Mahavir Jayanti 2023: इन संदेश और तस्वीरों के साथ दोस्तों और करीबियों को दें शुभकामनाएं
Happy Mahavir Jayanti 2023: भगवान महावीर समाज कल्याण के लिए काफी काम किया। उन्होंने अपने अनमोल विचारों से लोगों को जीवन की प्रेरणा दी। आज उनकी जयंती के मौके पर जानें उनके कुछ अनमोल विचार।
Mahavir Jayanti 2023: त्याग शब्द के सामने आते ही हम सबको भगवान महावीर सबसे पहले याद आते हैं। महावीर के विचार आज भी लोगों के लिए जीवन पथ पर मशाल की तरह राह दिखाने वाले हैं। हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष को जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को लेकर जैन धर्म में मान्यता है कि महावीर का जन्म ईसा से 599 साल पहले बिहार के कुंडग्राम में हुआ था। आज महावीर जयंती के मौके पर हम उनके दिए संदेश एक-दूसरे को भेजकर उन्हें याद करते हैं। तो हम आपको कुछ भगवान महावीर के ऐसे ही कुछ संदेश बताने जा रहे हैं जिन्हें भेजकर आप अपने अपनों को महावीर जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं।
12 साल तक किया था कठोर तप
भगवान महावीर ने 12 सालों तक कठोर तप किया था जिससे उन्हें इन्द्रियों पर विजय प्राप्त हुई थी। दीक्षा लेने के बाद भगवान महावीर ने दिगंबर स्वीकार कर लिया। दिगंबर लोग आकाश को ही अपना वस्त्र मानते हैं इसलिए वस्त्र धारण नहीं करते हैं। उन्होंने समाज कल्याण के लिए काफी काम किया। उन्होंने अपने अनमोल विचारों से जनमानस को प्रेरणा दी।
महावीर के अनमोल वचन
- भगवान महावीर ने कहा कि हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो। घृणा से विनाश होता है।
- हर व्यक्ति अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
- स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।
- आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
- खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
- आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये।
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महावीर के 3 सूत्र
- हमें स्वयं से लड़ने की प्रेरणा देते हैं। वे कहते हैं- स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? जो प्राणी स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा उसे सभी सुखों की प्राप्ति होगी।अपने आप पर विजय प्राप्त करना अनेकों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
- आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु अपने भीतर रहते हैं वे शत्रु हैं- लालच, द्वेष, क्रोध, घमंड ,आसक्ति और नफरत इनसे मनुष्य को सदैव बचना चाहिए।
- मनुष्य के दुखी होने की वजह खुद की गलतियां ही है, जो मनुष्य अपनी गलतियों पर काबू पा सकता है वहीं मनुष्य सच्चे सुख की प्राप्ति भी कर सकता है। कठिन परिस्थितियों में भी मन को विचलित नहीं करना चाहिये।