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सोनिया गांधी ने अहमद पटेल के निधन पर जताया शोक, कहा-'हमने एक वफादार साथी खो दिया'

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अहमद पटेल के तौर पर हमने एक वफादार सहयोगी और साथी को खो दिया है।

सोनिया गांधी ने अहमद पटेल के निधन पर जताया शोक, कहा-'हमने एक वफादार साथी को खो दिया'- India TV Hindi Image Source : FILE सोनिया गांधी ने अहमद पटेल के निधन पर जताया शोक, कहा-'हमने एक वफादार साथी को खो दिया'

नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अहमद पटेल के तौर पर हमने एक वफादार सहयोगी और दोस्त को खो दिया है। उनका पूरा जीवन कांग्रेस को समर्पित था। उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।

सोनिया ने अपने शोक संदेश में कहा, 'श्री अहमद पटेल के जाने से मैंने एक ऐसा सहयोगी खो दिया है जिनका पूरी जीवन कांग्रेस पार्टी को समर्पित था। उनकी निष्ठा और समर्पण, अपने कर्तव्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, मदद के लिए हमेशा मौजूद रहना और उनकी शालीनता कुछ ऐसी खूबियां थीं, जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती थीं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैंने ऐसा कॉमरेड, निष्ठावान सहयोगी और मित्र खो दिया जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता। मैं उनके निधन पर शोक प्रकट करती हूं और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती हूं।’’ अहमद पटेल का बुधवार को निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और कुछ हफ्ते पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। 

कांग्रेस के लोकप्रिय नेता और सोनिया-राहुल के थिंक टैंक कहे जाने वाले अहमद पटेल का  देर रात निधन हो गया। वे एक महीने से कोरोना से पीड़ित थे। 71 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। इंदिरा गांधी के दौर में 26 साल की उम्र में सांसद बने अहमद पटेल को कांग्रेस का चाणक्य कहा जाता था। इंदिरा गांधी 1980 में कांग्रेस की जबरदस्त वापसी के बाद पटेल को कैबिनेट में शामिल करना चाहती थीं लेकिन अहमद पटेल ने संगठन से अपना मोह जाहिर कर दिया। यही तस्वीर राजीव गांधी के समय में भी देखने को मिली। 1984 के चुनाव के बाद अहमद पटेल को फिर से मंत्री पद ऑफर किया गया लेकिन उन्होंने इस बार भी संगठन को ही चुना था।

कांग्रेस के सुनहरे दौर से लेकर मौजूदा दौर तक उन्होंने कभी कांग्रेस संगठन में भरोसा नहीं छोड़ा। वे राजीव गांधी से लेकर सोनिया और राहुल गांधी के करीबी रहे हैं। संगठन को एक डोर में बांधे रखने के लिए उन्होंने 5 दशकों तक कांग्रेस की सेवा की। 

 

 

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