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Hindi News भारत राष्ट्रीय India TV Exclusive Interview: सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर हो रहा कितना काम? जानें, DG BRO ने क्या बताया

India TV Exclusive Interview: सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर हो रहा कितना काम? जानें, DG BRO ने क्या बताया

सीमा सड़क संगठन यानी कि BRO ने हाल के दिनों में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। BRO ने सीमावर्ती इलाकों में हाल के सालों में जितनी तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है, वह उल्लेखनीय है। इंडिया टीवी के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में DG BRO खुद बता रहे हैं संगठन की उपलब्धियों, योजनाओं और भूमिकाओं के बारे में।

DG BRO Exclusive Interview- India TV Hindi Image Source : INDIA TV DG BRO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू।

India TV Exclusive interview of DG BRO: भारतीय सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की जिम्मेदारी सीमा सड़क संगठन (BRO) के जिम्मे है। हालिया कुछ सालों में न सिर्फ इस संगठन की जिम्मेदारियां बढ़ी हैं, बल्कि इसने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को सुचारु ढंग से पूरा करके अपने आपको साबित भी किया है। इंडिया टीवी के संवाददाता मनीष प्रसाद ने एक विस्तृत इंटरव्यू में BRO के DG लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी से सीमा पर संगठन द्वारा महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से लेकर अन्य विभिन्न पहलुओं पर बात की।

प्रश्‍न 1: एक के बाद एक उल्लेखनीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्‍मेदारी आपको सौंपी जा रही है, संगठन के प्रमुख के रूप में उनमें से कुछ महत्‍वपूर्ण सफलताओं के बारे में बताएं?
उत्तर:
बीआरओ एक प्रमुख संगठन है, जो देश के सबसे दुर्गम एवं जलवायु रूप से कठिन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसे राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना जाता है।

पिछला वर्ष बीआरओ के लिए निर्माण के क्षेत्र में एक यादगार वर्ष था जब कुल 102 प्रमुख सड़क परियोजनाएं शुरू की गई और एक ही वर्ष में पूरी भी गयी, जो देश में किसी भी सड़क निर्माण एजेंसी द्वारा बनाया एक रिकॉर्ड है।

पिछले वर्ष की मुख्य उपलब्धि पूर्वी लद्दाख में ‘19034 फीट पर उमलिंग ला पास के लिए दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क’ का निर्माण तथा सिक्किम में डोकला के फ्लैग हिल में ’11000 फीट की ऊँचाई पर भारत का पहला स्वदेशी रूप से निर्मित क्‍लास 70 श्रेणी का डबल लेन मॉड्यूलर ब्रिज’ का निर्माण था। उल्लेखनीय बात यह है कि कोविड-19 महामारी  के दौरान  यह उपलब्धि हासिल की गई है। माननीय रक्षा मंत्री ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में लद्दाख से 28 जून 2021 को पूर्वोत्‍तर की 12 सड़कों और 63 पुलों को  देश को समर्पित कर  75 प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया और 28 दिसंबर 2021 को माननीय रक्षा मंत्री द्वारा 27 अन्य सड़क बुनियादी ढांचे का नई दिल्‍ली से ई-उद्घाटन किया गया। इस वर्ष हमारी योजना 120 परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने की है। हम अपने रक्षा बलों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए एक समय सीमा के भीतर उत्‍कृष्‍ट इंजीनियरिंग तकनीकी के साथ विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करेंगे और लक्ष्‍य को प्राप्त करने के लिए हम कड़ी मेहनत करेंगे और अपने राष्ट्र के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे।

Image Source : India TVसीमा सड़क संगठन ने दुर्गम इलाकों में भी अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है।

प्रश्‍न 2: नई सुरंगों और घाटी से संपर्क के लिए क्या योजनाएं हैं?
उत्तर:
बीआरओ ने उच्च ऊंचाई वाले स्‍थानों पर सुरंग निर्माण में विशिष्ट क्षमता हासिल कर ली है। बीआरओ ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश में एक प्रतिष्ठित परियोजना पूरी की है ।  बीआरओ इंजीनियरिंग का उत्‍कृष्‍ट निर्माण "अटल सुरंग,  रोहतांग जो 9.02 किलोमीटर लंबी है और गिनीज बुक द्वारा 10,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग के रूप में मान्यता प्राप्‍त है’’, को 03 अक्‍टूबर  2020 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था । इस सुरंग को विभिन्न प्रसिद्ध निर्माण एजेंसियों जैसे कि इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस (आईबीसी),  जियोस्पेशियल इंफ्रा वर्ल्‍ड,  एफआईडीआईसी परियोजना 2022, कंस्‍ट्रक्‍शन वर्ल्‍ड तथा सीई सीएआर से कई पुरस्कार और प्रशंसा मिली है। यह सुरंग अपने आप में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गयी है और जनवरी 22 के पहले सप्ताह में ही इस सुरंग से गुजरने वाले हल्के वाहनों की आवाजाही में 600 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गयी है।

उत्तराखंड में ऋषिकेश-धरासू मार्ग पर बीआरओ ने 440 मीटर लंबी चंबा सुरंग का निर्माण किया है। इस सुरंग से उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में दूर-दराज के स्थानों तक सभी प्रकार के वाहनों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित हुई है। इसके अलावा उत्तरी सिक्किम में चुंगथांग-मंगन मार्ग पर 578 मीटर लम्‍बी थेंग सुरंग के निर्माण से सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। इसी तरह मेघालय में 120 मीटर लम्‍बी सोनपुर सुरंग ने मेघालय और असम में बराक घाटी जिले के बीच राष्‍ट्रीय राजमार्ग 44 पर  सभी मौसमों में कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करके परिवहन संकट को कम किया है।

