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Hindi News खेल क्रिकेट Video Blog: T-20 का चस्का क्या टीम इंडिया को पड़ेगा भारी..?

Video Blog: T-20 का चस्का क्या टीम इंडिया को पड़ेगा भारी..?

भारत के खेल प्रेमी ट्वेंटी-20 क्रिकेट को अपना क्रिकेट मान चुके हैं...इस फॉर्मेट से प्यार करने लगे है, इन्जॉय करने लगे है, इसकी चर्चा करने लगे हैं...या यूं कहें कि इस फॉर्मेट को जीने लगे

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भारत के खेल प्रेमी ट्वेंटी-20 क्रिकेट को अपना क्रिकेट मान चुके हैं...इस फॉर्मेट से प्यार करने लगे है, इन्जॉय करने लगे है, इसकी चर्चा करने लगे हैं...या यूं कहें कि इस फॉर्मेट को जीने लगे हैं। वैसे धूम-धड़ाका क्रिकेट को दिल से लगाने की अपनी वजहें भी हैं। महेंद्र सिंह धोनी, जो देश के सबसे लोकप्रिय कप्तान और खिलाडी है, उनको इस फॉर्मेट का जबर्दस्त चस्का है। इस फॉर्मेंट में वो जिस तरह ताबड़तोड क्रिकेट खेलते हैं वो उनकी ताकत है और खेलप्रेमियों को ये पसंद भी। वहीं क्रिकेट के इस फॉर्मेंट को अपना मानने की एक वजह 2007 में भारत का वर्ल्ड चैंपियन बनना भी है। इस फॉर्मेट में ही युवराज सिंह ने एक ओवर में छह छक्के लगाकर हर किसी को हैरान किया तो एक गुमनाम सा खिलाड़ी जोगिंदर शर्मा ने आखिरी ओवर डालकर पाकिस्तान पर हमारी जीत पक्की कर खेल प्रेमियों को दिवाना बना दिया।

ज़ाहिर है इसके तुरंत  बाद बीसीसीआई ट्वेंटी-20 के प्रति खेलप्रेमियों की भूख को नज़रअंदाज़ नहीं कर पाई और साल 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग लॉन्च कर दिया। आईपीएल आते ही कप्तान धोनी का चस्का पूरे भारत को लग गया.। टेस्ट क्रिकेट और यहां तक की वन-डे क्रिकेट ने भी टी ट्वेंटी के सामने धुटने टेक दिए। लेकिन अब टी ट्वेंटी का यही चस्का डराने लगा है। ये डर हकीकत के कितने करीब या दूर है ये जानना बहुत ज़रुरी है। पिछले नौ सालों में ख़ासकर आईपीएल जब से शुरु हुआ, ये सच सामने आने लगा कि ट्वेंटी-20  क्रिकेट पॉवर क्रिकेट है। इस क्रिकेट में बल्लेबाजों के कंधों में कितना दम है ये टेकनिक से ज्यादा मायने रखता है। और इसका सबसे बड़ा सबूत बल्लेबाजों के आंकड़े हैं....

आईपीएल में अबतक 36 शतक लगे हैं जिसमें से भारतीय खिलाड़ियों ने सिर्फ 12 शतक लगाए हैं...बाक़ी 24 शतक विदेशी बल्लेबाजों के नाम हैं....इसमें भी बात की जाए सबसे तेज़ शतक की तो वेस्टइंडीज के क्रिस गेल का कोई तोड़ नहीं है। गेल 30 गेंदों में सैकड़ा लगा चुके हैं...हां, दूसरे नंबर पर यूसुफ पठान और छठे नबंर पर मुरली विजय ज़रुर हैं लेकिन इसके अलावा बाक़ी खिलाड़ी विदेशी ही हैं और गेल तो टॉप टेन में 3 बार अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं।
वहीं बात छक्के लगाने की करें तो छक्के लगाने के मामले में आईपीएल में भारतीय बल्लेबाज रेस में तो है लेकिन गेल यहां भी 230 छक्के लगाकर नंबर वन हैं ।गेल के बाद दूसरे नंबर पर आते हैं सुरेश रैना,लेकिन रैना गेल से 57 छक्के पीछे हैं।

छक्के लगाने के मामले में चलिए अब आपको अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर ले चलते है। यहां भी भारतीय बल्लेबाजों के लिए तस्वीर थोड़ी डरवानी है और वो ऐसे कि विदेशी धरती पर छक्के लगाने के मामले में टॉप फाइव में एक भी भारतीय नहीं हैं। सातवें नंबर पर ज़रुर युवराज सिंह है जो अपने करियर के आखिरी पड़ाव में है। क्रिस गेल ने जहां 98 छक्के लगाये वहीं मैकुल्लम ने 91, वॉटसन 83, गुप्तील 76, वॉर्नर 74 छक्के जड़कर टॉप फाइव पर काबिज है। इन आंकड़ों से ये साफ है कि ये सारे पॉवर हिटर्स हैं और इन्हीं का टी ट्वेंटी में बोलबाला है।

टी ट्वेंटी फॉर्मेट में तकनीक की जगह पॉवर के इस्तेमाल करने की बात और पुख्ता तब होती है जब आईपीएल के अलावा दूसरे लीग के आंकड़े भी दुनिया के कई क्रिकेटर्स के साथ जुड़ते हैं हालांकि इस मामले में भारतीय बल्लेबाज बदकिस्मती है कि वो आईपीएल के अलावा दूसरे लीग में नहीं खेलते। जब दुनिया की हर लीग खेलने वाले खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा छक्के लगाने की बात हो तो गेल का यहां भी कोई सानी नहीं है। गेल के नाम जहां 637 छक्के हैं तो वहीं दूसरे नंबर पर मौजूद हैं वेस्टइंडीज़ के ही कैरॉन पॉलार्ड। गेल के पोलार्ड से 249 छक्के ज्यादा हैं, पॉलार्ड के खाते में हैं 388 छक्के हैं तो वहीं ब्रैंडन मैक्कलम के 294 , ड्वेन स्मिथ 275 और वॉर्नर के खाते में 266 छक्के।

इन आंकड़ों को देखने के बाद आपको भी भारतीय हॉकी की याद आ गई होगी कि किस तरह देखते ही देखते एस्ट्रो टर्फ ने भारत से उसकी तकनीक वाली हॉकी (स्टिक वर्क) छीन लिया। कुछ वैसे ही जैसे टेनिस में बॉरिस बेकर और जिवोजिनोविच जैसे खिलाड़ियों ने अपने पॉवर टेनिस से टच प्लेयर्स को खत्म कर दिया और दुनिया को फिर कभी जॉन मैक्नरो और जिमी कॉर्नस जैसे खिलाड़ी देखने को नहीं मिले।

कहीं ना कहीं टी ट्वेंटी क्रिकेट भी उसी दिशा में चल रही है क्योंकि इस फॉर्मेट में जिंदा रहने के लिए भारतीय खिलाड़ियों को गेल, पॉलार्ड और वॉर्नर जैसे पॉवर हिटर बनना होगा,जो धोनी के बाद शायद ही दिखाई दे रहा है। शुक्र है कि आज भी इग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमें इस फॉर्मेट को लेकर गंभीर नहीं है और ना ही उनके पास इसके लिए कोई रोड मैप ही है। ऐसे में वक्त रहते बीसीसीआई को इसका फायदा उठाकर अपना रोड मैप तय करना चाहिए क्योंकि फॉर्मेट चाहे कोई भी हो,कितनी भी लोकप्रिय हो, फैंस तब तक ही साथ हैं जब तक कोई टीम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल है।

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