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Hindi News भारत राष्ट्रीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, ‘दुनिया संकट की स्थिति में है’

‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, ‘दुनिया संकट की स्थिति में है’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अधिकतर वैश्विक चुनौतियों के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ जिम्मेदार नहीं है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव हम पर ही पड़ता है।

Narendra Modi News, Narendra Modi Voice of Global South Summit, Voice of Global South Summit- India TV Hindi Image Source : PTI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघर्ष, युद्ध, आतंकवाद और उससे खड़ी होने वाली विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए गुरुवार को कहा कि दुनिया संकट की स्थिति में है। पीएम मोदी ने साथ ही यह भी कहा कि ये अनुमान लगाना मुश्किल है कि अस्थिरता की यह स्थिति कब तक रहेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन (Voice of Global South Summit) को ऑनलाइन संबोधित करते हुए खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं पर भी चिंता व्यक्त की।

‘यह स्पष्ट है कि दुनिया संकट में है’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन की शुरुआत करते हुए विभिन्न विकासशील देशों के कई नेताओं की उपस्थिति में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि दुनिया संकट में है। यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अस्थिरता की स्थिति कब तक रहेगी। हमारा (ग्लोबल साउथ) भविष्य सबसे अधिक दांव पर लगा है। अधिकतर वैश्विक चुनौतियों के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ जिम्मेदार नहीं है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव हम पर ही पड़ता है।’ उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा उसके विकास संबंधी अनुभव को ‘ग्लोबल साउथ के अपने भाइयों’ के साथ साझा किया है।

‘ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद करना मकसद’
PM मोदी ने कहा कि भारत इस साल G20 की अध्यक्षता कर रहा है और स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बुलंद करना होगा। भारत 12-13 जनवरी को 2 दिवसीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जो यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। ‘ग्लोबल साउथ’ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों को कहा जाता है। इसका विषय, ‘मानव केंद्रित विश्व के लिए विकासशील देशों की आवाज’ है।

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