आज की तारीख तक बीआरओ ने 04 सुरंग परियोजनाओं को पूरा किया है, 08 सुरंग परियोजनाएं प्रगति पर हैं और भविष्य के लिए 12 परियोजनाओं की योजना बनाई गई है, जिनमें रणनीतिक महत्‍व की ट्विन ट्यूब सेला सुरंग (13,800 फीट की  ऊंचाई पर)  और अरूणांचल प्रदेश में बालीपारा-चारदुआर-तवांग मार्ग पर नेचिफू सुरंग (10,000 फीट की ऊंचाई पर)  का काम प्रगति पर है । इस सुरंग के बन जाने से पश्चिम कामेंग और तवांग जिले के सुदूर क्षेत्रों में हर मौसम में कनेक्टिविटी की सुविधा मिलेगी । बीआरओ जम्मू-कश्मीर में अखनूर-पुंछ मार्ग (राष्‍ट्रीय राजमार्ग 144ए)  पर भी सुंगल सुरंग  का निर्माण कर रहा है। निर्माण क्षमता और ‘’आत्मनिर्भरता’’  की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाते हुए पहली बार अरुणाचल प्रदेश में बीआरओ 105 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण कर रहा है।

इसके अलावा निमू-पदम-दारचा रोड पर शिंकू ला सुरंग, कारू-तांगत्से मार्ग  पर की ला सुरंग,  लद्दाख में खलत्से-कारगिल मार्ग  पर हैम्बोटिंग ला सुरंग  और नॉर्थ ईस्ट में ब्रह्मपुत्र अंडर वॉटर टनल के निर्माण की तैयारी का काम अलग-अलग चरण  में है और शीघ्र ही शुरू होने की संभावना है।

प्रश्‍न 3: राष्ट्र ने बीआरओ पर नए सिरे से विश्वास जताया है। क्या आप विस्तार से बता सकते हैं कि यह कैसे संभव हुआ है?
उत्तर: 
1960 में अपनी स्थापना के बाद से ही बीआरओ सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण एवं विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है । सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा तैयारियों और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने में बीआरओ ने बहुत योगदान दिया है। आज बीआरओ निर्माण के क्षेत्र में एक प्रमुख संगठन हैं और राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है । पिछले कुछ वर्षों से हमारी भूमिका कहीं अधिक जीवंत हो गई है।

हमारे संगठन ने बजट आवंटन में जबरदस्त उछाल देखा है जो पिछले पांच वर्षों में लगभग तीन गुना बढ़कर वर्ष 2022-23 में 13500 करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि इस साल इसे लगभग 15000 करोड़ रुपये तक करने की योजना बनाई गई है ।

हम महत्वपूर्ण स्थानों पर बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के लिए लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं, क्योंकि बड़े पैमाने पर हमारा काम दुर्गम और अत्यधिक ऊंचाई वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में किया जाता है, हमें नवीनतम तकनीक के साथ तालमेल रखना होगा और काम में अभिनव होना होगा।

हमने अपनी प्रक्रियाओं को सरल और सुव्यवस्थित करके, एडीजी और मुख्‍य अभिंयता  के साथ नियमित बातचीत और साइट के दौरे में वृद्धि करके निर्णय लेने की प्रक्रिया को आसान कर दिया है। इसके अलावा वार्षिक कार्य योजना और वार्षिक खरीद योजना के समय पर अनुमोदन, वित्तीय शक्तियों का प्रत्यायोजन, कार्य को प्राथमिकता देना और हमारे कार्यालय के कामकाज के संचालन ने कार्यों की गति को काफी तेज कर दिया है। हमारी मजबूत योजना, आदर्श संसाधन प्रबंधन, समय पर निष्पादन, समर्पण और बीआरओ कर्मयोगियों के दृढ़ संकल्प के कारण, सरकार हमें तेजी से परिणाम प्राप्त करने के लिए और अधिक काम आवंटित कर रही है।

प्रश्न 4: वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सीमा सड़क संगठन के बजट के लिए पूंजीगत परिव्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे कैसे फर्क पड़ेगा?
उत्तर:
पिछले 5 वर्षों में बीआरओ के बजट में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप बुनियादी ढांचे के निर्माण एवं विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है, जिससे हमारी रक्षा तैयारियों को एक बड़ा प्रोत्साहन मिला है। इसके अलावा दूर-दराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हुए हैं। लगभग 5 साल पहले बीआरओ को आवंटित फंड 4500 करोड़ रुपये के दायरे में हुआ करता था। यह चालू वित्त वर्ष    2022-23 में तीन गुना वृद्धि के साथ 13500 करोड़ रुपये हो गया है। फण्‍ड  के बढ़े हुए आवंटन ने बीआरओ को अधिक कार्य निष्पादित करने और अपने संसाधनों का अधिकतम दोहन करने में सक्षम बनाया है। इस वर्ष पिछले सभी रिकॉर्डों को तोड़ते हुए, हम जीएस सड़कों के लिए पूंजीगत बजट को 2500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3500 करोड़ रुपये करने के साथ 15000 करोड़ रुपये तक पहुँचाने की  उम्मीद कर रहे हैं। हम कुछ पुरातन प्रक्रियाओं को सरल बनाने में भी सक्षम हुए हैं, जो कार्यों की प्रगति में बाधक थी । यह डीजीबीआर को बढ़ी हुई वित्तीय शक्तियों के साथ एक प्रमुख गेम चेंजर रहा है जिससे परियोजनाओं और संबंधित मुद्दों को तेजी से मंजूरी मिली है। इसके अलावा हमें आश्वासन दिया गया है कि हमारी सीमाओं के साथ महत्वपूर्ण सड़क बुनियादी ढांचे के निर्माण एवं  विकास के लिए धन की उपलब्धता बाधा नहीं बनेगी।

