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Hindi News भारत राष्ट्रीय विपक्ष द्वारा संविधान दिवस कार्यक्रम के बहिष्कार पर लोकसभा अध्यक्ष ने जताई आपत्ति

विपक्ष द्वारा संविधान दिवस कार्यक्रम के बहिष्कार पर लोकसभा अध्यक्ष ने जताई आपत्ति

कांग्रेस द्वारा संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार किए जाने पर ओम बिरला ने कहा, ‘‘जनप्रतिनिधि होने के नाते यह हमारा दायित्व है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में मर्यादित और गरिमापूर्ण आचरण करें। संसद की मर्यादाओं और उच्च गरिमापूर्ण परम्पराओं को कायम रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। इस तरह के बहिष्कार से मन व्यथित होता है।’’

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Highlights

  • अधीर रंजन चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे नहीं आए तब कुर्सियां हटाई गई- ओम बिरला
  • कांग्रेस द्वारा संविधान दिवस समारोह के बहिष्कार से मन व्यथित होता है- ओम बिरला

नई दिल्ली: संविधान दिवस पर संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘संसद में हम देश की 135 करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं और संसद के अन्दर होने वाली चर्चा से जो अमृत निकलेगा, उससे ही आमजन के जीवन में सार्थक बदलाव संभव है।’’ कांग्रेस पार्टी द्वारा संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार किए जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘जनप्रतिनिधि होने के नाते यह हमारा दायित्व है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में मर्यादित और गरिमापूर्ण आचरण करें। संसद की मर्यादाओं और उच्च गरिमापूर्ण परम्पराओं को कायम रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। इस तरह के बहिष्कार से मन व्यथित होता है।’’

उन्होंने कहा, विपक्ष के नेता के तौर पर अधीर रंजन चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों के मंच पर बैठने की व्यवस्था थी। संसदीय कार्य मंत्री ने दो पहले ही उन नेताओं को इसकी सूचना दी थी, आज सुबह मेरे दफ्तर ने भी उनको सूचित किया था। लेकिन जब वो आने को तैयार नहीं हुए तब कुर्सियां हटाई गई।

बिरला ने कहा कि हमें अच्छी परम्पराओं और परिपाटियों को और सशक्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ मनाते हुए हम अपने कर्तव्यों और दायित्वों के निर्वहन का संकल्प लें। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 72 वर्ष पहले आज के ही दिन हमारे देश का संविधान अंगीकार हुआ था और हमारे देश ने शांति, प्रगति और समानता के संकल्प के साथ विकास यात्रा शुरू की थी। उन्होंने कहा कि संविधान हमारे सांस्कृतिक विकास, हमारी महान सांस्कृतिक विरासत और आदर्शों का पवित्र ग्रंथ है।

बिरला ने कहा कि यह हमारे अधिकारों का स्रोत है, जो हमें दायित्वों का भी बोध कराता है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान एक भावना है जो हमें जोड़ने की ताकत देती है तथा जनता की आशाओं, अपेक्षाओं और उम्मीदों को पूर्ण करने का मार्ग दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का दस्‍तावेज है और ऐसे अद्भुत संविधान का निर्माण करने वाले हमारे संविधान मनीषियों को नमन करते हैं। बिरला ने कहा कि हमारा संविधान आधुनिक गीता की तरह है, जो कर्म करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हम सामूहिकता के साथ ही हम एक भारत,श्रेष्ठ भारत को साकार कर सकते हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे प्रगतिशील संविधान को विदेशों में भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। उन्होंने कहा कि संविधान में नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मौलिक अधिकारों की व्यवस्था है, ऐसे में संविधान दिवस के दिन देश के लिए अपने कर्तव्यों पर विचार मंथन करें। संविधान दिवस पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सांसद एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।

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