A
Hindi News धर्म त्योहार Bach Baras Vrat Katha 2025: यहां पढ़ें बछ बारस यानी गोवत्स द्वादशी की पावन कथा

Bach Baras Vrat Katha 2025: यहां पढ़ें बछ बारस यानी गोवत्स द्वादशी की पावन कथा

Bach Baras (Govatsa Dwadashi) Vrat Katha 2025: धनतेरस से एक दिन पहले गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है जिसे बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गायों और बछड़ों की पूजा की जाती है। यहां आप जानेंगे बछ बारस की पावन कथा।

bach baras katha- India TV Hindi Image Source : CANVA बछ बारस की कथा

Bach Baras (Govatsa Dwadashi) Vrat Katha 2025: हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी के दिन गोवत्स द्वादशी का त्योहार मनाया जाता है। जिसे बछबारस, वसु बारस, वाघ बरस और बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है। ये त्योहार धनतेरस से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस साल बछ बारस का त्योहार 17 अक्तूबर 2025 को मनाया जा रहा है। इस दिन गोधूलि बेला में पूजा की जाती है। जो लोग गोवत्स द्वादशी व्रत रखते हैं वे दिन में गेहूं और दूध के उत्पादों का सेवन नहीं करते। गोवत्स द्वादशी की पूजा महिलाओं द्वारा पुत्र की मंगल-कामना के लिए की जाती है। चलिए आपको बताते हैं बछ बारस की कथा के बारे में।

Bachh Baras (Govatsa Dwadashi) Vrat Katha - बछ बारस की कथा

बछ बारस की कथा अनुसार एक गांव में भीषण अकाल पड़ गया। उस गांव में एक धर्मात्मा साहूकार रहता था। उसने एक तालाब बनवाया था पर उसमें पानी नही आया था। साहूकार ने विद्वान् पंडितो से पूछा – कि तालाब में पानी नही आने का क्या कारण हैं? इसका कोई उपाय बताइए। तब पंडितो ने कहा कि इसमें एक बालक की बली देनी होगी तब पानी आ जाएगा। साहूकार चिंता में पड़ गया और सोने लगा कि अपना बालक कौन देगा तो साहूकार के दो पोते थे उसने सोचा कि मैं अपने ही एक पोते की बली दे देता हूं इससे गांव में पानी आ जायेगा। परन्तु इस बारे में बहू से कैसे बात करें साहूकार ये सोचने लगा। साहूकार ने बहू को उसके मायके भेज दिया और छोटे पोते को अपने पास रख लिया। बहू पीहर चली गई और पीछे से छोटे पोते की बलि दे दी गई। इसके बाद तालाब लबालब भर गया।

साहूकार ने बड़ा यज्ञ किया। सभी को बुलवाया गया परन्तु उसने बहू को नहीं बुलवाया। जब बहू को पता चला कि उसके ससुराल में यज्ञ हो रहा है तो उसने सोचा कि ज्यादा काम की वजह से शायद ससुराल वाले उसे सूचना देना भूल गए होंगे।बहू ने अपने भाई से कहा कि मुझे मेरे घर छोड़ आइए। बहू ने अपने ससुराल आते ही सास के साथ बछबारस की पूजा की और वह तालाब पर चली गई। साहूकार साहुकरनी मन ही मन बछबारस माता से प्रार्थना करने लगे की हे माता ! हमारी लाज रखना। हम बहू को उसका बेटा कहा से देंगे। तालाब और गाय की पूजा कर तालाब का किनारा खंडित कर बोली 'आवो मेरे बेटो लड्डू उठाओ' सासुजी मन ही मन विनती करती रही। फिर तालाब की मिटटी में लिपटा हुआ बछराज आया हंसराज को भी बुलाया।

पूजा सम्पन्न कर बहू बोली सासुजी ये सब क्या है? तब सासू जी ने बहू को सारी बात बताई और कहा बछबारस माता ने हम सब की लाज रख ली। कहते हैं तभी से बछबारस की पूजा में महिलायें गाय के गोबर से तालाब बनाकर पूजा कर किनारा खण्डित कर उस पर लड्डू रख कर अपने बेटे से उठवाती हैं। हे बछबारस माता जैसे साहूकार साहुकारनी की लाज रखी वैसे ही सबकी रखना।

Bach Baras Vrat Katha PDF Download

यह भी पढ़ें:

Rama Ekadashi Vrat Katha PDF: रमा एकादशी पर जरूर पढ़ें ये पावन कथा, जीवन में आएगी सुख-समृद्धि, पापों से भी मिलेगी मुक्ति

Rama Ekadashi Vrat 2025: रमा एकादशी का पारण समय क्या रहेगा?, जानें व्रत खोलने का सटीक टाइम और तरीका