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अब थाईलैंड ने चीन को दिया बड़ा झटका, रद्द किया KRA Canal प्रोजेक्ट

भारत को चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा देख दुनिया के कई और देश भी अब उसे उसकी दादागिरी का सबक सिखाने लगे हैं। चीन को बड़ा झटका देते हुए थाईलैंड ने इस हफ्ते उसके साथ किए गए KRA Canal प्रोजेक्ट के करार को रद्द कर दिया है।

<p>थाईलैंड ने चीन को...- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE थाईलैंड ने चीन को दिया झटका, रद्द किया KRA Canal प्रोजेक्ट

नई दिल्ली: भारत को चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा देख दुनिया के कई और देश भी अब उसे उसकी दादागिरी का सबक सिखाने लगे हैं। चीन को बड़ा झटका देते हुए थाईलैंड ने इस हफ्ते उसके साथ किए गए KRA Canal प्रोजेक्ट के करार को रद्द कर दिया है। इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन स्ट्रेट ऑफ मलक्का को सीधा रास्ता निकालना चाहता था ताकि हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर के बीच आसानी से आया जाया जा सके। लेकिन थाईलैंड ने चीन के इस सपने पर पानी फेर दिया है।

थाईलैंड के विपक्षी दल 120 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट को लेकर विरोध किया था जिसके बाद थाईलैंड की सरकार को चीन के साथ यह करार रद्द करना पड़ा। ऐसी आशंका थी कि चीन के इस प्रोजेक्ट की वजह से इस क्षेत्र में स्थित कंबोडिया और म्यांमा जैसे देशों की संप्रभुता को खतरा हो सकता था और क्षेत्र में चीन की दखल बढ़ जाती।

थाईलैंड ने चीन के साथ सिर्फ करार ही रद्द नहीं किया है बल्कि चीन से 2 पनडुब्बियों को खरीदने की योजना को भी 2 साल के लिए टाल दिया है। थाईलैंड के इस कदम से यह साफ हो गया है कि चीन का प्रभुत्व धीरे धीरे कम होता जा रहा है। भारत ने जिस मजबूती से चीन का सामना किया है उससे कई और देशों को भी चीन के सामने खड़े होने की हिम्मत जुटने लगी है और कई देश चीन की मनमानी पर सवाल उठाने लगे हैं। दक्षिण पूर्वी एशिया में चीन लगातार अपनी मनमानी करता आया है और दक्षिण चीन सागर में कई देशों के साथ उसका विवाद चल रहा है। लेकिन जिस तरह से हिमालय क्षेत्र में भारत ने चीन के इरादों पर पानी फेरा है उसी तरह अब दक्षिण चीन सागर में मौजूद कई देश भी चीन का सामना करने का साहस जुटाने लगे हैं।

जापान, फिलिपींस, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ चीन के रिश्ते सहज नहीं हैं और हाल के दिनों में ऑस्ट्रेलिया के साथ उसके रिश्ते बहुत ज्यादा खराब हुए हैं। दक्षिण पूर्वी एशिया में कई ऐसे देश भी हैं जो चीन की दादागिरी की वजह से चुप बैठे हुए थे। लेकिन अब इस पूरे क्षेत्र में चीन की दादागिरी के खिलाफ आवाज उठ रही है।

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