निर्माण कार्य  और विवेकपूर्ण व्यय में तेजी लाने के लिए हम कुशल सरकारी एजेंसियों और निजी फर्मों, जो तेजी से बुनियादी ढांचे के विकास में हमारे साथ साझेदारी कर सकती  हैं, के साथ काम कर रहे हैं।

Image Source : India TVBRO ने सीमावर्ती इलाको में हाल के सालों में काफी तेजी से काम किया है।

प्रश्न 5: सीमावर्ती क्षेत्रों में 27 डबल-लेन क्लास 70 मॉड्यूलर पुलों के निर्माण के लिए बीआरओ ने हाल ही में GRSE  के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस तरह के समझौते करके रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में बीआरओ कैसे योगदान दे रहा है?
उत्तर:
बीआरओ ने 2021 में सिक्किम में फ्लैग हिल-डोकला रोड पर 11000 फीट की ऊंचाई पर 140 फीट लम्‍बे लोड क्लास 70 के डबल लेन मॉड्यूलर ब्रिज का निर्माण किया । लगभग इसी तरह के वर्गीकरण का एक और पुल उत्तराखंड में लॉन्च किया गया था, इन पुलों को हमारे कर्मयोगियों  द्वारा शून्य से नीचे तापमान और उच्च-ऊंचाई में होने वाले  प्रभावों का सामना करते हुए केवल दो महीनों में लॉन्च किया गया था। इन पुलों का निर्माण  एक बड़ी सफलता थी और स्थानीय यात्रियों, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बलों द्वारा हमारे काम की व्यापक रूप से सराहना की गई।  परीक्षण पुलों के पूरा होने से भविष्य में ऐसे और पुलों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।

इसे ध्यान में रखते हुए सीमा सड़क संगठन और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई)  ने 15 मार्च 2022 को नई दिल्ली में 27 डबल लेन गैल्वेनाइज्ड आईआरसी लोड क्लास 70 के 7.5 मीटर  कैरिजवे वाले  मॉड्यूलर पुलों के दो वर्ष तक  निर्माण, आपूर्ति और  लॉन्चिंग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं । इन स्वदेशी मॉड्यूलर पुलों को जीआरएसई द्वारा आत्म निर्भर भारत के हिस्से के रूप में बहुत कम लागत पर विकसित किया गया है, जो समान विनिर्देशों के आयातित पुलों की लागत का लगभग 1/3  है और माननीय प्रधान मंत्री के  मेक इन इंडिया पहल और सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से संपर्क प्रदान करने के सरकार के संकल्प के अनुरूप है ।  समझौता ज्ञापन की  सबसे महत्वपूर्ण शर्त  समय होगा क्योंकि इन पुलों को साइट सौंपने के 45 दिनों के भीतर लॉन्च किया जा सकता है। यह निश्चित रूप से देश में सड़क के बुनियादी ढांचे के विकास में एक गेम-चेंजर होगा। ऐसे मॉड्यूलर पुलों के निर्माण से अग्रिम क्षेत्रों में रक्षा बलों की परिचालन तैयारियों में भी वृद्धि होगी।

इस प्रकार के पुल न केवल हमारे सशस्त्र बलों को समय पर और सुरक्षित रूप से शामिल करने में मदद करेंगे, बल्कि इन सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के जीवन पर भी प्रभाव डालेंगे।

प्रश्‍न. 6: कौन सी नई तकनीकों को शामिल किया जा रहा है और किस तरह यह सड़कों और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मद्दगार होगी?
उत्तर:
 बीआरओ नवीनतम तकनीकी का प्रयोग करने में सबसे आगे रहा है जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि लागत वाली भी हैं। बीआरओ कठोर इलाके और चरम तापमान की स्थितियों में काम करता है, इन नवाचारों ने कई निर्माण समस्याओं का समाधान किया है जो बुनियादी विकास कार्यों को प्रभावित कर रहे हैं।

(ए) सीमेंटियस बेस - कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और पर्यावरण पर निर्माण के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए बीआरओ ने सीमेंटयुक्त आधार का उपयोग करके फुटपाथ का निर्माण शुरू कर दिया है। विभिन्न सीमावर्ती राज्यों में बड़ी संख्या में सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। उदाहरण के लिए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में माहे-डेब्रिंग सड़क, उत्तराखंड में सुमना-रिमखिम और घस्तोली-रट्टाकोना सड़क और अरुणाचल प्रदेश में टीसीसी-टास्किंग और माजा तथा मंडला-देब्राबू-नागा जीजी सड़क को इस तकनीक का उपयोग करके विकसित किया जा रहा है।

