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Hindi News भारत राष्ट्रीय चार एकड़ में फैला है दुनिया का अजूबा पेड़, तबीयत खराब होने पर पीता है स्लाइन, जानते हैं कहां है?

चार एकड़ में फैला है दुनिया का अजूबा पेड़, तबीयत खराब होने पर पीता है स्लाइन, जानते हैं कहां है?

पिल्लालामर्री, जो एक बरगद का पेड़ है जो 800 साल पुराना है और ये भारत के तेलंगाना के महबूबनगर में स्थित है जो चार एकड़ में फैला हुआ है। इसके पेड़ के बारे में जानकर आपको भी हैरानी होगी।

पिल्लालामार्री बरगद का पेड़- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO (ANI) पिल्लालामार्री बरगद का पेड़

अभी तक आपने इंसानों की तबीयत खराब होने के बाद सलाइन चढ़ते हुए अस्पतालों में देखा होगा लेकिन तेलंगाना के महबूबनगर जिले में एक पेड़ है जिसके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे। इस पेड़ की तबीयत खराब होने के बाद इसे सलाइन ड्रिप चढ़ाया जाता है। इस पेड़ को पिल्लालामर्री कहते हैं जो तेलंगाना के महबूबनगर में स्थित है और 800 साल पुराना बरगद का विशाल पेड़ है। यह पेड़ चार एकड़ में फैला हुआ है और दुनिया के सबसे पुराने और विशालकाय पेड़ों में से एक माना जाता है। इस पेड़ के तने इतने विशालकाय हैं कि चार एकड़ तक फैले हुए हैं और इस पेड़ की छाया में एक साथ एक हजार लोग बैठ सकते हैं। 

क्यों चढ़ाई गई सलाइन

इतना पुराना पेड़ होने की वजह से इसकी मुख्य जड़ में  दीमक लग गई थी जिसकी वजह से यह पेड़ अपनी बड़ी-बड़ी टहनियां गवां चुका था। इस पेड़ के एक हिस्से में दीमक लगने के कारण खतरनाक कीड़े को खत्म करने के लिए पेड़ को पहले चढ़ाया गया रासायन कारगार साबित नहीं हुआ। फिर वन्य विभाग के अधिकारियों ने इस पेड़ को सेलाइन के जरिए कीटनाशक दवाई चढ़ाई। पेड़ को प्रति दो मीटर की दूरी पर सलाइन चढ़ाया जा गया। इस पेड़ में कई जगहों पर सैकड़ों सेलाइन की बोतलें लटकती दिखाई देती हैं। 

Image Source : file photo (social media)पिल्लालामार्री बरगद का पेड़

यह पेड़ प्राकृतिक अजूबा है

इस पेड़ को देखकर आपको हैरानी होगी जो प्राकृतिक अजूबा का एक नमूना है, इसकी विशाल शाखाएं और इसकी छाया दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस पेड़ की शाखाएं इतनी फैली हुई हैं कि इसकी छाया लगभग 19,000 वर्ग गज यानी करीब 1.6 हेक्टेयर में फैली हैं और, इसकी छाया में 1000 से ज्यादा लोग आराम से बैठ सकते हैं। इस अजूबे पेड़ की विशेषता यह है कि इसके मुख्य तने के साथ-साथ इसकी जड़ों और शाखाओं ने नए तने और कई जड़ें विकसित कर ली हैं, जिससे यह पेड़ पूरे जंगल जैसा दिखता है। यह अपने विशाल आकार और असंख्य जड़ों के लिए जाना जाता है। 

Image Source : file photo (social media)पिल्लालामार्री बरगद का पेड़

क्यों नाम पड़ा पिल्लामर्री, जानें क्या है रहस्य

यह पेड़ काकतीय वंश और बहमनी सल्तनत के समय से भी पहले से मौजूद है।  कहा जाता है कि हैदराबाद के निजाम शासक गर्मियों में इस पेड़ की ठंडी और घनी छाया में पिकनिक मनाने आते थे। इस पेड़ का नाम पिल्लालामर्री है जिसका मतलब है “पिल्ला” यानी बच्चा और “मर्री” का मतलब बरगद, जिसका अर्थ है "बच्चों का बरगद"। इसका नाम इसके मूल मुख्य तने के कारण पड़ा है जो अब लगभग सूख चुका है, जिससे इसकी कई जड़ें मूल पेड़ से उगने वाले बच्चों जैसी दिखती हैं। लोककथाओं के मुताबिक, इस पेड़ के नीचे प्रार्थना करने वाले निःसंतान दंपतियों को संतान सुख मिलता था। पिल्लालामर्री बरगद न केवल अपनी विशालता के लिए बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी जाना जाता है। इस पेड़ के नीचे एक प्राचीन मंदिर, प्राचीन कलाकृतियों वाला एक पुरातत्व संग्रहालय, एक हिरण उद्यान और एक छोटा चिड़ियाघर शामिल है।

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