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Hindi News मध्य-प्रदेश MP Chunav Results 2023: मध्यप्रदेश में क्यों बुरी तरह हार गई जीत का दावा ठोकने वाली कांग्रेस, जानिए 5 बड़े कारण

MP Chunav Results 2023: मध्यप्रदेश में क्यों बुरी तरह हार गई जीत का दावा ठोकने वाली कांग्रेस, जानिए 5 बड़े कारण

मध्यप्रदेश की राजनीति में यह चुनाव परिणाम लंबे समय तक याद रखा जाएगा। इस परिणाम ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर कांग्रेस जो जीत की जोरदार ताल ठोक रही थी, उसे इतनी बुरी हार कैसे मिली? कारण चौंकाने वाले हैं।

एमपी में क्यों हार गई कांग्रेस- India TV Hindi Image Source : INDIA TV एमपी में क्यों हार गई कांग्रेस

MP Chunav Results 2023:  मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ इन तीनों राज्यों में चुनाव के परिणाम पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में जाते दिख रहे हैं। प्रचंड जीत की ओर जाते ही बीजेपी के प्रदेश कार्यालयों में ढोल ढमाके बज रहे हैं, लड्डू बंट रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के खेमे में मायूसी है। जो लड्डू कांग्रेस कार्यालय में आए थे, वे वैसे ही रखे हुए हैं। सवाल यह है कि जो कांग्रेस 2019 में बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई थी, वो ऐसा क्या हुआ कि 2023 के चुनाव परिणाम के रुझानों में अब तक बुरी तरह हार की कगार पर है।

1. एंटी इंकंबेंसी का कोई रोल नहीं

बीजेपी एंटी इंकंबेंसी को नकारकर जीती। राजनीति में यह शोध का विषय होना चाहिए। क्योंकि 18 साल बाद भी एक चुनाव होता है और किसी पार्टी को प्रचंड जीत मिलती है, वो भी 18 साल तक शासन में रहने के बाद। जबकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी सत्ता से चली गई पर 15 महीनों को छोड़कर एमपी में नहीं।

2. दिग्गी कमलनाथ ने किसी को नहीं बढ़ने दिया

कांग्रेस ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से बड़ा नेता किसी को नहीं बनने दिया। दोनों नेता वयोवृद्ध हैं। कमलनाथ की उम्र 77 साल और दिग्विजय सिंह की उम्र 76 साल है।

3. यूथ लीडर्स का कोई बैकअप नहीं

 किसी यूथ लीडर को आने नहीं दिया। ​ज्योतिरादित्य सिंधिया जो कांग्रेस में एक बड़ा कद थे। युवा थे, उन्हें भी दरकिनार कर दिया गया था। मजबूरन उन्हें बीजेपी का दामन थामना पड़ा। मध्यप्रदेश कांग्रेस में युवा नेतृत्व का बैकअप में नहीं बन पाया। केवल विक्रांत भूरिया यूथ कांग्रेस अध्यक्ष है, जो कां​तिलाल भूरिया के बेटे हैं और पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर हैं। उन पर भी वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया की छाप है।

4. कमलनाथ का अड़ियल रवैया

चौथा लेकिन सबसे अहम बिंदू राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में यह है कि कमलनाथ में राजनीतिक नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है, वो राजनेता कम और बड़ी कंपनी मैनेजर ज्यादा लगते हैं। वो राजनीतिक बैठकों में कार्पोरेट मीटिंग जैसा व्यवहार करते रहे हैं। कमलनाथ मिनटों के हिसाब से विधायकों केो मिलने का समय देते थे। वो कहते थे 'चलो चलो' , उन्हें जनता ने चलता कर दिया।

5. कमलनाथ की छवि पर भारी शिवराज की छवि

कांग्रेस में जहां कमलनाथ का रवैया तानाशाही रहा है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी इसलिए आगे निकली कि एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ के विपरीत जमीनी नेता हैं, वे लोगों और विधायकों की सुनते भी हैं, बोलते भी हैं। शिवराज सिंह चौहान की सरल छवि कमलनाथ की छवि पर भारी पड़ी।