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Hindi News खेल क्रिकेट On This Day: धोनी की कप्तानी में दूसरी बार विश्व चैंपियन बनी थी भारतीय टीम, खत्म हुआ था 28 सालों का इंतजार

On This Day: धोनी की कप्तानी में दूसरी बार विश्व चैंपियन बनी थी भारतीय टीम, खत्म हुआ था 28 सालों का इंतजार

2 अप्रैल 2011 के दिन भारतीय क्रिकेट टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी दूसरी बार विश्व कप का खिताब जीतने का गौरव हासिल किया था।

World Cup 2011, MS Dhoni, India vs Sri Lanka, Gautam Gabhir, Yuvraj Singh, Sachin Tendulkar, Virenda- India TV Hindi Image Source : GETTY IMAGES World Cup 2011

2 अप्रैल 2011 का यह दिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। आज ही के दिन भारतीय क्रिकेट टीम ने 28 सालों के सुखे को खत्म कर दूसरी बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया था। इससे पहले भारतीय टीम साल 1984 में कपिल देव की कप्तानी में विश्व चैंपियन बनी थी जिसके बाद एक बार फिर से टीम इंडिया ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में इस इतिहास दोहराया।

यह विश्व कप कई मायनों में भारत के खास थी। सबसे पहले तो यह कि आईसीसी का यह सबसे बड़ा टूर्नामेंट भारतीय सरजमीं पर खेला जा रहा था। ऐसे में भारत के पास विश्व चैंपियन बनने का मौका इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता था।

वहीं दूसरी तरफ महान खिलाड़ी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर अपने करियर के अंतिम चरण में थे। सचिन भारत के लिए 20 सालों से भी अधिक समय तक क्रिकेट खेल चुके थे लेकिन वे कभी विश्व विजेता टीम का हिस्सा नहीं बन सके थे।

फाइनल में श्रीलंका से थी भिड़ंत

विश्व कप 2011 की शुरुआत 19 फरवरी को मेजबान भारत और बांग्लादेश के बीच मुकाबले के साथ हुआ था। इस मैच में भारतीय टीम ने जो विजयी शुरुआत वह श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच में खिताबी जीत पर आकर रुका।

विश्व कप फाइनल मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था। इस मैच में श्रीलंकाई टीम टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरी। बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरी श्रीलंकाई टीम को भारतीय गेंदबाजों ने शुरुआती झटके दिए लेकिन अनुभवी बल्लेबाज महेला जयवर्धने एक छोड़ पर डट खड़े हो गए।

लगातार गिरते विकटों के बीच जयवर्धने ने 88 गेंदों में 103 रनों की शतकीय पारी खेली। अपनी इस पारी में जयवर्धने ने 13 चौके लगाए। जयवर्धने की इस शतकीय पारी की बदौलत ही श्रीलंका की टीम भारत के सामने निर्धारिक 50 ओवर में 274 रनों का स्कोर खड़ा पाई थी।

Image Source : GettyMS Dhoni and Kumar sangakara

सचिन-सहवाग हुए थे फ्लॉप

श्रीलंका के द्वारा दिए गिए 275 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को सचिन (18) और वीरेंद्र सहवाग (0) के रूप दो शुरुआती झटके लगे। इन दोनों के विकेट गिरने के बाद दर्शकों में मायूसी छा गई लेकिन दूसरे छोर पर गौतम गंभीर अपना खूंटा गाड़े हुए थे।

इसके बाद गंभीर और विराट कोहली (35) ने तीसरे विकेट के लिए 83 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी कर भारतीय उम्मीदों को बढ़ा दिया। हालांकि गंभीर और कोहली के बीच यह साझेदारी अधिक लंबी नहीं रही और पारी के 22वें ओवर में कोहली भी आउट हो गए। 

इसके बाद चौथे विकेट के लिए धोनी ने गंभीर के साथ मिलकर 109 रनों की पार्टनरशिप कर मैच को पूरी तरह से भारत की झोली में डाल दिया।

Image Source : GettySachin Tendulkar and Lasith Malinga

शतक से चूके गंभीर

शुरुआती झटके के बाद विश्व कप के फाइनल मैच में गौतम गंभीर ने जिस तरह से पारी संभाला उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है। ऐसा कहा जा सकता है कि गंभीर की सूझबुझ की बदौलत ही भारतीय टीम को विश्व कप का खिताब जीतने में आसानी हुई थी।

गंभीर इस मैच में 97 रन बनाकर आउट हुए थे और महज 3 रन से विश्व कप में शतक बनाने से चूक गए। अपनी इस पारी में उन्होंने 122 गेंदों का सामना किया था जिसमें 9 चौके शामिल थे।

हालांकि गंभीर अपने शतक से जरुर चूक गए लेकिन अपनी इस मैराथन पारी की बदौलत उन्होंने विश्व कप फाइनल में भारतीय टीम की जीत पक्की कर दी थी।

Image Source : GettyGautam Gambhir

धोनी का विजयी छक्का

विश्व कप के फाइनल मैच में कमेंटेटर की वह आवाज जिसमें धोनी के छक्के का जिक्र है शायद ही किसी भारतीय फैंस ने ना सुना हुआ। इस मैच में गंभीर के बाद धोनी ने सबसे अधिक नाबाद 91 रनों की पारी खेली थी।

धोनी ने इस मैच में 79 गेंदों का सामना करते हुए 91 रन बनाए थे जिसमें 8 चौके और दो छक्के शामिल रहे। इसमें धोनी का दूसरा छक्का भारतीय टीम के लिए वियजी शॉट था और इसी के साथ भारत ने 10 गेंद शेष रहते ही 6 विकेट से यह मैच अपने नाम कर लिया।

आपको बता दें कि पूरे मैच में सिर्फ चार छक्के लगे थे जिसमें से भारत की तरफ से दो छक्के धोनी ने लगाए। वहीं श्रीलंकाई पारी में नुवान कुलासेकरा और थिसारा परेरा ने एक-एक छक्का लगाया था।

Image Source : GettyMS Dhoni 

युवराज बने मैन ऑफ द सीरीज

विश्व कप 2011 का हीरो भारतीय टीम के युवराज सिंह रहे। कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से जुझते हुए भी उन्होंने इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया, जिसके कारण उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया।

इस टूर्नामेंट में युवराज ने बैट और गेंद दोनों से दमदार प्रदर्शन किया था। युवराज से अपने ऑलराउंड प्रदर्शन में बल्लेबाजी के दौरान 362 रन बनाए जिसमें एक बेहतरीन शतक भी शामिल था।

वहीं गेंदबाजी में युवराज सिंह 15 विकेट लिए थे।

Image Source : GettyYuvraj singh

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