(बी) पहाड़ी संरक्षण - चूंकि, बीआरओ मुख्य रूप से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में काम करता है, हम भूस्खलन को कम करने और पहाड़ी ढलानों की रक्षा के लिए ढलान स्थिरीकरण के लिए विभिन्न नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। विभिन्न तरीकों का उपयोग करके किया जा रहा है जैसे कि ड्रेपर विद हिल साइड गेबियन वॉल, डायनेमिक रॉकफॉल बैरियर, माइक्रो पाइलिंग के साथ सिक्योर्ड ड्रेपर और उत्तराखंड में जोशीमठ-माना रोड पर रॉकफॉल तटबंध, सिक्किम में संगकलांग-टूंग रोड पर जियो ब्रेस्ट वॉल का उपयोग, टीसीसी-माजा रोड पर गेबियन वॉल के साथ बायोडिग्रेडेबल कॉयर का उपयोग, अरुणाचल प्रदेश में ओरंग-कलकतांग-शेरगांव- रूपा-टेंगा रोड पर रॉक एंड बोल्ट विधि, सड़क कायची जीजी-उासर जीजी-लुंगरो जीजी सड़क पर Erdox – Cruciform क्षैतिज समेकन इकाइयों के साथ भू टेक्सटाइल सामग्री का उपयोग, अरुणाचल प्रदेश में टीसीसी-टाक्सिंग और  बालीपारा-चारदुआर-तवांग सड़कों पर जियो सिंथेटिक्स और हिमाचल प्रदेश में अटल टनल के दक्षिणी द्वारा के लिए एप्रोस रोड पर रीइन्फोर्स्ड केबल एंकर,  हाइड्रो सीडिंग और नॉन-वोवेन जियो टेक्सटाइल इत्यादि का प्रयोग। इसके अलावा, जियोसिंथेटिक सीमेंटिटियस कम्पोजिट मैट का उपयोग अरुणाचल प्रदेश में सड़क टीसीसी-टाकिंग पर सतही नालियों के लिए भी किया जा रहा है, जबकि भू-सिंथेटिक झिल्ली का उपयोग पश्चिम बंगाल में बैरकपुर रनवे कार्यों में नालियों की उप-सतह के लिए किया गया है।

(सी) प्लास्टिक लेपित समुच्‍चय -  मित्र देश भूटान में और असम, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम राज्यों में निर्मित सड़कों में बीआरओ परियोजनाओं द्वारा विभिन्न सड़कों पर प्लास्टिक कचरे के पुन: उपयोग के लिए एक पर्यावरण के अनुकूल पहल के रूप में कार्य किया है।

(डी) इंटर लिंक्ड कंक्रीट ब्‍लॉक (आईएलसीबी) -  भारी हिमपात का सामना कर रहे ऊंचाई वाले पहाड़ी दर्रों पर ILCBs  बिछाए जा रहे हैं, इससे ट्रैक डेक्‍ड अर्थमूवर्स का उपयोग करके निर्बाध बर्फ निकासी संचालन की सुविधा हुई है और सड़कों को नुकसान कम हुआ है। इस पद्धति‍ से रखरखाव लागत में तेजी से कमी आई है और यातायात में न्यूनतम व्यवधान के साथ चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में सड़कों की शीघ्र बहाली सुनिश्चित हुई है। इसके अलावा, ILCBs के बिछाने से उपकरण और वाहनों की टूट-फूट में कमी आई है और सड़कों के उपभोग की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है। इस तकनीक को अब लद्दाख में चांगला दर्रा, अरूणाचल प्रदेश में रोइंग-हुनली रोड, सेला दर्रा, वाई जंक्शन-नेल्या और बुमला-बुमला पीपी रोड, सिक्किम में कटाओ-बम्प IV रोड, तथा केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्‍मू और कश्‍मीर में रागिनी-उस्ताद - फरकियां गली रोड और श्रीनगर – सोनमर्ग गुमरी रोड  जैसी विभिन्न सड़कों पर बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है।

(ई) प्री-कास्ट मेंबर - हाल ही में बीआरओ ने अरुणाचल प्रदेश में एक पायलट परियोजना को क्रियान्वित किया है जिसमें सभी पूर्व-कास्ट मेंबर अर्थात सुरक्षात्मक संरचनाएं, प्रबलित मिट्टी की दीवारे, पुलिया, नालियां और फुटपाथ को लंबे समय तक सहज सुलभ उपलब्‍ध साइट पर कंक्रीट कर निर्माण स्थल पर ले जाया गया। यदि समग्र अवधि लागत को ध्यान में रखा जाए तो यह तकनीक बहुत  किफायती साबित हुई है। ऐसे स्थान जहां महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने के लिए छोटे कार्यस्‍थलों की उपलब्‍धता एक बाधा हैं, प्री-कास्ट बॉक्स कल्वर्ट्स का उपयोग किया जा रहा है और यातायात में न्यूनतम व्यवधान के साथ तेजी से निर्माण पूरा करने में बेहद उपयोगी पाया गया है। ऐसी पुलिया सर्दियों में भी उपयुक्त परिस्थितियों में डाली जा सकती हैं।

