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आज ही के दिन पहली बार किसी क्रिकेटर को दी गई थी फांसी, जानिए क्या था जुर्म

क्रिकेट के इतिहास में 17 मई का दिन एक बेहद ही अकल्पनीय घटनाक्रम के तौर पर दर्ज है। आज ही के दिन 65 साल पहले जमैका में एक व्यक्ति को फांसी पर लटकाया गया जोकि एक इंटरनेशनल क्रिकेटर था।

<p>आज ही के दिन पहली बार...- India TV Hindi Image Source : GETTY IMAGES आज ही के दिन पहली बार किसी क्रिकेटर को दी गई थी फांसी, जानिए क्या था जुर्म

क्रिकेट के इतिहास में 17 मई का दिन एक बेहद ही अकल्पनीय घटनाक्रम के तौर पर दर्ज है। आज ही के दिन 65 साल पहले जमैका में एक व्यक्ति को फांसी पर लटकाया गया जोकि एक इंटरनेशनल क्रिकेटर था। इस क्रिकेटर का नाम था लेस्ली हिल्टन जिसने वेस्टइंडीज की ओर से 6 टेस्ट मैच खेले थे। लेस्ली का इंटरनेशनल क्रिकेटर बनने का सफर काफी संघर्षों से भरा रहा। लेस्ली का जन्म 29 मार्च 1905 को जमैका के स्पेनिश टाउन में एक गरीब परिवार में हुआ था। जब लेस्ली महज 3 साल के थे तभी उनके माता-पिता इस दुनिया को छोड़कर चले गए और उसके बाद लेस्ली की परवरिश उनकी बहन ने की।

आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वेस्टइंडीज के इस क्रिकेटर को 13 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़कर एक टेलर की दुकान में काम करने को मजबूर होन पड़ा। इसके बाद उन्होंने क्रिकेट में हाथ आजमाया और जल्द ही लोकल स्तर पर मशहूर हो गए। लेस्ली जब महज 21 साल के थे तभी उन्हें फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने का मौका मिला।

साल 1926-27 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में आगाज करने के साथ ही लेस्ली ने सफलता की सीढ़िया चढ़ना शुरू कर दिया और अपनी प्रतिभा के दम आखिरकार वेस्टइंडीज की क्रिकेट में जगह बनाने में सफल रहे।

वर्ल्ड वॉर ने लगाया करियर पर विराम

तेज गदेंबाज लेस्ली हिल्टन ने 1934-35 में इंग्लैंड के खिलाफ ब्रिजटाउन में डेब्यू किया और पहले ही टेस्ट 4 विकेट झटकने में सफल रहे। इस मैच की दूसरी पारी में हिल्टन को ओपनिंग करने का मौका मिला और 19 रन बनाए। लेस्ली ने अपने करियर की पहली टेस्ट सीरीज में कुल 13 विकेट चटकाए। हिल्टन का करियर अभी परवान चढ़ ही रहा था कि द्वितीय विश्व युद्ध का ऐलान हो गया जिसकी वजह से उन्होंने जुलाई 1939 में इग्ंलैड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट के बाद क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

हिल्टन ने वेस्टइंडीज की ओर से 6 टेस्ट में 19 विकेट चटाए जिसमें उनका औसत 26.12 का रहा। इसी साल उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट से भी रिटायरमेंट ले लिया।फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 40 मैच में 25.62 की औसत से 120 विकेट हासिल किए और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 24 रन देकर 5 विकेट रहा।

क्रिकेट से रिटायरमेंट के कुछ ही दिनों बाद लेस्ली हिल्टन जमैका के इंस्पेक्टर की बेटी लर्लिन रोज से मिले और दिल दे बैठे। हालांकि दोनों के लिए इस रिश्ते को शादी में बदलना इतना आसान नहीं था क्योंकि लेस्ली एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे।

लर्लिन रोज का परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था। हालांकि इस सबके बावजूद लेस्ली ने साल 1942 में आखिरकार लर्लिन से शादी रचा ली। शादी के 5 साल बाद लर्लिन ने एक बेटे ने जन्म दिया। दोनों का वैवाहिक जीवन अच्छी तरह गुजर रहा था कि तभी एक घटना ने पूरे परिवार की खुशियों को बर्बाद कर दिया। 

पति पत्नी और वो

दरअसल, हिल्टन की पत्नी लर्लिन का सपना एक फैशन डिजाइनर बनना था जिसके सिलसिले में वह अक्सर न्यूयॉर्क जाने लगीं। इस बीच लेस्ली को एक गुमनाम खत मिला जिसमें लिखा था कि उनकी पत्नी का रॉय फ्रांसिस नाम के एक व्यक्ति से अफेयर चल रहा है। इसके बाद उन्होंने पत्नी को टेलीग्राम भेजकर न्यूयॉर्क से तुरंत लौटने को कहा। 

लेस्ली ने लर्लिन के घर पहुंचने पर उनसे रॉय फ्रांसिस से अफेयर के बार में पूछा लेकिन उन्होंने किसी भी तरह के रिश्ते से इनकार कर दिया और कहा कि फ्रांसिस से बस उनकी जान-पहचान है। इस बात को अभी ज्यादा नहीं बीते थे कि लेस्ली को एक लेटर मिला जो उनकी पत्नी ने फ्रांसिस को लिखा था। ये देख हिल्टन गुस्से में पागल हो गया और बंदूक से 7 गोलियां अपनी पत्नी को मार दी जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

इसके बाद ये मामला अदालत में गया जहां उन्हें पत्नी की हत्या का दोषी पाया और फांसी की सजा सुनाई गई। आखिरकार लेस्ली हिल्टन को 17 मई 1955 को 50 साल की उम्र में फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया। हिल्टन इकलौते क्रिकेटर हैं, जिन्हें सजा-ए- मौत मिली।

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