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Hindi News भारत राष्ट्रीय जम्मू कश्मीर: कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या का मामला, 4 सालों से परिजन कर रहे न्याय का इंतजार

जम्मू कश्मीर: कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या का मामला, 4 सालों से परिजन कर रहे न्याय का इंतजार

जम्मू कश्मीर के कठुआ में बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या का मामला हुए 4 सालों से ज्यादा का समय बीत गया लेकिन परिजनों को अब तक न्याय की उम्मीद है। मृत बच्ची के परिजन आरोपी शुभम सांगरा के खिलाफ मुकदमा शुरु होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

Kathua Case - India TV Hindi Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

कठुआ: जम्मू कश्मीर के कठुआ में रेप के बाद 8 साल की बच्ची की हत्या के मामले में उसका परिवार 4 सालों से ज्यादा समय से न्याय का इंतजार कर रहा है। इस परिवार को आरोपी शुभम सांगरा के खिलाफ मुकदमा शुरु होने का बेसब्री से इंतजार है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद शुभम के खिलाफ अब एक वयस्क के तौर पर नए सिरे से मुकदमा चलाया जाएगा। पीड़ित परिवार के वकील मुबीन फारूकी ने पंजाब के मलेरकोटला से कहा कि मामले में मुकदमा पंजाब में चलना चाहिए और कहीं नहीं, जैसे कि अन्य आरोपियों के लिए किया गया था। 

उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे इस मुद्दे पर स्पष्टता के लिए फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। वकील ने कहा, 'एक ही मामले के लिए हमारे पास दो अपीलीय अदालतें नहीं हो सकती।' सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि कठुआ में 8 साल की बच्ची से गैंगरेप एवं उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले का एक आरोपी अपराध के समय नाबालिग नहीं था और अब उसके खिलाफ वयस्क के तौर पर नए सिरे से मुकदमा चलाया जा सकता है। 

शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि वैधानिक सबूत के अभाव में किसी आरोपी की उम्र के संबंध में चिकित्सकीय राय को दरकिनार नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों द्वारा लापरवाह दृष्टिकोण अपनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। 

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, 'अभियुक्त की आयु सीमा निर्धारित करने के लिए किसी अन्य निर्णायक सबूत के अभाव में चिकित्सकीय राय पर विचार किया जाना चाहिए। चिकित्सकीय साक्ष्य पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं, यह साक्ष्य की अहमियत पर निर्भर करता है।'

क्या है मामला

बच्ची का 10 जनवरी, 2018 को अपहरण किया गया था। उसे गांव के एक छोटे से मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया था और उसके साथ रेप किया गया था। बाद में उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। फारूकी ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश का हवाला दिया जिसके तहत मामले की सुनवाई पंजाब के पठानकोट में ट्रांसफर कर दिया गया और दिन-प्रतिदिन सुनवाई का आदेश दिया गया था। 

शीर्ष अदालत ने यह आदेश कठुआ में कुछ वकीलों द्वारा अपराध शाखा के अधिकारियों को आरोपपत्र दाखिल करने से रोकने के बाद दिया गया था। उन्होंने कहा, 'अब यह स्पष्ट है कि मामले की सुनवाई पठानकोट में ही की जानी है और अगर जरूरत पड़ी तो हम इस मुद्दे पर स्पष्टता के लिए फिर से उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।' 

 

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