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NPS Vs Mutual funds: निवेश के लिए कौन सा बेहतर विकल्प? यहां 5 प्वाइंट में समझें

एनपीएस को पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा विनियमित किया जाता है, म्यूचुअल फंड को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित किया जाता है।

Mutual Fund Vs NPS- India TV Paisa Image Source : FILE म्यूचुअल फंड बनाम नेशनल पेंशन सिस्टम

निवेशकों के बीच म्यूचुअल फंड (Mutual funds) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) दोनों काफी पॉपु​लर हैं। लंबी अवधि में ये दोनों निवेश माध्यम वेल्थ क्रिएशन के लिए अच्छे प्रोडक्ट माने जा रहे हैं। इस बीच सवाल उठता है कि एक आम निवेशक को इन दोनों निवेश माध्यम में से किसका चुनाव करना चाहिए। अगर आप भी इस कन्फ्यूजन में हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम आपकी चिंता को दूर कर रहे हैं। हम 5 प्वाइंट में बता रहे हैं कि कौन का प्रोडक्ट का चयन कब करना चाहिए। 

1) एनपीएस बनाम म्यूचुअल फंड

एनपीएस एक लंबी अवधि का इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है। इसका चयन मुख्य रूप से रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए किया जाता है। इसको रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम देने के लिए डिजाइन किया गया है। वहीं, म्यूचुअल फंड मिड से लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन, टैक्स सेविंग, रिटायरमेंट समेत कई बड़े खर्चों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसमें निवेशक अपनी जरूरत के अनुसार गोल सेट कर सकते हैं। 

2) उतार-चढ़ाव 

अगर एनपीएस की बात करें तो यह अधिक सुरक्षित और कम अस्थिर है क्योंकि वे इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूतियों में अपने फंड का निवेश करते हैं, जबकि इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर फंड केवल इक्विटी यानी शेयर में निवेश करते हैं। इसलिए अगर आप शेयर मार्केट के  उतार-चढ़ाव से परेशान होते हैं तो आपको एनपीएस का विकल्प चुनना चाहिए। अगर आप रिटायरमेंट प्लानिंग कर रहे हैं तो एनपीएस में निवेश करना बेहतर विकल्प होगा। 

3) इनकम टैक्स छूट

एनपीएस निवेशकों को आयकर की धारा 80 CCD(1B) के तहत 50 हजार रुपये की अतिरिक्त टैक्स मिलता है। एनपीएस निवेश पर टैक्स छूट, कैपिटल एप्रिसिएशन पर कर छूट, और पेंशन कॉर्पस के 60% पर कर छूट और वार्षिकी उत्पाद खरीदने पर टैक्स छूट मिलती है। वहीं, केवल इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) म्यूचुअल फंड ही कर छूट का लाभ उठा सकते हैं। 

4) लॉक-इन पीरियड 

एनपीएस टियर 1 निवेश में सेवानिवृत्ति तक लॉक-इन अवधि होती है (आंशिक निकासी के लिए कुछ पूर्व शर्तों के साथ)। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड को छोड़कर, जिनमें 3 साल का लॉक-इन होता है, अधिकांश इक्विटी म्यूचुअल फंड में लॉक-इन अवधि नहीं होती है। इसलिए अगर आप लंबी अवधि की लॉक-इन पीरियड से बचना चाहते हैं तो आप ईएलएसएस म्यूचुअल फंड का चयन कर सकते हैं। 

5) किसमें ज्यादा रिटर्न

जोखिम अधिक होने के कारण, इक्विटी म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में अधिक रिटर्न प्रदान करता है। वहीं, एनपीएस योजनाएं आम तौर पर 10-12% रिटर्न देती हैं, जबकि इक्विटी म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में 14-16% रिटर्न देते हैं। इसलिए, किसी को अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश उद्देश्य के अनुसार चयन करना चाहिए। एनपीएस और इक्विटी म्यूचुअल फंड प्रत्येक में अलग-अलग शुल्क संरचनाएं, लॉक-इन अवधि, एक्जिट लोड, निवेश रणनीतियां और कर लाभ होते हैं। इसलिए, निवेश करने से पहले इन प्वाइंट का आकलन जरूर करना चाहिए। 

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