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...जब आडवाणी ने कहा, शास्त्री लेते थे RSS की राय, गोलवलकर से भी करते थे मंत्रणा

शास्त्री 1964 से 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी पिछले साल शास्त्री की तारीफ की थी...

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नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ वैचारिक रूप से कोई वैमनस्य नहीं रखते थे और प्रधानमंत्री रहते हुए वह गुरू गोलवलकर को अक्सर विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया करते थे। शास्त्री को ‘समर्पित कांग्रेसी’ करार देते हुए आडवाणी ने कहा कि अपने निजी गुणों की वजह से उन्होंने देश का विश्वास जीता।

शास्त्री ने RSS से किसी तरह का बैर नहीं रखा- आडवाणी

उन्होंने आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ के 70 साल पूरा होने के अवसर पर आए संस्करण में छपे एक संपादकीय यह बात की है। इस लेख में आडवाणी ने कहा, ‘‘ नेहरू से उलट, शास्त्री ने जनसंघ और आरएसएस को लेकर किसी तरह का वैमनस्य नहीं रखा। वह श्री गुरूजी को राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाया करते थे।’’ आडवाणी का यह लेख उनकी जीवनी ‘माई कंट्री, माई लाइफ’ से लिया गया है।

‘हर मुलाकात में मुझ पर इस छोटे कद, लेकिन बड़े हृदय वाले प्रधानमंत्री की सकारात्मक छाप पड़ी’

‘ऑर्गनाइजर’ से 1960 में बतौर सहायक संपादक जुड़ने वाले आडवाणी ने कहा कि वह इस साप्ताहिक के प्रतिनिधि के तौर पर शास्त्री से कई बार मिले। उन्होंने कहा, ‘‘हर मुलाकात में मुझ पर इस छोटे कद, लेकिन बड़े हृदय वाले प्रधानमंत्री की सकारात्मक छाप पड़ी।’’

धोती-कुर्ता एक नेता का पहनावा है लेकिन यह पत्रकारों को नहीं भाता- आडवाणी

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘धोती-कुर्ता एक नेता का पहनावा है। यह पत्रकारों को नहीं भाता। मेरे साथियों ने मुझसे यह बात कही थी। मैंने अपने साथियों की ओर से दी गई सलाह में कुछ उचित पाया और फिर से पतलून पहनने लगा।’’

भागवत ने भी की थी शास्त्री की तारीफ

आडवाणी ने लिखा कि 1977 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहते हुए वह ख्वाजा अहमद अब्बास और पृथ्वी राज कपूर से मिले और वे दोनों यह जानकर हैरान रह गए कि ‘हमारे यहां एक मंत्री है जो पहले फिल्म आलोचक हुआ करता था।’ शास्त्री 1964 से 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी पिछले साल शास्त्री की तारीफ की थी।

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