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भारत, चीन के बृहस्पतिवार को अगले दौर की राजनयिक वार्ता करने की उम्मीद

भारत और चीन के अगले दौर की राजनयिक स्तर पर बातचीत बृहस्पतिवार को करने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में तीन महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध का समाधान करने के लिये सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है।

India, China expected to hold another round of diplomatic talks on Thursday- India TV Hindi Image Source : FILE India, China expected to hold another round of diplomatic talks on Thursday

नयी दिल्ली: भारत और चीन के अगले दौर की राजनयिक स्तर पर बातचीत बृहस्पतिवार को करने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में तीन महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध का समाधान करने के लिये सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय के लिये कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत यह डिजिटल बातचीत होने का कार्यक्रम है। इसमें दोनों पक्षों के सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया के शीघ्र क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा करने की उम्मीद है। 

उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार की बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव के करने की संभावना है। डब्ल्यूएमसीसी की 24 जुलाई को हुई अंतिम दौर की बातचीत में चीनी पक्ष का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय के तहत आने वाले सीमा एवं समुद्री मामलों के विभाग के महानिदेशक होंग लियांग ने किया था। 

बातचीत के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों को शीघ्र एवं पूरी तरह से पीछे हटाने पर सहमत हुए हैं। यह द्विपक्षीय संबंधों को संपूर्ण रूप से आगे बढ़ाने के लिये आवश्यक है। राजनयिक बातचीत के बाद, दोनों देशों की सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की पांचवें दौर की बातचीत दो अगस्त को थी, जिसका उद्देश्य सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को तेज करना था। सैन्य सूत्रों के मुताबिक हालांकि, पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रकिया आगे नहीं बढ़ी, जबकि भारत को इसकी उम्मीद थी। 

उन्होंने बताया कि सैन्य स्तर की बातचीत में भारतीय पक्ष ने यथाशीघ्र चीनी सैनिकों को पूरी तरह से वापस बुलाने और पूर्वी लद्दाख के सभी इलाकों में पांच मई से पहले की स्थिति बहाल करने पर भी जोर दिया था। पांच मई को पैंगोंग सो में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद गतिरोध शुरू हुआ था। सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पीछे हट गये, लेकिन उनके (चीन के) सैनिकों को वापस बुलाये जाने की प्रक्रिया पैंगोंग सो, डेपसांग और कुछ अन्य इलाकों में मध्य जुलाई से आगे नहीं बढ़ी। 

सैनिकों को पीछे हटाने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी। इसके एक दिन पहले इलाके में तनाव घटाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत हुई थी। दोनों पक्ष राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं, ऐसे में भारतीय थल सेना सर्दियों के मौसम में पूर्वी लद्दाख में सभी प्रमुख इलाकों में सैनिकों की मौजूदा संख्या कायम रखने की व्यापक तैयारी कर रही है। 

सूत्रों ने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने एलएसी पर अग्रिम मोर्चे पर अभियान की निगरानी कर रहे सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों से पहले ही कहा है कि वे अत्यधिक सतर्कता बरतें और किसी भी चीनी दुस्साहस से निपटने के लिये आक्रामक रुख कायम रखें। उन्होंने बताया कि थल सेना ढेर सारे हथियार, गोलाबारूद तथा अग्रिम मोर्चे के सैनिकों के लिये सर्दियों के पोशाक खरीदने की प्रक्रिया में भी जुटी हुई है। 

एलएसी पर कुछ इलाकों के ऊंचाई वाले स्थानों पर सर्दियों के महीने में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है। उल्लेखनीय है कि 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कई गुना बढ़ गया। इस झड़प में भारत के 20 सैन्य कर्मी शहीद हो गये। चीन की ओर से भी सैनिक हताहत हुए थे लेकिन उसने इसकी कोई घोषणा नहीं की। हालांकि, एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इसमें चीन के 35 सैन्य कर्मी हताहत हुए थे। गलवान घटना के बाद वायुसेना ने भी कई प्रमुख अड्डों पर वायु रक्षा प्रणाली और लड़ाकू विमान तैनात किये हैं।

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