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Hindi News भारत उत्तर प्रदेश मायावती ने मुसलमानों का ‘बिरयानी में तेजपत्ते’ की तरह इस्तेमाल किया: नसीमुद्दीन

मायावती ने मुसलमानों का ‘बिरयानी में तेजपत्ते’ की तरह इस्तेमाल किया: नसीमुद्दीन

राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के खिलाफ जमकर बरसते हुए आरोप लगाया कि...

Naseemuddin Siddiqui | PTI Photo- India TV Hindi Naseemuddin Siddiqui | PTI Photo

इलाहाबाद: राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के खिलाफ जमकर बरसते हुए आरोप लगाया कि मायावती ने अपने फायदे के लिए मुसलमानों का इस्तेमाल किया और कम वोट देने को लेकर अल्पसंख्यकों को अपशब्द कहे। सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के गत विधानसभा चुनावों के बाद मायावती ने गत 29 अप्रैल को बीएसपी कार्यालय में 2,000 कार्यकर्ताओं के बीच अल्पसंख्यकों को एक घंटे तक अपशब्द कहे थे, जिससे वह आहत हुए।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘उन्होंने (मायावती) हमें बिरयानी में तेजपत्ते की तरह इस्तेमाल कर लिया। जब बिरयानी बनाई तब खुशबू और जायके के लिए तेजपत्ता डाल दिया। जब बिरयानी बनकर तैयार हो गई तब प्लेट में बिरयानी परोसने के बाद सबसे पहले तेजपत्ते को निकालकर बाहर कर दिया और कहा कि अब क्या काम है।’ मोर्चा बनाने संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने आरोप लगाया कि बीएसपी प्रमुख पार्टी को तबाह करने पर तुली हुई हैं और काशीराम जी के मिशन को गिरवी रखकर पैसे की लूट में लिप्त हैं तो ऐसे में हमारे पास और क्या विकल्प है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा एक गैर राजनीतिक दल है और इसका मकसद लोगों को संगठित करना है, आगे का निर्णय बाद में किया जाएगा।

सिद्दीकी ने कहा, ‘मुझे मालूम था कि बसपा एक डूबता जहाज है, लेकिन जिस पार्टी को बढ़ाने में मैंने अपने जीवन के 34 साल लगाए, उसे छोड़ना इतना आसान नहीं था। मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करता हूं कि उसने बसपा रूपी डूबते जहाज से मुझे बाहर कर दिया।’ मायावती के राज्यसभा सदस्य पद से इस्तीफा देने पर तंज करते हुए उन्होंने कहा, ‘मायावती ने 3 साल पहले रोहित वेमुला कांड के वक्त इस्तीफा नहीं दिया क्योंकि उस समय उनके कार्यकाल के साढ़े तीन साल बाकी थे। बिजनौर में दलितों पर अत्याचार किया गया, तब भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। अब जब सदस्यता खत्म होने को कुछ ही महीने बाकी हैं तब यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि सदन में उनकी बात नहीं सुनी जा रही।’

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