(च) स्टील स्लैग रोड्स - सतत विकास की दिशा में और निर्माण के पर्यावरण के अनुकूल निर्माण साधनों को अपनाने के लिए, बीआरओ स्टील स्लैग कचरे का उपयोग करके सड़क निर्माण के लिए एक नई तकनीक पेश कर रहा है। तेजी से घटते प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण या पुनर्प्रसंस्करण को बढ़ाने की प्रबल आवश्यकता महसूस की जा रही है। निर्माण उद्योग में सतत विकास के लिए कंक्रीट में सीमेंट के विकल्प के रूप में स्टील स्लैग का पहले से ही उपयोग किया जा रहा है, बीआरओ में ग्रीन सड़कों के निर्माण के लिए प्राकृतिक समुच्चय के स्थान पर वैकल्पिक सड़क निर्माण सामग्री के रूप में स्टील स्लैग का उपयोग किया जा रहा है जो भारी बारिश और बेहतर कर सकता है। अरुणाचल प्रदेश में ट्रायल रोड की योजना बनाई जा रही है और इसी तरह का निर्माण उत्तरी सीमावर्ती राज्यों में भी होगा।

नई तकनीकों के साथ, ये सड़कें न केवलसमय सीमा के भीतर तैयार और टिकाऊ होंगी बल्कि सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित भी होंगी।

प्रश्‍न 7: बीआरओ सीमावर्ती इलाकों में विश्वस्तरीय सड़कें तैयार करने के लिए जाना जाता है। हम ऐसी जलवायु और ऊंचाई के तहत अपने उपयोगकर्ताओं की सड़क सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं?
उत्तर: 
हम संगठन के रूप में इस तथ्य के प्रति सचेत हैं कि विश्व स्तर पर, सड़क दुर्घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है। एक संगठन के रूप में, हम अपनी निर्मित सड़कों के सुरक्षा पहलुओं में सुधार करने और अपनी सड़कों को दुर्घटना मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले कुछ वर्षों में, हमने सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटकों और वाहनों की बढ़ती संख्या और सड़क दुर्घटनाओं की आवृत्ति में वृद्धि देखी है। यातायात की बढ़ती मांग के लिए बीआरओ अब नई सड़कों का निर्माण कर रहा है। हमारी सड़कों पर दुर्घटनाओं की संभावना और उनकी आवृत्ति को कम करने के लिए सभी मौसमों में यातायात को बनाए रखने के लिए सड़क के बुनियादी ढांचे को तैयार किया जा रहा है।

बीआरओ अपनी मौजूदा सड़कों और पुलों पर दुर्घटना की संभावना को कम करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। हमने सभी बीआरओ कर्मियों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के बीच सड़क सुरक्षा जागरूकता बढ़ाई है। हमने अपने मुख्यालय में सड़क सुरक्षा जागरूकता के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सीओईआरएसए) की स्थापना की है, जो अब सभी सड़क सुरक्षा पहलुओं के लिए नोडल एजेंसी के रूप में पूरी तरह कार्य कर रही  है, जिसमें एसओपी/नीति तैयार करना, सड़क सुरक्षा ऑडिट के लिए प्रशिक्षण का संचालन, निगरानी और समन्वय तथा बीआरओ द्वारा रखरखाव के तहत सड़कों की ऑडिट के रूप में भी एक सूचना भंडार और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के लिए माध्यम शामिल है। इसके अलावा, रोड सेफ्टी ऑडिट के लिए संगठन के भीतर और दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों के लिए विभिन्न पहल की गई हैं। पहली बार सभी परियोजनाओं का आंतरिक ऑडिट किया जा रहा है ताकि संभावित दुर्घटना स्थलों और संवेदनशील सड़कों पर हॉटस्पॉट की पहचान की जा सके।

हमने CoERSA की क्षमता निर्माण के लिए विशेषज्ञ एजेंसियों से भी संपर्क किया है। क्षमता निर्माण के हिस्से के रूप में, 50 से अधिक बीआरओ अधिकारियों ने सफलतापूर्वक 15 दिनों का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और उन्हें आईआईटी दिल्ली से "अंतर्राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा लेखा परीक्षक प्रमाणन’’ से सम्मानित किया गया है। इन अधिकारियों को अब आंतरिक रोड ऑडिट करने के लिए नियोजित किया जा रहा है।

हम एक व्यापक सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रम भी तैयार कर रहे हैं और नियमित रूप से विभिन्न सड़क सुरक्षा थीम आधारित जिंगल और वृत्तचित्र सोशल मीडिया हैंडल पर अपलोड कर रहे हैं। सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में, 2021 में एक अखिल भारतीय ‘’भारत@75 बीआरओ मोटरसाइकिल अभियान’’ आयोजित किया गया था। टीम द्वारा विभिन्न सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम आयोजित किए गए थे, जिसमें कई स्कूली बच्‍चों, एनसीसी कैडेट और जनता ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

जब तक हम अपने सभी कर्मियों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के बीच जागरूकता के वांछित स्तर को प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक हम सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए कड़ी मेहनत करना जारी रखेंगे। मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि सड़क सुरक्षा अभियान की सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थानीय लोगों ने यात्रियों को अपनी भाषा में सड़क सुरक्षा का संदेश फैलाकर हमारी बहुत मदद की है।

प्रश्‍न. 8: बीआरओ द्वारा निर्मित सड़कें देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार योगदान दे रही हैं?
उत्तर: 
सड़क निर्माण के साथ ही  देश को आगे ले जाने में बीआरओ की बहुत बड़ी जिम्मेदारी और भूमिका है। हमारी सड़कों का उपयोग सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों द्वारा किया जाता है और बीआरओ इन सड़कों को साल भर खुला रखता है जिससे हमारे सुरक्षा बलों की परिचालन तत्परता बनाए रखने के लिए लोगों, सामग्री और उपकरणों की निर्बाध आवाजाही हो सके।

सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक सड़क अवसंरचना के निर्माण पर अत्यधिक ध्यान देने के साथ, हमने पहली बार कुछ अत्‍यंत अविकसित क्षेत्रों को मुख्य भूमि से जोड़ा है। हाल ही में हमने सिक्किम के संकलंग-तूंग में तुलुंग चू रोड पर 180 फीट का पुल बनाया है । इस ब्रिज को स्थानीय लोग आशा का पुल कहते हैं। पुल के निर्माण से पहले, स्थानीय लोग सैफो गांव तक पहुंचने के लिए वाहनों द्वारा 56 किमी और 14 किमी पैदल चलते थे।

बीआरओ ने लद्दाख के डेमचोक, उत्तराखंड के जोलिंगकोंग और अरुणाचल प्रदेश के हुरी गांव को मुख्य भूमि से जोड़ा है। अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे जिले में हापोली-सरली-दामिन-हुरी सड़क के निर्माण ने स्थानीय लोगों के बेहतर अवसरों और सुविधाओं वाले स्थानों के लिए प्रस्‍थान को रोक दिया है। 42 किलोमीटर सड़क के पूरा होने के बाद, लगभब 100 घर (300 लोग रिवर्स माइग्रेट होकर अपने गांवों में वाप आ गए हैं। इसके अलावा, सेना और अर्धसैनिक बल अग्रिम क्षेत्रों में बेहतर आवास का निर्माण करने में सफल रहे हैं।

अटल सुरंग का निर्माण लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए एक गेम चेंजर रहा है, जो अब चरम सर्दियों के दौरान निर्बाध आवाजाही का आनंद लेते हैं और तेजी से आर्थिक प्रगति का गवाह बनेंगे। अटल सुरंग के कारण इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की बृद्धि से क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद हुई है।

Image Source : India TVदेश की सुरक्षा के लिहाज से सीमावर्ती इलाकों में मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर का होना बेहद जरूरी है।

प्रश्‍न. 9: सीमावर्ती इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बीआरओ राज्य एजेंसियों की कैसे मदद कर रहा है?
उत्तर:
अटल सुरंग में राजमार्ग सुरंग के लिए आवश्यक सभी आधुनिक सुविधाएं हैं और यह यूरोपीय मानकों की किसी भी सुरंग के बराबर है। सुरंग को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 03 अक्टूबर 2020 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। सुरंग के उद्घाटन के दौरान, माननीय प्रधान मंत्री की राय थी कि सुरंग की इंजीनियरिंग, योजना और निर्माण की जानकारी। तकनीकी संस्थानों और इंजीनियरिंग छात्रों के साथ साझा की जानी चाहिए। उन्हें सर्वोत्तम जानकारी और साइट पर ज्ञान प्रदान करने के लिए, हमने बीआरओ पर्यटन पोर्टल की शुरुआत की है। बीआरओ पर्यटन वेबसाइट का 24 मार्च 2022 को माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा उद्घाटन किया गया था। वेबसाइट बीआरओ द्वारा निर्मित सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए निर्देशित पर्यटन की ऑनलाइन बुकिंग को सक्षम करेगी। फिलहाल हमने इस वेबसाइट की शुरुआत अटल टनल, रोहतांग से की है। हालांकि, भविष्य में हम वेबसाइट पर बीआरओ द्वारा निर्मित ऐसे और अन्‍य इंजीनियरिंग चमत्कारों को भी शामिल करेंगे। इससे छात्रों और आगंतुकों को तकनीकी समझ हासिल करने और इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों का भी सामना करने में मदद मिलेगी। इससे क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

इसके अलावा, हम पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन सड़कों पर 75 रोड साइड कैफे खोलने की प्रक्रिया में हैं। सड़क किनारे इन कैफे में सभी बुनियादी सुविधाएं, जिसमें स्थानीय व्यंजन वाले रेस्तरां, स्मारिका की दुकान और आपातकालीन चिकित्सा देखभाल जैसी सुविधाएं होंगी।

प्रश्न10: सामरिक जरूरतों पर काम करते हुए, बीआरओ पर्यावरण संबंधी मामलों और स्थानीय भावनाओं को कैसे हल कर रहा है?
उत्तर:
बीआरओ परियोजनाएं दूरस्‍थ क्षेत्रों में उग्रवाद या उथल-पुथल से प्रभावित क्षेत्रों में संचालित होती हैं। हम उन क्षेत्रों में भी काम करते हैं जहां संवेदनशील सीमा संबंध हैं। यह हमेशा सुनिश्चित किया जाता है कि स्थानीय आबादी और शासन बीआरओ परियोजनाओं के साथ मिलकर काम करें। हम स्थानीय आबादी के लिए न केवल रोजगार और राजस्व का स्रोत प्रदान करते हैं, बल्कि निर्माण गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ भी काम करते हैं।

