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Hindi News भारत राष्ट्रीय हेलमेट से लेकर रेड लाइट जंप तक, इन मामलों में नेशनल लोक अदालत देगी राहत; जानें यहां

हेलमेट से लेकर रेड लाइट जंप तक, इन मामलों में नेशनल लोक अदालत देगी राहत; जानें यहां

दिल्ली में आयोजित होने वाली आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत की तारीख में बदलाव हुआ है। लोक अदालत 10 जनवरी 2026 को आयोजित की जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि यहां किन-किन मामलों का निपटारा होगा?

 लोक अदालत विभिन्न प्रकार के चालानों पर छूट प्रदान करेगी।- India TV Hindi Image Source : FILE (PTI) लोक अदालत विभिन्न प्रकार के चालानों पर छूट प्रदान करेगी।

नई दिल्ली: दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) ने राजधानी में आयोजित होने वाली आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत की तारीख में बड़ा बदलाव किया है। जो लोक अदालत पहले 13 दिसंबर 2025 को निर्धारित थी, अब वह 10 जनवरी 2026 को आयोजित की जाएगी। तारीख में किया गया यह बदलाव दिल्ली के सभी जिला अदालत परिसरों पर समान रूप से लागू होगा।

क्यों हो रहा है इसका आयोजन?

इस कदम का मुख्य उद्देश्य अदालतों में लंबित ट्रैफिक उल्लंघनों के भारी बैकलॉग को कम करना है। इसमें रेड-लाइट जंप, हेलमेट न पहनना और प्रदूषण प्रमाणपत्र (PUC) की समय सीमा समाप्त होने जैसे छोटे मामलों का निपटारा किया जाएगा। लोक अदालत 'विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987' के तहत काम करती है।

इन चालानों पर मिलेगी भारी राहत

  1. तय सीमा से तेज वाहन चलाना।
  2. दोपहिया पर हेलमेट न पहनना या कार में सीट बेल्ट न लगाना।
  3. नो-पार्किंग जोन में वाहन खड़ा करना।
  4. दस्तावेजों की कमी वैध ड्राइविंग लाइसेंस, फिटनेस सर्टिफिकेट या प्रदूषण सर्टिफिकेट (PUC) का न होना।
  5. रेड लाइट जंप करना या गलत लेन में गाड़ी चलाना।
  6. बिना नंबर प्लेट के वाहन चलाना।
  7. यदि तकनीकी खराबी के कारण कोई चालान गलत तरीके से जारी हुआ है।

इन गंभीर मामलों में नहीं मिलेगी कोई छूट

  1. शराब पीकर गाड़ी चलाना।
  2. हिट-एंड-रन मामले (दुर्घटना कर भाग जाना)।
  3. लापरवाही या लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई मौतें।
  4. नाबालिगों द्वारा वाहन चलाते पकड़े जाना।
  5. सड़क पर हाई-स्पीड रेसिंग या स्टंट करना।
  6. वाहन का उपयोग किसी गैर-कानूनी काम में करना।
  7. वर्तमान में विचाराधीन यातायात चालान।
  8. अपने गृह राज्य के अलावा अन्य राज्यों में पंजीकृत चालान।

जो मामले पहले से अदालत में विचाराधीन हैं या किसी दूसरे राज्य में काटे गए चालान हैं, उन्हें भी इस लोक अदालत में शामिल नहीं किया जा सकेगा।

अन्य विवादों का भी होगा निपटारा

  1. संपत्ति से जुड़े विवाद
  2. पारिवारिक या वैवाहिक मामले
  3. छोटे लंबित अदालती मामले

यहां जज दोनों पक्षों की दलीलें सुनते हैं और आपसी सहमति के आधार पर मामले को बंद करने का आदेश पारित करते हैं।

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