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Hindi News भारत राष्ट्रीय अपनी आत्‍मकथा से भारत ही नहीं दुनिया में तहलका मचाने वाली Kamla Das पर Google का Doodle

अपनी आत्‍मकथा से भारत ही नहीं दुनिया में तहलका मचाने वाली Kamla Das पर Google का Doodle

वो अंग्रेजी में कमला दास और मलयालम में माधवी कुट्टी के नाम से लिखा करतीं थी। साथ ही वह अलग-अलग नामों से भी लिखा करती थी। वह अपने लेखन की शुरूआत में एक अंग्रेजी अखबार में के। दास के नाम से लिखा करती थी।

Google-Doodle-celebrates-the-legacy-of-poet-and-author-Kamala-Das- India TV Hindi अपनी आत्‍मकथा से भारत ही नहीं दुनिया में तहलका मचाने वाली Kamla Das पर Google का Doodle

नई दिल्ली: अपनी आत्‍मकथा से दुनियाभर में तहलका मचाने वाली Kamla Das एक ऐसी दिग्गज कवयित्री और लेखक थी जिन्होंने देश में महिलाओं और बच्चों से जुड़े कई मुद्दो पर काफी लिखा था। उन्हीं महान कवयित्री कमला दास को गूगल आज डूडल के जरिए सम्मान दे रहा है। 15 साल की उम्र से ही उन्होंने कविताएं लिखना शुरु कर दी थी। उनका जन्म केरल के एक साहित्यिक परिवार में हुआ था। आज के दिन 1976 में महान लेखक की आत्मकथा ‘My Story’ छपकर आई थी। जो की काफी प्रसिद्ध और लोकप्रिय हुई थी।

ये कोई मामूली आत्‍मकथा नहीं थी बल्‍कि एक ऐसी महिला की सच्‍ची कहानी थी जिसकी किताब ने न सिर्फ भारत में बल्‍कि दुनिया में हलचल मचा दी थी। 15 साल की उम्र में शादी, 16 साल की उम्र में मां, रात भर घरवालों के सोने के बाद किताबे लिखने का शौक और 1999 में धर्मांतरण कर अपने नाम से 'दास' हटाकर 'सुरय्या' लगाने वाली और कोई नहीं बल्‍कि कमला दास थीं। उन्‍होंने अपनी कविताओं में सेक्शुएलिटी, पुरुष और महिला के संबंध से जुड़ी भावनाओं को बयां किया था।

वो अंग्रेजी में कमला दास और मलयालम में माधवी कुट्टी के नाम से लिखा करतीं थी। साथ ही वह अलग-अलग नामों से भी लिखा करती थी। वह अपने लेखन की शुरूआत में एक अंग्रेजी अखबार में के। दास के नाम से लिखा करती थी। इसके पीछे का कारण था कि वह डरती थी कि किसी को यह न पता चले कि वह कवि नहीं कवयित्री है। इसके साथ ही उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी मान सम्मान मिला। इसके साथ ही उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से लेकर वयलॉर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

बता दें कि उन्होंने 1999 में 65 की उम्र में धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपनाया था। वहीं, 10 साल बाद 31 मई, 2009 को उन्होंने पुणे में दुनिया को अलविदा किया था।

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