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विधानसभा भंग, क्या विपक्ष के 'जाल' में फंस गए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल?

पीडीपी ने जैसे ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा ही भंग कर दी। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फेंस और पीडीपी तीनों इसे अपने फायदे से जोड़ कर देख रही है क्योंकि बीजेपी फिलहाल तो राज्य में चुनाव नहीं चाहती थी।

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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद भी सियासी घमासान थमा नहीं है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक के फैसले के बाद आज एक ओर नेशनल कॉन्फ्रेंस तो दूसरी ओर बीजेपी की अहम मीटिंग होने वाली है। सुबह 11 बजे नेशनल कॉन्फ्रेंस की बैठक है और दोपहर 12 बजे उमर अब्दुल्ला प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। दूसरी ओर आज बीजेपी कोर ग्रुप और बीजेपी विधायकों की भी बैठक है।

बता दें कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग कर दी। अब राज्य में नए सिरे से चुनाव होंगे। अगर जानकारों की माने तो यह तीनों दलों द्वारा सूबे की विधानसभा भंग कराने का 'प्लान' था। दरअसल, पीडीपी ने जैसे ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा ही भंग कर दी। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फेंस और पीडीपी तीनों इसे अपने फायदे से जोड़ कर देख रही है क्योंकि बीजेपी फिलहाल तो राज्य में चुनाव नहीं चाहती थी।

जम्मू कश्मीर में नई सरकार को लेकर संभावनाओं का बाजार बुधवार सुबह से ही गर्म था। शाम होते-होते महबूबा, उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस के नए महागठबंधन को लेकर हलचल और तेज हो गई। हालांकि सारी बातें हवा-हवाई ही हो रही थीं। हकीकत की जमीन पर ना तो महबूबा के पास बहुमत का आंकड़ा था और ना ही नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने समर्थन का पक्का वादा किया था लेकिन महबूबा मुफ्ती ने अचानक ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।

महबूबा मुफ्ती ने चिट्ठी में बहुमत का जो दावा किया उसकी कोई पुख्ता तस्वीर नहीं पेश की। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स का जिक्र किया और कहा कि उन्हें सरकार बनाने का मौका दिया जाए। महबूबा के दावे के बाद भी ना तो नेशनल कॉन्फ्रेंस और ना ही कांग्रेस ने सामने आकर महबूबा का समर्थन किया।

महबूबा के दावे को पलीता लगाने का काम उनकी पार्टी के बागी विधायकों ने भी किया। पीडीपी विधायक इमरान अंसारी ने दावा किया कि उनके साथ 18 विधायक हैं। इसके बाद पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने पीडीपी के बागी विधायकों और बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।

सूत्रों का कहना है कि तीनों पार्टियों द्वारा साथ आना सरकार बनाने की कोशिश कम और राज्यपाल तथा बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश ज्यादा था। सूत्रों का कहना है कि इस पूरी कवायद के पीछे इन तीनों पार्टियों का मूल उद्देश्य भी विधानसभा भंग कराना ही था। बीते दिनों राज्य में हुए पंचायत चुनाव में वोटरों की भागीदारी के बाद क्षेत्रीय पार्टियों का आकलन गलत साबित हुआ है।

कांग्रेस इसका स्वागत तो कर रही है लेकिन बोल रही है बीजेपी अपने जाल में फंस गई है। एक अफवाह के आधार पर सरकार ने राज्य में विधानसभा भंग करने का फैसला ले लिया। पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन बीजेपी के ही भरोसे सरकार बनाने का दावा कर रहे थे लेकिन बीजेपी अब किनारा कर चुकी है। अब पार्टी खुश है कश्मीर में सियासत करने वालों की सरकार नहीं बन रही है । रविंद्र रैना कहते हैं, तीनों पार्टियां मिल जाती तो जम्मू-कश्मीर बर्बाद हो जाता।

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