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Hindi News भारत राष्ट्रीय हिंदू कॉलेज के प्रोग्राम 'Compass 2023' में रजत शर्मा ने सुनाया इमरजेंसी से जुड़ा ये किस्सा

हिंदू कॉलेज के प्रोग्राम 'Compass 2023' में रजत शर्मा ने सुनाया इमरजेंसी से जुड़ा ये किस्सा

रजत शर्मा ने हिंदू कॉलेज के छात्रों को संबोधित करते हुए इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के दौरान अपने जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं को साझा किया।

Rajat Sharma, Rajat Sharma Hindu College, Rajat Sharma Emergency, Hindu College Compass- India TV Hindi Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में मंगलवार को प्रोग्राम COMPASS-2023' का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा पहुंचे थे। इस कार्यक्रम का नाम ‘Learning With Legends’ रखा गया था। उन्होंने इस कार्यक्रम में ‘आप की अदालत’ प्रोग्राम को लेकर कई सुने अनसुने किस्से सुनाए। रजत शर्मा ने इस दौरान इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के दौरान अपने जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं को साझा किया।

’16-17 साल की उम्र में मैंने अखबार निकाला’
छात्रों को संबोधित करते हुए रजत शर्मा ने इमरजेंसी से जुड़ा एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा, '1975 में जब इमरजेंसी लगी थी, तो मैं उस छात्र आंदोलन का हिस्सा था जिसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। आमतौर पर ये बातें मैं शेयर नहीं करता, लेकिन उस दौरान सारे नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया था, अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई थी, सड़क पर नारे लगाने की इजाजत नहीं थी। उस दौरान सारे स्टूडेंट लीडर्स को पकड़कर जेलों में बंद कर दिया गया था। मैंने 16-17 साल की उम्र में पर्चे की शक्ल में मशाल नाम का एक अखबार निकाला था।'

वीडियो में देखें, इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा ने क्या कहा

‘अभिव्यक्ति की आजादी कोई मुझे न समझाए’
रजत शर्मा ने छात्रों को संबोधि करते हुए कहा, 'मैं और विजय कुमार गोयल लोगों के घरों में वे पर्चे बांटते थे। एक दिन पुलिस ने छापा मारा, मैं पकड़ा गया, तीन दिन मुझे टॉर्चर किया गया। तो प्रेस की आजादी क्या होती है, हमें पता है। इमरजेंसी के दौरान रातों-रात हर विरोधी दल के नेता को जेल में डाल दिया गया, अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई। तब मैंने अखबार निकाला, पुलिस की मार खाई, 10 महीने जेल में गुजारे, तो अभिव्यक्ति की आजादी कोई मुझे न समझाए।'

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