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Hindi News भारत राष्ट्रीय Kisan Andolan: 'हमें प्रदर्शनस्थल की याद आएगी, बड़ी मुश्किल से दिन गुजारे यहां'

Kisan Andolan: 'हमें प्रदर्शनस्थल की याद आएगी, बड़ी मुश्किल से दिन गुजारे यहां'

कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ तीन प्रमुख प्रदर्शनस्थलों में एक गाजीपुर बार्डर पर प्रदर्शनकारी कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद उत्साह से भरे नजर आ रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि गांव में उन्हें यह स्थल बहुत याद आएगा।

Kisan Andolan Protesting Farmers says We will miss the protest site Kisan Andolan: 'हमें प्रदर्शनस्थ- India TV Hindi Image Source : PTI Kisan Andolan: 'हमें प्रदर्शनस्थल की याद आएगी, बड़ी मुश्किल से दिन गुजारे यहां'

Highlights

  • प्रधानमंत्री ने किया कृषि कानून वापस लेने का ऐलान
  • किसानों ने प्रदर्शनस्थल पर मनाया जश्न
  • किसान बोले- उन्हें प्रदर्शनस्थल की याद आएगी

नई दिल्ली. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान ओमराज ने सिंघू बार्डर पर जो दोस्त बनाये थे, उनके बारे में वह अपनी डायरी में ब्योरा बहुत उत्साह से दिखाते हैं जबकि मानक सिंह का कहना है कि उन्हें प्रदर्शन स्थल की याद आएगी जो उनकी रोज की परेशानियां का गवाह है।

गाजीपुर बार्डर पर एक अस्थायी टेंट में खाट पर अपने मित्रों के साथ बैठे राज (85) ने कहा कि प्रदर्शनस्थल अब घर जैसा लगने लगा तथा प्रदर्शनकारी किसानों के बीच अपनापन का नाता बन गया। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के ये किसान अपनी डायरी दिखाते हैं जिसमें उन्होंने पिछले एक साल में बनाये दोस्तों का ब्योरा बड़ी बारीकी से दर्ज किया है।

राज उत्साह से कहते हैं, "देखिए, यह मेरी दसवीं डायरी है और शायद ही कोई पन्ना छूट गया है। मैं यहां जिन किसानों से मिला और इस दौरान जो मेरे दोस्त बने, मैंने उन सभी का ब्योरा लिख लिया है। हम सभी संपर्क में रहते हैं। यहां हमारे बीच जो अपनापन विकसित हुआ, वह मजबूत ही हआ है। मेरी उनके यहां जाने की भी योजना है।"

कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ तीन प्रमुख प्रदर्शनस्थलों में एक गाजीपुर बार्डर पर प्रदर्शनकारी कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद उत्साह से भरे नजर आ रहे हैं। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि गांव में उन्हें यह स्थल बहुत याद आएगा।

जब राज से पूछा गया कि क्या वह पिछले एक साल में अपने गृहनगर गये थे, उन्होंने कहा कि वह दो या तीन बार गये लेकिन कुछ ही दिनों में लौट आये। पिछले दो महीने में एक बुजुर्ग किसान ने एक छोटी सी दुकान भी खोल ली जिसे वह दस बजे पूर्वाह्न खोलते हैं और शाम पांच बजे बंद कर देते हैं। उन्होंने कहा कि इसके पीछे का मकसद बस अन्य किसानों से गपशप करना एवं समय गुजारना है।

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