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राम-रहीम की लाडली हनीप्रीत पर आज तय होगा देशद्रोह का आरोप!

हनीप्रीत का बचना अब नामुमकिन लगता है क्योंकि उसके ख़िलाफ़ सबूत और गवाह तो पुलिस के हाथ लगे ही हैं खुद हनीप्रीत ने भी SIT के सामने अपने गुनाह मान लिए हैं। पुलिस को दिए इकबालिया बयान के ये पन्ने चार्जशीट की सबसे अहम कड़ी है।

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नई दिल्ली: राम-रहीम की लाडली हनीप्रीत पर आज पंचकूला हिंसा केस में आरोप तय होने वाले हैं। हनीप्रीत पर देशद्रोह का चार्ज फ्रेम होगा। 1200 पन्नों में हनीप्रीत के गुनाहों का हिसाब-किताब है। कोर्ट में चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी है। आज आरोप तय होते ही ट्रायल शुरू होगा और फिर बाबा को बचाने के लिए हिंसा की साज़िश रचने वाली हनीप्रीत को सज़ा मिलेगी। 67 गवाहों से कई बार पूछताछ और गहन तहकीकात के बाद पिछले साल 28 नवंबर को पंचकूला पुलिस की SIT ने चार्जशीट दाखिल की थी। इस चार्जशीट में 15 आरोपियों के ख़िलाफ़ मिले एक-एक सबूत दर्ज हैं।

चार्जशीट में हनीप्रीत को मुख्य आरोपी बताया गया है। इसी चार्जशीट के आधार पर अब हनीप्रीत के ख़िलाफ़ चार्ज फ्रेम होगा। हनीप्रीत पर देशद्रोह का चार्ज फ्रेम करने के लिए 21 फरवरी को भी सुनवाई हुई थी जिसमें अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के बीच जमकर बहस हुई लेकिन 21 फरवरी को हनीप्रीत या किसी और दूसरे आरोपी पर आरोप तय नहीं हो पाया और अगली सुनवाई 6 मार्च यानी आज के लिुए मुकर्रर कर दी गई। आरोप तय होते ही हनीप्रीत के बचने के रास्ते करीब-करीब बंद होते जाएंगे और अपने गुनाहों की सज़ा से बचना उसके लिए आसान नहीं होगा।

अब आप ये जान लीजिए कि चार्ज फ्रेम होने का मतलब क्या होता है। क्रिमिनल केस में पुलिस तहकीकात के दौरान गवाहों के बयान दर्ज करती है। गवाहों के बयान और सबूत के आधार पर पुलिस चार्जशीट दाखिल करती है। चार्जशीट पर कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच बहस होती है। पहली नजर में आरोप पुख्ता पाए जाने पर कोर्ट आरोपी के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर देता है । चार्ज फ्रेम होने के बाद केस में ट्रायल शुरू होता है। ट्रायल के दौरान गवाहों के बयान दर्ज किए जाते हैं और फिर अदालत का फाइनल फैसला आता है।

हनीप्रीत का बचना अब नामुमकिन लगता है क्योंकि उसके ख़िलाफ़ सबूत और गवाह तो पुलिस के हाथ लगे ही हैं खुद हनीप्रीत ने भी SIT के सामने अपने गुनाह मान लिए हैं। पुलिस को दिए इकबालिया बयान के ये पन्ने चार्जशीट की सबसे अहम कड़ी है। पन्ना नंबर 107, 108 और पन्ना नंबर 109 में साफ-साफ लिखा है कि हनीप्रीत ने गवाहों के सामने अपने गुनाह कबूल कर लिए हैं। कोर्ट में दाखिल बारह सौ पन्नों की SIT की चार्जशीट ये कहती है कि हिंसा की पूरी साज़िश सिरसा के डेरा हेडक्वार्टर में रची गई थी।
चार्जशीट ये कहती है कि 17 अगस्त 2017 को हनीप्रीत ने डेरे में एक सीक्रेट मीटिंग की। उस मीटिंग में राम रहीम के सभी खास गुर्गे भी मौजूद थे। गुप्त बैठक में डेरा प्रबंधन से जुड़ी कमेटी के सदस्य भी शामिल हुए। बाबा को सज़ा होने पर आगज़नी और तोड़फोड़ के निर्देश दिये गये। साज़िश को अंजाम देने के लिये पेमेंट भिजवाने का काम भी हनीप्रीत ने किया था।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक हिंसा की पूरी साज़िश के पीछे मकसद था राम रहीम को आज़ाद कराना। लिहाजा तय हुआ कि भाड़े के गुंडों के ज़रिये हालात बेकाबू कराए जाएंगे। इस साज़िश को अंजाम देने के लिए राम रहीम की फिल्मों से कमाया गया काला पैसा झोंका गया। सवा करोड़ रुपये तो खुद हनीप्रीत ने सिर्फ पंचकूला में हिंसा फैलाने के लिए बांटे थे। इनमें से 24 लाख रुपये पुलिस ने डेरा के कमेटी के प्रमुख चमकौर सिंह के पास से बरामद भी किये थे।

बता दें कि 25 अगस्त को रेप मामले में राम रहीम को दोषी ठहराया गया था। ये फैसला CBI की स्पेशल कोर्ट ने सुनाया था। फैसला आते ही हिंसा शुरू हो गई और पंचकूला में कई गाड़ियां फूंक डाली गईं। कई पेट्रोल पंप जला दिए गए। हरियाणा-पंजाब में कई सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में आगजनी हुई। इस हिंसा में 41 लोगों की जान गई जिनमें 36 मौत सिर्फ पंचकूला में ही हुई थी।

दरअसल, कोर्ट का फैसला आने से कई दिन पहले ही राम-रहीम के समर्थकों की भीड़ पंचकूला और उसके आस-पास के इलाकों में जुटनी शुरू हो गई थी और उसी भीड़ में भाड़े के हथियारबंद गुंडे भी शामिल हो गए थे ताकि बाबा के ख़िलाफ़ फैसला आते ही जमकर हिंसा फैलाई जा सके। इस मामले में दर्जनों आरोपी बनाए गए लेकिन आखिरकार 15 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल की गई। इनमें सबसे अहम नाम है बाबा की कथित बेटी हनीप्रीत का।

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