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Hindi News भारत राष्ट्रीय 383 दिन बाद 'फतेह मार्च' के साथ राकेश टिकैत की घर वापसी, करेंगे 'हवन'; जानें- क्या है तैयारी

383 दिन बाद 'फतेह मार्च' के साथ राकेश टिकैत की घर वापसी, करेंगे 'हवन'; जानें- क्या है तैयारी

हालांकि, किसान नेताओं का कहना है कि 15 जनवरी को वो फिर से केंद्र द्वारा दिए गए आश्वासन की समीक्षा करेंगे। यदि केंद्र वादे पर खड़ा नहीं उतरती है तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा।

<p>किसान नेता राकेश...- India TV Hindi Image Source : PTI किसान नेता राकेश टिकैत की घर वापसी आज

Highlights

  • 383 दिन बाद अपने घर को लौटेंगे किसान नेता राकेश टिकैत
  • 15 जनवरी को किसानों की समीक्षा बैठक

नयी दिल्ली: 383 दिन बाद 'फतेह मार्च' के साथ किसान नेता राकेश टिकैत की घर वापसी हो रही है। वो आज गाजीपुर बॉर्डर से अपने गांव सिसौली के लिए लौटेंगे। बुधवार को राकेश टिकैत पूरे गाजे-बाजे के साथ गाजीपुर बार्डर से अपने घर के लिए रवाना होंगे। इससे पहले वो हवन करेंगे। वहीं, सिंघु बॉर्डर को लगभग खाली कर दिया गया है। घर वापसी को लेकर राकेश टिकैत के जत्थे का जगह-जगह स्वागत किया जाएगा। 11 दिसंबर से सभी किसान कृषि कानून की वापसी और अन्य शर्तों की मंजूरी के बाद अपने-अपने घर को रवाना होना शुरू हो गए थे। ये वापसी आंदोलन के 378 दिन बाद शुरू हुआ था। इस दौरान टिकैत ने पहले ही कहा था कि वो 15 जनवरी के बाद जाएंगे। उन्होंने कहा था कि अगले चार दिनों में अधिकांश किसान चले जाएंगे।

हालांकि, किसान नेताओं का कहना है कि 15 जनवरी को वो फिर से केंद्र द्वारा दिए गए आश्वासन की समीक्षा करेंगे। यदि केंद्र वादे पर खड़ा नहीं उतरती है तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान को भांपते हुए भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने इन तीनों कृषि कानून को वापस ले लिया है। वहीं, किसानों की अन्य शर्तों को भी मान ली है।

दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ इन किसानों का एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन चल रहा था। इन किसानों की मांग थी कि ये कानून किसान विरोधी है, इसे वापस लिया जाए। वहीं, केंद्र का कहना था कि वो कानून में संशोधन कर सकती है लेकिन वापस नहीं ले सकती है। 

हालांकि, पीएम मोदी ने 19 नवंबर को प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि संबंधी कानून को वापस लेने की घोषणा कर दी। वहीं, 29 नवंबर को इससे संबंधित बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास कर दिया गया। अब ये कानून वापस लिया जा चुका है। लेकिन, किसानों की कुछ और मांगे थी जिस पर कानून वापसी के बाद भी सहमति नहीं बन पा रही थी। जिसके बाद किसानों की चेतावनी थी कि जब तक केंद्र सरकार इन मांगों पर विचार कर अपना स्पष्ट रूख नहीं बताती है। आंदोलन खत्म नहीं होगा।

किसानों और केंद्र के बीच बनी सहमति

मुआवजा: उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों को राज्य सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए दोनों राज्यों की सरकार के बीच सहमति बन गई  है। पंजाब सरकार किसानों के मुआवजे का ऐलान कर चुका है। इसी तरह इन राज्यों के किसानों को भी 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। किसान संगठनों का दावा है कि आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है।

MSP: एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने को लेकर केंद्र ने कहा है कि सरकार एक कमेटी बनाएगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। अभी जिन फसलों पर एमएसपी मिल रही है, वो जारी रहेगा।

मुकदमा वापस: हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब सरीखे अन्य राज्यों के किसानों का एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन चल रहा था। केंद्र सरकार केस वापसी पर सहमत दे दी हैं। जिन-जिन राज्यों में आंदोलन के दौरान किसानों पर केस दर्ज किए गए हैं, वो वापस लिये जाएंगे।

बिजली बिल: केंद्र सरकार ने किसानों की मांग को मानते हुए ये सहमति दी है कि वो बिजली संशोधन बिल को सीधे संसद में नहीं ले जाएगी। सभी संबंधित किसान संगठन के साथ-साथ अन्य पक्षों से बातचीत के बाद ही फैसला लिया जाएगा। 

प्रदूषण कानून: पराली जलाए जाने को लेकर केंद्र ने सेक्शन 15 के तहत किसानों को गिरफ्तार करने, जुर्माना लगाने का प्रावधान लागू किया था। इस पर किसानों ने आपत्ति जताई थी। 

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