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दिल्ली विधानसभा के लिए 22 वर्षो में सिर्फ 31 महिलाएं चुनी गईं

साल 1993 में दिल्ली विधानसभा के पहले चुनाव के बाद से कुल 31 महिलाएं इस विधानसभा के लिए निर्वाचित हुई हैं, जिनमें 22 साल की अवधि में 2015 तक कांग्रेस से सबसे ज्यादा 20 विधायक हैं।

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नई दिल्ली: साल 1993 में दिल्ली विधानसभा के पहले चुनाव के बाद से कुल 31 महिलाएं इस विधानसभा के लिए निर्वाचित हुई हैं, जिनमें 22 साल की अवधि में 2015 तक कांग्रेस से सबसे ज्यादा 20 विधायक हैं। पहली और दूसरी विधानसभाओं में, क्रमश: 1993 और 1998 में, सदन में इन दोनों वर्षो के कार्यकाल में भाजपा की एक महिला सदस्य थी, जबकि उस अवधि के बाद पार्टी की कोई और महिला उम्मीदवार नहीं चुनी गई।

1993 में दिल्ली की पहली विधानसभा में सदन के लिए तीन महिलाएं चुनी गईं, जबकि उनमें से दो कांग्रेस से और एक भाजपा से थीं। कांग्रेस की दो महिला विधायक कृष्णा तीरथ व ताजदार बाबर और भाजपा से पूर्णिमा सेठी थीं। कृष्णा को कांग्रेस ने पटेल नगर विधानसभा क्षेत्र से 2020 के विधानसभा चुनाव में फिर से मैदान में उतारा है।

वर्ष 1998 में जब शीला दीक्षित पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, सदन में सबसे ज्यादा महिलाएं चुनी गई थीं। उस बार नौ महिलाएं चुनाव जीती थीं, जिनमें से आठ कांग्रेस से और एक भाजपा से सुषमा स्वराज थीं जो हौज खास से चुनी गई थीं। यह एक ऐतिहासिक वर्ष था, क्योंकि इसके बाद से आज तक कोई भी महिला भाजपा नेता सदन के लिए नहीं चुनी गई हैं। वर्ष 1998 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विधानसभा में दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में थोड़े समय के लिए काम करने के बाद भाजपा की सुषमा स्वराज सदन के लिए चुनी गई थीं।

शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं। शीला और सुषमा के अलावा कांग्रेस की सात अन्य चुनी गई महिलाओं में ताजदार बाबर, किरण चौधरी, सुशीला देवी, अंजलि राय, दर्शना, कृष्णा तीरथ और मीरा भारद्वाज शामिल हैं। साल 2019 में शीला और सुषमा दोनों का निधन एक महीने के भीतर हो गया।

साल 2003 में, दिल्ली की तीसरी विधानसभा के लिए सात महिलाएं (सभी कांग्रेस से) चुनी गईं। जबकि ताजदार बाबर, कृष्णा तीरथ, अंजलि राय और शीला दीक्षित को फिर से निर्वाचित हुईं, सदन के लिए चुनी गई अन्य तीन महिलाएं किरण वालिया, बरखा सिंह और मीरा भारद्वाज थीं। साल 2008 में, जब राष्ट्रीय राजधानी में चौथा विधानसभा चुनाव हुआ, तो कांग्रेस की तीन नेता शीला दीक्षित, किरण वालिया और बरखा सिंह फिर से विधायक बनीं।

साल 2012 में आम आदमी पार्टी (आप) के गठन के बाद दिल्ली की राजनीतिक तस्वीर बदल गई। शहर में 2013 में हुए चुनाव में सदन के लिए तीन महिलाएं वीणा आनंद, राखी बिड़लान और वंदना कुमारी चुनी गईं। इस बार, सभी आप से थीं। 2013 में, किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और इसलिए, आप और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई जो मात्र 49 दिनों तक चली।

अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्होंने 49 दिनों के बाद इस्तीफा दे दिया। शहर में 2015 में फिर से चुनाव हुए और इस बार आप को 70 में से 67 सीटें मिलीं। सदन के लिए छह महिलाएं चुनी गईं और सभी आप से थीं। जहां राखी बिड़ला और वंदना कुमारी को फिर से चुना गया, वहीं अलका लांबा, भावना गौड़, प्रमिला टोकस और सरिता सिंह को भी सदन के लिए चुना गया।

साल 2019 में कांग्रेस में जाने के बाद अलका लांबा को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में, वह चांदनी चौक से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। चुनाव परिणाम 11 फरवरी को आएगा।

दिल्ली की छठी विधानसभा तक, सदन के लिए कुल 31 महिलाएं चुनी गई थीं, जिनमें कांग्रेस की 20 महिलाएं, आप की 9 और भाजपा की दो थीं। दिल्ली विधानसभा के लिए अब तक कोई भी निर्दलीय महिला उम्मीदवार बतौर विधायक नहीं चुनी गई है। 2020 के विधानसभा चुनाव में, कुल 79 महिलाएं अपनी किस्मत आजमा रही हैं, जिनमें से 24 कांग्रेस, भाजपा और आप की हैं।

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