A
Hindi News महाराष्ट्र अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार थमा, 3 नवंबर को होगी वोटिंग, जानें क्या है इस सीट पर वोटों का गणित

अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार थमा, 3 नवंबर को होगी वोटिंग, जानें क्या है इस सीट पर वोटों का गणित

अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव के लिए तीन नवंबर को वोटिंग होगी। इससे पहले आज चुनाव प्रचार खत्म हो गया। इस सीट पर उद्धव ठाकरे शिवसेना गुट की उम्मीदवार ऋतुजा लटके हैं जबकि उनके सामने 6 निर्दलीय उम्मीदवार हैं। बीजेपी और शिंदे गुट ने अपने उम्मीदवार को वापस ले लिया है।

आदित्य ठाकरे के साथ ऋतुजा लटके- India TV Hindi Image Source : PTI (FILE) आदित्य ठाकरे के साथ ऋतुजा लटके

मुंबई: मुंबई की अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर आज यानी 1 नवंबर को चुनाव प्रचार थम गया। इस सीट पर 3 नवंबर को वोटिंग होगी। 15 अक्टूबर  को उद्धव ठाकरे शिवसेना गुट की उम्मीदवार ऋतुजा लटके ने अपने प्रचार की जोरशोर से शुरुआत कर दी थी। बीजेपी ने इस सीट पर व्यवसायी मुरजी  पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया था और एकनाथ शिंदे गुट ने भी मुरजी पटेल  को अपना समर्थन देने का ऐलान किया था लेकिन नामांकन भरने के 4 दिन बाद ही बीजेपी ने अपने प्रत्याशी का नामांकन पीछे ले लिया। इसके पीछे वजह बताई गई की बीजेपी नहीं चाहती कि वो एक विधवा के सामने चुनाव लड़कर महाराष्ट्र की संस्कृति को बदनाम करे। लेकिन तब से लेकर आज तक महाविकास आघाडी की सभी पार्टीयां यही कह रही हैं कि बीजेपी ने हार के डर से अपना नामांकन वापस ले लिया। 

 चुनाव मैदान में 6 निर्दलीय उम्मीदवार

उद्धव ठाकरे की शिवसेना उम्मीदवार ऋतुजा लटके के समर्थन में कांग्रेस, एनसीपी, समाजवादी पार्टी के साथ भीम सेना 15 अक्टूबर से 1 नवंबर तक लगातार प्रचार करती रही है। इस सीट पर शिवसेना उम्मीदवार ऋतुजा लटके की जीत लगभग तय है क्योंकि उनके सामने किसी नामांकित पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं है। 6 निर्दलीय जरूर चुनाव मैदान में हैं।

रमेश लटके के असामयिक निधन के बाद हो रहा है उपचुनाव

दरअसल, ऋतुजा लटके अपने पति और निवर्तमान विधायक रमेश लटके के असामयिक निधन के बाद अंधेरी पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। अंधेरी विधानसभा सीट पर ऋतुजा लटके और बीजेपी और शिंदे गुट के उम्मीदवार मुरजी  पटेल ने जोरशोर से चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी। जिस तरह भीड़ जुटाई थी उससे ये ही लग रहा था की ये लड़ाई यहां काफी रोमांचक होगी। क्योंकि नई सरकार बनने के बाद एकनाथ शिंदे के साथ उद्धव ठाकरे के लिए भी अंधेरी का ये उपचुनाव लिटम्स टेस्ट था कि असली शिवसेना किसकी है। लेकिन बीजेपी ने जब अपना नॉमिनेशन पीछे ले लिया तो साफ हो गया की अब ये लड़ाई एकतरफा बन गई है। लेकिन शिवसेना और एनसीपी  का आरोप है किअब भी बीजेपी परदे के पीछे से मतदाताओं को भ्रमित कर नोटा पर वोट देने के लिए प्रचार कर रही है। वहीं ऋतुजा लटके का कहना है कि 3 नवंबर को मतदान होगा ,जनता घरों से बाहर निकल कर अपने मताधिकार का उपयोग करे।

पहला मौका जब कांग्रेस इस सीट पर नहीं लड़ रही चुनाव 

ये पहला मौका है  जब अंधेरी की अपनी इस परंपरागत सीट पर कांग्रेस पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही है बल्कि इस सीट पर शिवसेना पार्टी के उम्मीदवार को अपना समर्थन दे रही है। हर बार अंधेरी की इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस का मुकाबला शिवसेना और बीजेपी के उम्मीदवार से होता रहा है लेकिन इस बार मुकाबला उलटा है। न बीजेपी सामने है मैदान में, न कांग्रेस,न ही एनसीपी, न ही राज ठाकरे की एमएनएस और न समाजवादी पार्टी या कोई अन्य राष्ट्रीय या क्षेत्रिय पार्टियां। इस बार मुकाबला कांग्रेस+उद्धव गुट +एनसीपी वर्सेस 6 निर्दलियों के बीच होगा।बीजेपी और एकनाथ शिंदे के साथ राज ठाकरे  की पार्टी इस चुनाव में तटस्थ रह रही है। हालांकि  6 निर्दलीय जरूर मैदान में हैं जो अपने तरीके से डटे हैं और अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।

मुंबई की मिनी इंडिया सीट पर कुछ ऐसा है वोटों का गणित

अंधेरी की सीट को मुंबई की मिनी इंडिया सीट भी कहा जाता है क्योंकि इस सीट पर तकरीबन 80 हजार मराठी वोटर्स ,40 हजार उत्तर भारतीय वोटर ,15 हजार गुजराती,10 हजार मारवाड़ी ,10 हजार जैन, 30 हजार मुस्लिम, 15 हजार सिख, 6 हजार पारसी,15 हजार बौद्ध, 20 हजार केथोलिक और 15 हजार अन्य हैं। यानी तकरीबन ढाई लाख की आबादी वाली इस विधानसभा सीट पर हर भाषा भाषी और जाती धर्म के मतदाता हैं। यहां हर चुनाव में 55 से 60 प्रतिशत तक वोटिंग होती है। पिछले चुनाव में इस सीट पर प्रचार करने मनोज तिवारी ,रवि किशन और निराहुआ  बीजेपी + शिवसेना उम्मीदवार रमेश लटके के लिए आए थे। इनसे उत्तर भारतीय वोटों का ध्रुवीकरण शिवसेना की तरफ हुआ था। इस बार उपचुनाव है और उपचुनाव में वोटिंग कम ही होती है। साथ ही ऋतुजा लटके के सामने कोई पार्टी का उम्मीदवार नहीं होने से उन्हें शिवसेना का वोट पूरा मिलेगा और बाकी कांग्रेस-एनसीपी का वोट भी अगर कन्वर्ट हुआ जिसमें मुस्लिम ,उत्तर भारतीय हैं तो उनकी जीत का मार्जिन भी बढ़ सकता है।