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Hindi News पश्चिम बंगाल हिरासत में हुईं 4 मौतों पर ममता सरकार को कलकत्ता HC का आदेश, 10 दिनों के भीतर दाखिल करे रिपोर्ट

हिरासत में हुईं 4 मौतों पर ममता सरकार को कलकत्ता HC का आदेश, 10 दिनों के भीतर दाखिल करे रिपोर्ट

पुलिस ने सभी चार पीड़ितों अब्दुल रज्जाक दीवान, जिया-उल-लस्कर, अकबर खान और सैदुल मुंशी को डकैती के प्रयास से संबंधित चार अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया था। बरुईपुर सुधार गृह में न्यायिक हिरासत में 10 दिनों के भीतर उनकी मौत हो गई थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट - India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO कलकत्ता हाई कोर्ट

कलकत्ता हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को दक्षिण 24 परगना जिले के बरूईपुर सुधार गृह में इस साल जुलाई के अंत और अगस्त की शुरुआत में 10 दिनों के अंदर हुईं चार मौतों पर दो हफ्तों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। पुलिस ने सभी चार पीड़ितों अब्दुल रज्जाक दीवान, जिया-उल-लस्कर, अकबर खान और सैदुल मुंशी को डकैती के प्रयास से संबंधित चार अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया था। 

बरुईपुर सुधार गृह में न्यायिक हिरासत में 10 दिनों के भीतर उनकी मौत हो गई थी। उनके शरीर पर कथित यातना के निशान भी देखे गए थे। आपराधिक जांच विभाग (CID) द्वारा मौतों की जांच शुरू की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ममता सरकार ने पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया। साथ ही प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को राज्य सरकार की नौकरी भी दी। 

मामले की सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग की गई थी

हालांकि, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें मामले की सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग की गई थी। एपीडीआर के वकील कौशिक गुप्ता ने बताया कि मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई, जिसके बाद बेंच ने राज्य सरकार को अगले दो सप्ताह के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।

एपीडीआर के महासचिव रंजीत सूर ने बताया कि एक ही सुधार गृह में हिरासत में मरने वाले सभी अल्पसंख्यक समुदाय से थे, जो मामले में पुलिस की संलिप्तता पर संदेह पैदा करता है। उन्होंने कहा है कि हमें सीआईडी जांच में कोई भरोसा नहीं है, वह कुछ और नहीं बल्कि राज्य पुलिस का एक अंग है। इसलिए हमने कलकत्ता हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायिक समिति की ओर से मामले की जांच की मांग की गई है। वहीं, राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता एसएन मुखोपाध्याय मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए तय अवधि के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का आश्वासन दिया है।