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बिहार में BJP-JDU के बीच क्या सबकुछ ठीक है? जानिए नीतीश कुमार का जवाब

बिहार में जेडीयू और बीजेपी के बीच फिर बढ़ी रार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी तोड़ी है। नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में सबकुछ ठीक है।

<p>Nitish Kumar</p>- India TV Hindi Nitish Kumar

पटना: बिहार में जेडीयू और बीजेपी के बीच फिर बढ़ी रार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी तोड़ी है। नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में सबकुछ ठीक है। दरअसल ये सारा विवाद शुरू हुआ था जेडीयू नेता प्रशांत किशोर के उस बयान से जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और जेडीयू की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय किया है और नीतीश कुमार बिहार के बिग ब्रदर हैं।

बढ़ती तल्खी के बीच सीएम नीतीश कुमार ने गठबंधन में सब ठीक होने का दावा किया है। आज एक कार्यक्रम में जब उनसे बीजेपी-जेडीयू में तल्खी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 'सब ठीक है।'

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर पार्टी लाइन से हटकर बयान दे चुके प्रशांत किशोर (पीके) ने मंगलवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर निशाना साधा और उन्हें परिस्थितिवश उपमुख्यमंत्री बताया। प्रशांत किशोर ने मंगलवार को एक ट्वीट कर बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के नेता सुशील मोदी (सुमो) पर करारा सियासी हमला बोला। किशोर ने ट्वीट में लिखा, "बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और जद (यू) की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय की है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं। 2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश उपमुख्यमंत्री बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है।"

उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रशांत किशोर ने कहा था कि बिहार में जद (यू) की सरकार चल रही है, जिसका भाजपा समर्थन कर रही है। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में जद (यू) को भाजपा की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की सलाह दी थी। इस बयान के बाद सुशील मोदी ने सोमवार को ट्वीट कर किशोर पर निशाना साधा था। सुशील मोदी ने ट्वीट में लिखा था, "2020 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है। सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा। कोई समस्या नहीं है।"

मोदी ने ट्वीट में आगे लिखा, "जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डेटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर विरोधी गठबंधन को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। एक लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपनी सेवाओं के लिए बाजार तैयार करने में लगता है, देशहित की चिंता बाद में करता है।"

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