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Hindi News भारत राष्ट्रीय कबाड़ का कारोबार करते थे नवाब मलिक: पहले चुनाव में मिले थे सिर्फ 2620 वोट, फिर ऐसे हुई NCP में एंट्री

कबाड़ का कारोबार करते थे नवाब मलिक: पहले चुनाव में मिले थे सिर्फ 2620 वोट, फिर ऐसे हुई NCP में एंट्री

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की सरकार में नवाब मलिक के पास अल्पसंख्यक, उद्यम और कौशल विकास का कैबिनेट मंत्रालय है। साथ ही वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं और पार्टी के मुंबई शहर के अध्यक्ष भी हैं।

Nawab Malik - India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Nawab Malik

Highlights

  • यूपी के बलरामपुर जिले के रहने वाले नवाब मलिक का परिवार खेती-बाड़ी से जुड़ा था
  • इनके परिवार का मुंबई में एक होटल था और परिवार के अन्य सदस्य कबाड़ के कारोबार से जुड़े थे
  • फिलहाल महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री हैं नवाब मलिक

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक के एक्शन से जबरदस्त भूचाल आ गया है। उद्धव सरकार में मंत्री और NCP के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। ये गिरफ्तारी दाऊद इब्राहिम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुई है। ईडी की टीम ने आज सुबह नवाब मलिक के घर पर छापा मारा। दावा है कि इस दौरान कई अहम दस्तावेज मिले, इसके बाद नवाब मलिक से ED की टीम ने पूछताछ शुरू की और दोपहर तीन बजे के करीब नवाब मलिक को ED ने गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल नवाब मलिक मुंबई के जेजे हॉस्पिटल में हैं। मेडिकल टेस्ट के बाद मलिक को कोर्ट में पेश किया जा सकता है।

आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे की सरकार में नवाब मलिक के पास अल्पसंख्यक, उद्यम और कौशल विकास का कैबिनेट मंत्रालय है। साथ ही वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं और पार्टी के मुंबई शहर के अध्यक्ष भी हैं। मलिक ने अपने करियर की शुरुआत एक कबाड़ी के तौर पर शुरू की थी और कुछ साल पहले तक वे इससे जुड़े रहे हैं।

कबाड़ का कारोबार करते थे नवाब मलिक
नवाब मलिक का जन्म 20 जून 1959 को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के उतरौला तालुका के एक गांव में हुआ था। नवाब मलिक का परिवार खेती-बाड़ी से जुड़ा था। परिवार के कुछ सदस्य कारोबार से जुड़े थे, इसलिए पूरा परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था। इनके परिवार का मुंबई में एक होटल था और परिवार के अन्य सदस्य कबाड़ के कारोबार से जुड़े थे। मलिक ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "हां, मैं कबाड़ीवाला हूं। मेरे पिता मुंबई में कपड़े और कबाड़ का कारोबार करते थे। विधायक बनने तक मैंने भी कबाड़ का कारोबार किया। मेरा परिवार अब भी वही करता है। मुझे इस पर गर्व है।"

मलिक ने 21 साल की उम्र में 1980 में महजबीन से शादी। इस शादी से उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। मलिक के कारोबार को उनके बेटे और बेटियां मिल कर चला रहे हैं।

पहले चुनाव में मिले थे सिर्फ 2620 वोट
नवाब मलिक ने अपना पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस की तरफ से गुरुदास कामत और भाजपा की तरफ से प्रमोद महाजन के खिलाफ 1984 में लड़ा था। उस समय मलिक की उम्र सिर्फ 25 साल थी। कामत को दो लाख 73 हजार वोट मिले और उन्होंने 95 हजार वोटों से प्रमोद महाजन को हराया था। उस चुनाव में मलिक को सिर्फ 2620 वोट ही मिले थे। मलिक ने संजय विचार मंच से चुनाव लड़ा था। चूंकि उनके पास एक राजनीतिक दल का दर्जा नहीं था, इसलिए उस चुनाव में मलिक को निर्दलीय उम्मीदवार ही माना गया।

नवाब मलिक की ऐसे हुई राजनीति में एंट्री
जब नवाब कॉलेज में पढ़ रहे थे तभी मुंबई यूनिवर्सिटी ने कॉलेज की फीस बढ़ा दी थी। उसके विरोध में शहर में आंदोलन चल रहा था। उस आंदोलन में नवाब मलिक ने एक आम छात्र की तरह भाग लिया था। आंदोलन के दौरान पुलिस की पिटाई से नवाब घायल हो गए। नवाब मलिक का कहना है कि इसी दौरान उनकी राजनीति में रुचि हो गई। उन्होंने कांग्रेस से 1991 में नगर निगम चुनाव के लिए टिकट मांगा, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन नवाब मलिक राजनीतिक तौर पर अपनी जगह बनाने की कवायद में जुटे रहे।

मुंबई और आस-पास के इलाकों में बाबरी मस्जिद की घटना के बाद समाजवादी पार्टी मुस्लिम मतदाताओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रही थी। उसी दौरान नवाब मलिक भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। 1995 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी से मुस्लिम बहुल नेहरू नगर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिला। उस समय शिवसेना के सूर्यकांत महादिक 51 हजार 569 वोट पाकर जीते थे। नवाब मलिक 37,511 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। मलिक हार गए, लेकिन अगले ही साल विधानसभा पहुंच गए। धर्म के आधार पर वोट मांगने को लेकर विधायक महादिक के खिलाफ दायर याचिका पर उन्हें दोषी पाया गया और चुनाव आयोग ने चुनाव रद्द कर दिया। इसलिए 1996 में नेहरू नगर निर्वाचन क्षेत्र में फिर से चुनाव हुआ। इस बार नवाब मलिक ने करीब साढ़े छह हजार मतों से जीत हासिल की।

1999 के विधानसभा चुनाव में नवाब मलिक फिर से समाजवादी पार्टी से जीते। तब कांग्रेस और NCP सत्ता में आई। समाजवादी पार्टी से दो विधायक चुने गए। उन्हें भी मोर्चे का समर्थन करने के लिए सत्ता में भागीदारी मिली। इसके बाद नवाब मलिक आवास राज्य मंत्री बने।

राजनीतिक तौर पर वह बहुत अच्छा काम कर रहे थे, लेकिन समय के साथ समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ मलिक के मतभेद सामने आ गए। इससे तंग आकर मलिक ने आखिरकार मंत्री होते हुए भी NCP में शामिल होने का फैसला किया। इसके बाद वे उच्च और तकनीकी शिक्षा और श्रम मंत्री बने। फिलहाल वह महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री हैं।

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