बीआरओ द्वारा पर्यावरण संबंधी समस्‍याओं को हल करने के लिए, पर्यावरण पर प्रभाव का ध्‍यान रखते हुए सड़क संरेखण का निर्णय लिया जाता है। प्रत्येक डीपीआर तैयार करते समय पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जाता है। कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के प्रयास में बीआरओ हमेशा स्थानीय सामग्रियों का उपयोग करने का प्रयास करता है। बीआरओ जीवाश्म ईंधन के जलने को कम करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है और कुल खपत को कम करने के लिए सीमेंटयुक्त तकनीक का उपयोग करता है।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रतिष्ठानों पर सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। विभिन्न निर्माण कार्य स्थलों पर बायो-टॉयलेट भी लगाए गए हैं। नियंत्रित ब्लास्टिंग तकनीकों और ध्‍वनिरहित विस्फोटकों के उपयोग का सहारा लिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप न केवल विस्फोटकों की मात्रा में बल्कि ध्वनि और भू-कंपन सहित पर्यावरण के प्रभाव में भी काफी कमी आई है।

प्रश्न11: विभिन्न संगठनों के माध्यम से बड़ी संख्या में महिलाओं को सम्मानित करने के साथ महिला सशक्तिकरण में बीआरओ की भूमिका की सराहना की गई है। कृपया हमें इस पहलू के बारे में और बताएं।
उत्तर:
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल किया है। अधिकार, जिम्मेदारी और सम्मान के साधनों के साथ उन्हें सशक्त बनाकर, बीआरओ का दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्र निर्माण के प्रयास में महिलाएं हमेशा सक्रिय भागीदार रहेंगी। वे जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। महिला सशक्तिकरण के प्रति बीआरओ के बहुआयामी दृष्टिकोण में रोजगार की भूमिका में विविधता, उच्च शिक्षा के रास्ते, उचित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, साहसिक कार्य के अवसर, खेल और समग्र रूप से विकसित होने के लिए प्रोत्साहन शामिल है, क्योंकि सही मायने में महिला सशक्तिकरण भी एक दृष्टिकोण परिवर्तन को शामिल करके हासिल किया गया है। यह उन्हें आत्मविश्वास और उचित सम्मान, गरिमा, निष्पक्षता और समानता के साथ व्यवहार करके प्राप्त किया जाता है। पेशेवर क्षेत्र के अलावा,  कल्याणकारी पहल के हिस्से के रूप में, महिलाओं को अपने स्वयं के वित्त और दस्तावेज़ीकरण के प्रबंधन के लिए भी शिक्षित किया जा रहा है।

इस विश्वास की पुष्टि में, संगठन ने महिलाओं को उच्च नेतृत्व की भूमिकाएं सौंपना जारी रखा है। 28 अप्रैल 2021 को पहली बार एक ग्रेफ अधिकारी अधिशाषी अभियंता (सिविल) वैशाली एस हिवासे ने भारत-चीन सीमाओं पर 83 सड़क निर्माण इकाई (RCC) की बागडोर संभाली। इसी तरह, अरुणाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचा विकास कार्यों की देखभाल के लिए अधिशाषी अभियंता (सिविल) ओबिंग टाकी ने 26 जुलाई 2021 को 105 सड़क निर्माण कंपनी की बागडोर संभाली।

बीआरओ ने 30 अगस्त 2021 को फिर से इतिहास रच दिया, जब प्रोजेक्ट शिवालिक की मेजर आइना ने उत्तराखंड में 75 सड़क निर्माण इकाई की कमान अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला। आरसीसी की कमान संभालने वाली पहली भारतीय सेना इंजीनियर अधिकारी हैं। तथा उनके अधीन तीनों प्लाटून कमांडर, कैप्टन अंजना, सहायक अधिशाषी अभियंता (सिविल) भावना जोशी और सहायक अधिशाषी अभियंता (सिविल) विष्णुमाय भी महिला अधिकारी हैं। यहां तक कि डॉक्टर एमओ – II  सुश्री महिमा शर्मा आरसीसी के साथ सह-स्थित है, जो वास्तव में इसे एक अखिल महिला एकीकृत टीम बनाती है। बीआरओ ने देश के उत्तर पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में दो-दो ऐसे सभी महिला नेतृत्व वाली आरसीसी बनाने की योजना बनाई है।

प्रेरणादायक नेता होने में अनुकरणीय मानकों को स्थापित करने में इन महिला अधिकारियों के योगदान को देखते हुए, दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने सीमा सड़क संगठन की चार महिला अधिकारियों को नई दिल्ली में 08 मार्च 2022 को ‘’अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’’ के अवसर पर ‘’अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार’’ से सम्मानित किया। इसके अलावा, सभी रैंकों की 05 महिलाओं को भी माननीय राज्यपालों द्वारा 26 जनवरी 2022 को राज्यपाल पदक से सम्मानित किया गया है। इन महिलाओं में अधिकारी, कार्यालय कर्मचारी और सीपीएल भी शामिल हैं जो सही मायने में भारत की नारी-शक्ति की प्रतीक बनी हैं जो अन्य महिलाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए खुद को समर्पित करने के लिए प्रेरणा के रूप में भी काम करेंगे।

प्रश्न 12: चुनौतीपूर्ण इलाकों और प्रतिकूल जलवायु में काम करने वाले सीपीएल (बीआरओ तकात)  की भलाई के लिए बीआरओ कैसे  काम कर रहा है?
उत्तर:
1960 में अपनी स्थापना के बाद से ही, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) देश की उत्तरी और पूर्वी सीमाओं में सबसे आगे और दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए समर्पित है, जो कठिन मौसम और इलाके की परिस्थितियों में रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप देश में सीमावर्ती क्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक विकास हुआ है।

