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मीडिया ट्रायल था बोफोर्स कांड: प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वीडन दौरे से एक हफ्ते पहले बोफोर्स कांड को 'मीडिया ट्रायल' बताया है। राष्ट्रपती ने स्वीडेन के अखबार 'डगेन्स नायहेटर' को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है जिससे

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वीडन दौरे से एक हफ्ते पहले बोफोर्स कांड को 'मीडिया ट्रायल' बताया है। राष्ट्रपती ने स्वीडेन के अखबार 'डगेन्स नायहेटर' को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है जिससे विवाद खड़ा होता नज़र आ रहा है।

अखबार ने राष्ट्रपती प्रणब मुखर्जी से पूछा था कि उनके हिसाब से बोफोर्स घोटाला क्या एक मीडिया ट्रायल था? इसके जवाब में उन्होंने कहा था, 'सबसे पहले तो यह साबित होना है कि वह एक घोटाला था। अभी तक किसी भारतीय अदालत में यह बात साबित नहीं हुई है। बोफोर्स घोटाले की बात सामने आने के लंबे समय बाद मैं देश का रक्षा मंत्री रहा और हमारे सभी सेनाध्यक्षों ने उन हथियारों की तारीफ की थी। आज भी भारतीय सेना उनका इस्तेमाल करती है। जिस 'कथित स्कैंडल' की बात हो रही है, वह मीडिया में खूब दिखा था। यह एक मीडिया ट्रायल था।'

बोफोर्स घोटाले के मीडिया स्कैंडल संबंधी सवाल पर उनका कहना था, 'मुझे इसकी जानकारी नहीं। मैं ऐसा नहीं बोल रहा हूं। ये शब्द आप बोल रहे हैं। इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करें। मैंने यह कहा है कि मीडिया में इसे खूब जगह मिली। लेकिन, अभी तक कथित घोटाले पर किसी भारतीय अदालत ने फैसला नहीं दिया है।'

1986 में कांग्रेस नेता राजीव गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने स्वीडिश हथियार कंपनी 'बोफोर्स' से 285 मिलियन डॉलर का हथियारों का समझौता किया था। इसके तहत कंपनी को 155 एमएम की होवित्जर बंदूकें सप्लाई करनी थीं।

बाद में स्वीडिश रेडियो ने आरोप लगाया था कि बोफोर्स ने इस समझौते के एवज में शीर्ष भारतीय नेताओं और रक्षा अधिकारियों को रिश्वत दी। इस घोटाले के आरोपों के तीन साल बाद ही राजीव गांधी की पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

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