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Hindi News भारत राजनीति राहुल गांधी को नामदार कहने पर भड़की कांग्रेस, कहा-अगर PM ने तरीका नहीं बदला तो हमें भी चर्चित उपनामों से बुलाने पर मजबूर होना पड़ेगा

राहुल गांधी को नामदार कहने पर भड़की कांग्रेस, कहा-अगर PM ने तरीका नहीं बदला तो हमें भी चर्चित उपनामों से बुलाने पर मजबूर होना पड़ेगा

आप जिस तरीके से ये सब कर रहे हैं, हमें आपके पद की गरिमा को भुला देना पड़ेगा।

<p><span style="color: #333333; font-family: sans-serif,...- India TV Hindi Image Source : SCREEN GRAB/FACEBOOK कांग्रेस प्रवक्ता प्रमोद तिवारी।

नई दिल्ली: कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को नामदार कहने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर शनिवार को हमला बोला और कहा कि यदि मोदी ने अपना तरीका नहीं बदला, तो मजबूरन कांग्रेस के लोग भी उन्हें उनके बारे में प्रचलित विभिन्न उपनामों से बुलाना शुरू करेंगे। कांग्रेस प्रवक्ता प्रमोद तिवारी ने कहा, "यदि हम आपको (मोदी) आपके बारे में जनता के बीच और सोशल मीडिया पर प्रचलित विभिन्न उपनामों से बुलाना शुरू करें, तो आपको अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए आप भी अन्य पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के नाम ठीक से लेने के बारे में सोचिए। आप जिस तरीके से ये सब कर रहे हैं, हमें आपके पद की गरिमा को भुला देना पड़ेगा।"तिवारी ने कहा, "हमें वे सभी नाम गिनाने पड़ेंगे, जिस नाम से आम जनता उस व्यक्ति को बुलाती है जो अपने वादे पूरे नहीं करता, जो सिर्फ बोलता है और करता कुछ नहीं।"

कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आजमगढ़ में अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ रही है, लेकिन उन्होंने भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश में हो रहे दुष्कर्मो के बारे में और अपनी पार्टी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के बारे में जनता को बताना भूल गए, जिसके खिलाफ सीबीआई ने दुष्कर्म के लिए आरोप-पत्र दायर किया है। तिवारी ने कहा, "प्रधानमंत्री को उसी स्वर में यह भी घोषणा करना चाहिए था कि वह सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश में भाजपा के शासन काल में अंधाधुंध दुष्कर्म की घटनाओं पर बोलना भूल गए।"

उन्होंने कहा कि मोदी एक थके हुए सेनापति की तरह लगे, जिसकी पराजय शुरू हो गई है।तिवारी ने कहा, "भाजपा को 73 लोकसभा और 323 विधानसभा सीटें देने के बाद उत्तर प्रदेश के लोग प्रधानमंत्री से नौकरियों, रोजगार, किसानों के बकाए, बंद कारखानों और मिलों को फिर से खोले जाने के बारे में कुछ सुनने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन उन्होंने इनमें से किसी के बारे में कुछ नहीं कहा, क्योंकि उनके पास जमीन पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है।"

 

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