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Hindi News भारत राष्ट्रीय बकरी को बचाने के लिए बाघ से 15 मिनट तक लडती रही रुपाली

बकरी को बचाने के लिए बाघ से 15 मिनट तक लडती रही रुपाली

महाराष्ट्र के भंडारा जिले में 21 साल की रुपाली अपनी बकरियों को बचाने के लिए अकेले बाघ से लड़ पड़ी। बाघ के हमले में हमले में बुरी तरह घायल रुपाली ने..

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महाराष्ट्र के भंडारा जिले में 21 साल की रुपाली अपनी बकरियों को बचाने के लिए अकेले बाघ से लड़ पड़ी। बाघ के हमले में हमले में बुरी तरह घायल रुपाली ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार उसका मुकाबला करती रही। उसने शोर मचाकर अपनी मां को जगाया और फिर रुपाली की मां ने भी बाघ का मुकाबला किया और उसे भगा दिया।

भंडारा जिले के नागझिरा इलाके में वन्य जीव अभ्यारण से सटे गांव में रूपाली अपनी मां के साथ रहती है। 24 मार्च  को 12:30 बजे रात में रुपाली मेश्राम ने अपने घर की बकरियों की चिल्लाने की आवाज सुनी। वह अपनी बकरियों को देखने के लिए अपने कमरे का दरवाजा खोलकर किचन में गई, किचन में जाते ही उसने देखा कि उसकी बकरी खून से लथपथ है। वह कुछ समझ पाती इससे पहले उसकी नजर बाघ की परछाई पर पड़ी। 

रुपाली अकेले उस बाघ से लड़ पड़ी, कई बार उसने बाघ को पकड़ कर दूर तक फेंक दिया, बाघ ने उसके सर में, हाथों पर, पीठ पर, पैरों कई जगह से जख्म दिया, पूरी तरीके से रुपाली लहूलुहान हो गई। उसने जोर जोर से मां को आवाज देना शुरू किया। मां की नींद खुली और दौड़ती हुई वह किचन की तरफ गई। उसने देखा कि रूपाली बुरी तरीके से लहूलुहान हो चुकी है।  रूपाली की मां जीजाबाई मेश्राम की नज़र बाघ पर पड़ी चिल्लाते हुए अपनी बेटी को पकड़कर घर के अंदर लेकर आई, फिर बाघ पर डंडा लेकर टूट पड़ी। मां ने बताया कि 3 मिनट तक लडती रही उसके बाद उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद करके चिल्लाना शुरु कर दिया।

जीजाबाई और रुपाली का कहना है हो सकता है घर दूर-दूर होते हैं उनकी आवाज लोगों तक नहीं पहुंच पाई होगी, कई लोगों ने फोन किया लेकिन किसी ने भी उनका फोन नहीं उठाया, अंत में उनके रिश्तेदार ने फोन उठाया और उन्होंने वहां पर फॉरेस्ट वालों को तत्काल भेजने के लिए निवेदन किया। आधा  घंटे बाद फॉरेस्ट अधिकारी वहां पर पहुंचे और उन लोगों ने रूपाली एवं जीजाबाई को हॉस्पिटल भेजा जहां पर कई टांके लगे, इलाज के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

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