"राष्ट्र निर्माण’’ के उद्देश्य की दिशा में काम करते हुए, बीआरओ कर्मयोगियों की रहने की स्थिति के सापेक्ष आकस्मिक भुगतान वाले मजदूरों (सीपीएल) की उपेक्षा की गई है। निस्वार्थ और समर्पित सीपीएल के निस्वार्थ रूप से काम करने की दुर्दशा,  और परेशानी ने मुझे पीड़ा दी और मैंने उनके रहने की स्थिति में सुधार करने का संकल्प लिया। प्रीफैब्रिकेटेड शेल्टर, पोर्टा केबिन, बायो टॉयलेट, वाटर प्यूरीफायर, सोलर लाइट, सुपर हाई-एल्टीट्यूड कपड़े और मनोरंजक सुविधाएं प्रदान करके उनके रहने की स्थिति के उत्थान के लिए अब एक शुरुआत की गई है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि हुई है और कार्य अवधि बढ़ी है। हमने उन्हें नियमित चिकित्सा शिविर और टीकाकरण अभियान चलाकर उनके स्वास्थ्य की देखभाल के अलावा सरकारी दरों पर जैकेट और जूते और राशन भी प्रदान किया है।

पहल को अगले स्तर पर ले जाते हुए, हमने सीपीएल के बच्चों के लिए अस्थायी स्कूल भी खोले हैं ताकि न केवल बच्चों को आवश्यक शिक्षा प्रदान की जा सके, बल्कि उनके माता-पिता के काम के घंटों के दौरान उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखा जा सके। यह आगे चलकर समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित करेगा। इसलिए हम सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए अपनी नीति संरचना में सुधार कर रहे हैं। बहुत कुछ हासिल किया गया है, लेकिन और अधिक करने की जरूरत है और मैं अपने सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर निर्देश देता रहता हूं कि सीपीएल को सर्वोत्तम संभव सुविधाएं प्रदान की जाएं ताकि वे उस संगठन पर गर्व करें जिसके लिए वे काम करते हैं।

प्रश्‍न 13. वर्ष के अधिकांश समय के लिए उच्च ऊंचाई वाले सभी दर्रों और सड़कों को खुला रखने की क्या रणनीति है, जो हमारे सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
बीआरओ एक ऐसी एजेंसी है जो साल भर काम करती है और हर बदलती मौसम हमारे लिए एक अनोखी चुनौती लेकर आता है, हालांकि हम प्रकृति की गतिशीलता के आदी हो गए हैं और इनका मुकाबला करने की प्रक्रियाओं को विकसित कर लिया है और इसलिए हमारे संगठन का प्रत्येक सदस्य अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियां से अवगत है। हर साल गर्मियों के काम के मौसम के पूरा होने के बाद, हम शीतकालीन हिमपात की एक अलग और विकट चुनौती का सामना करते हैं, भारी  हिमपात और तापमान  के शून्य से नीचे गिरने के बीच हमारा बर्फ निकासी कार्य शुरू होता है और संचार की सभी महत्वपूर्ण लाइनों को खुला रखने के लिए सभी प्रयास किए जाते हैं। इस साल हमें अपने प्रयासों में बड़ी सफलता मिली और हमने 04 जनवरी 2022 तक अपनी उत्तरी सीमाओं के साथ लॉजिस्टिक लाइनों को खोलना सुनिश्चित करते हुए ताकतवर ज़ोजी-ला पास को खुला रखते हुए खुद के लिए एक रिकॉर्ड बनाया है, पिछले साल 31 दिसंबर 2021 तक पास खुला रहा। इसी तरह के प्रयासों के अनुकूल परिणाम मिले और हमने खरदुंगला, नामिका ला, फोटू ला, नीती और माना पास, हिमाचल प्रदेश में रोहतांग ला, लद्दाख, उत्तराखंड और केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में सेला और नाथू सहित अन्य सभी महत्वपूर्ण और रणनीतिक दर्रें। हमारे सशस्त्र बलों और स्थानीय लोगों के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए अपनी सामान्य समय-सीमा से अधिक अवधि के लिए खुले रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार, जोजिला पास के बंद होने की अवधि में 50-60 दिनों की कमी के साथ, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में रुपये 350-400 करोड़ की अनुमानित बचत होगी।

मनाली-लेह, लेह-कारगिल, बलियापा-चारदुआर-तवांग और बांदीपोरा-गुरेज़ आदि जैसे महत्वपूर्ण सड़क अक्षों पर समर्पित टीट, अर्थ मूवर्स विशेष रूप से कुशल ऑपरेटर और स्नो कटा, स्नो स्वीपर और स्नो प्लोव जैसे परिष्कृत उपकरण कार्यरत थे। भारत-चीन सीमाओं के साथ आवश्यक आपूर्ति जारी रखने के लिए, सर्दियों के दौरान बीआरओ को रणनीतिक लेह और परतापुर (नुब्रा घाटी) हवाई क्षेत्रों को खुला रखने की एक अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी जाती है। पूर्वी लद्दाख में अग्रिम क्षेत्रों में सैनिकों और उपकरणों की आपूर्ति और परिवहन के लिए ये हवाई पट्टी सशस्त्र बलों और नागरिक उड्डयन दोनों के लिए आवश्यक आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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