार को सेना और वायु सेना की मदद मांगी और केंद्र सरकार से राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए चार हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। अधिकारियों के साथ आपात बैठक करने के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि लगातार बारिश होने से नागाबलि और कल्याणी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है और रायगड़ा जिले में कल्याणसिंहपुर प्रखंड और कालाहांडी जिले के कई जगहों पर बाढ़ जैसे हालात हैं। कल्याणसिंहपुर प्रखंड में वायु सेना के हेलीकॉप्टर इस्तेमाल किए जाएंगे जहां लोग डूबे हुए घरों की छतों पर फंसे हुए हैं।

हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू - सुरेंद्र नगर, गुजरात

गुजरात के सुरेंद्र नगर जिला भी पानी की मार झेलने को मजबूर है। यहां के चोटीला इलाके में ऐसी बारिश हुई कि लोगों की जान पर बन आई। कुछ लोग खेतों में फंस गए। इन्हें बचाने के लिए इंडियन एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई। जिन लोगों के पास खाने पीने की किल्लत है उन्हें ड्रोन के जरिए खाना पहुंचाया जा रहा है। गुजरात सरकार ने एहतियात के तौर पर स्कूल कॉलेज में छुट्टी घोषित की है। संडे को सभी कर्मचारियों की छुट्टी कैंसिल कर दी गई ताकि बाढ़ जैसे हालात से निपटा जा सके।

पानी पानी हुआ शहर - खरगोन, मध्यप्रदेश

भारी बारिश के बाद एमपी के खरगोन में नदी-नाले उफान पर हैं। गोगावां-बिलखेड़ मार्ग पर खोड़ी नदी उफान पर आने से पुलिया के दोनों छोर पर लोगों की भीड़ लग गई। पुल के डूबने से सैकड़ों लोग घंटों फंसे रहे। पुलिया पर बाढ़ का पानी करीब 6 फीट ऊपर बह रहा था। लोग दोपहर से रात तक बाढ़ उतरने का इंतजार करते रहे। आलम ये है कि कुछ घंटे भी तेज बारिश होने पर नदी जल्द ही उफान पर आ जाती है। नदी के अचानक उफान पर आने से दो व्यक्तियों की मौत हो चुकी है और कई मवेशी बह चुके हैं।

बाढ़ में फंसा बलिया - बलिया, उत्तरप्रदेश 

जब से उतराखंड में गंगा नदी का जल स्तर बढ़ा है बलिया के नदियों किनारे बसे लोगो की सांसे रुक सी गयी हैं। बलिया में घाघरा और गंगा दोनों ही नदियाँ उफान पर है। गंगा के किनारे बसे लगभग सैकड़ों  गावं बाढ़ की चपेट में आने की संभावना है। ऐसे में  लोग अपना घरबार छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो चुके है। मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए पत्थर और रेत की बोरियों का सहारा लिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि बलिया में बाढ़ की समस्या नई नहीं है। बीते दो तीन सालों में दर्जनों गांवों को बाढ़ का पानी लील चुका है। प्रशासन ने बलिया बैरिया बांध बचाने के नाम पर अब तक करोड़ों रूपये गंगा में बोल्डर और बालू की बोरी के नाम पर बहा दिए हैं पर समस्या जस की तस है। 

लोगों का ये भी आरोप है कि सरकार हर साल बाढ़ से निपटने और बाढ़ पीड़ितों के मुआवज़े के नाम पर करोड़ों रुपये बहा देती है लेकिन बाढ़ और नदियों के कहर से बेघर हुए लोगों के पुर्नवास के लिए सरकार ज़रा सी भी गंभीर नज़र नहीं आती और हर साल बारिश के मौसम में यही कहानी दोबारा दोहराई जाती है।

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