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मोदी के खिलाफ भाजपा के बुजुर्ग ब्रिगेड ने फूंका बिगुल

नयी दिल्ली: भाजपा में उस वक्त तलवारें तन गईं जब वयोवृद्ध नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और दो अन्य ने बिहार विधानसभा चुनाव में हुई हार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के

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नयी दिल्ली: भाजपा में उस वक्त तलवारें तन गईं जब वयोवृद्ध नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और दो अन्य ने बिहार विधानसभा चुनाव में हुई हार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी और कहा कि पिछले एक साल में पार्टी शक्तिहीन हुई है और उसे कुछ मुट्ठीभर लोगों की मर्जी के मुताबिक चलने पर मजबूर किया गया है ।

भाजपा में निर्विवाद नेता के तौर पर उभरने और पिछले साल मई में सरकार बनने के बाद मोदी को पहली बड़ी बगावत का सामना करना पड़ रहा है जिसमें शांता कुमार और यशवंत सिन्हा समेत दिग्गजों ने संक्षिप्त लेकिन कड़े शब्दों में एक बयान जारी कर बिहार की हार की संपूर्ण समीक्षा की मांग उठाई ।

बयान के अनुसार, सबसे हालिया हार का मुख्य कारण पिछले एक साल में पार्टी का कमजोर होना है।

वरिष्ठ नेताओं के बयान के अनुसार, हार के कारणों की पूरी तरह समीक्षा की जानी चाहिए और इस बात का भी अध्ययन होना चाहिए कि पार्टी कुछ मुट्ठीभर लोगों के अनुसार चलने पर मजबूर क्यों हो रही है और उसका आम-सहमति वाला चरित्र नष्ट कैसे हो गया।

भाजपा के पूर्व अध्यक्ष जोशी के आवास से बयान जारी किए जाने से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरण शौरी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक और पूर्व भाजपा नेता गोविंदाचार्य ने जोशी से बंद कमरे में गुफ्तगू की।

इस बीच, अपने वयोवृद्ध नेताओं द्वारा भाजपा नेतृत्व पर किए गए हमले के बचाव में आते हुए पार्टी ने एक बार फिर गेंद उन्हीं के पाले में डालने की कोशिश करते हुए कहा कि चुनावों में हार और जीत की सामूहिक जिम्मेदारी लेने की स्वस्थ परंपरा अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने ही शुरू की थी ।

भाजपा ने यह भी कहा कि वह अपने वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शनों एवं सुझावों का निश्चित तौर पर स्वागत करेगी ।

तीन केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह, वेंकैया नायडू और नितिन गडकरी, तीनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, की ओर से संयुक्त बयान जारी कर भाजपा ने प्रतिक्रिया जाहिर की है ।

बयान के मुताबिक, पार्टी सौभाग्यशाली रही है कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं लाल कृष्ण आडवाणी ने दशकों तक इसकी अगुवाई की । उन्होंने चुनावों में जीत और हार पर सामूहिक जिम्मेदारी लेने की स्वस्थ परंपरा शुरू की थी ।

बयान के अनुसार बिहार के चुनाव परिणाम दिखाते हैं कि दिल्ली की हार से पार्टी ने कोई सबक नहीं सीखा है जिसमें आम आदमी पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत हासिल कर भाजपा को जबरदस्त पटखनी दी थी ।

वक्तव्य के मुताबिक, बिहार में हार के लिए सभी को इसलिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ताकि किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराना पड़े । यह दिखाता है कि पार्टी के जीतने की स्थिति में श्रेय लेने वाले लोग बिहार में निराशाजनक प्रदर्शन के लिए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं ।

इस बयान को कल संसदीय बोर्ड में की गई समीक्षा के संदर्भ में वित्त मंत्री अरण जेटली द्वारा किए गए पार्टी नेतृत्व के बचाव पर निशाने के तौर पर देखा जा रहा है । जेटली ने कहा था, जहां तक जवाबदेेही की बात है तो पार्टी सामूहिक रूप से जीतती है और सामूहिक रूप से हारती है ।

जेटली से पूछा गया था कि क्या हार के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

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