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Hindi News भारत राष्ट्रीय आज है भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 102वीं जयंती, गूगल ने डूडल बनाकर किया याद

आज है भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 102वीं जयंती, गूगल ने डूडल बनाकर किया याद

जीवन भर बनारस में गंगा किनारे बैठकर शहनाई बजाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को साल 2001 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

गूगल द्वारा बनाया गया...- India TV Hindi गूगल द्वारा बनाया गया उस्ताद बिस्मिल्ला खां का डूडल।

नई दिल्ली: मशहूर शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की आज(21 मार्च) को 102 वीं जयंती है। बिस्मिल्लाह खां का जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमराव में हुआ था। उनके जन्मदिन के मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। डूडड में सफेद कुर्ते और टोपी में नजर आ रहे बिस्मिल्लाह खां हाथ में शहनाई पकड़े नजर आ रहे हैं। उस्ताद बिस्मिल्ला खां को साल 2001 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। एम एस सुब्बालक्ष्मी और रवि शंकर के बाद भारत रत्न से सम्मानित होने वाले शास्त्रीय संगीत से जुड़े वो तीसरे व्यक्ति हैं। इससे पहले भारत सरकार ने उन्हें 1961 में पद्मश्री, 1968 में पद्म विभूषण, 1980 में भी पद्मविभूषण और 2001 में भारत रत्न सम्मानित कर चुकी है। 21 अगस्त 2006 को 90 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

शहनाई बजाने के कला बिस्मिल्लाह खां को विरासत में मिली थी। उनके पिता पैगम्बर बख्श भी शहनाई वादक थे। छह साल की उम्र से ही बिस्मिल्लाह खां ने अपने मामा से शहनाई सिखना शुरू कर दिया था। उनके मामा काशी के प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर में स्थाई रूप से शहनाई बजाते थे। बिस्मिल्लाह खां पूरे जीवन शहनाई से एक के बाद सदाबाहर धुन बजाते रहे। उनकी दिनचर्या में सारी उम्र गंगा किनारे बैठकर रोज छह घंटे का रियाज शामिल रहा।

सांझी संस्कृति के प्रतीक
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को हमेशा भारत की सांझी संस्कृति के प्रतीक माना गया। एक मुसलमान होने के बावजूद उन्हें गंगा और काशी विश्वनाथ से किसी हिन्दू जैसा लगाव था। इन दोनों से अलग होने के ख्याल के चलते वो कभी बनारस से बाहर नहीं गए। इसके अलावा उस्ताद बिस्मिल्लाह पांचों वक्त के नमाजी भी थे साथ रमजान के महीने में रोजे भी रखते थे।

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