निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र लिखकर राज्य में मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय को प्रशासन के नियंत्रण से अलग करके उसकी पूर्ण "वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता" सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को लिखे पत्र में आयोग के अवर सचिव आशुतोष एम ने कहा कि सीईओ कार्यालय को गृह विभाग से अलग करने की आवश्यकता है। इस पत्र की एक प्रति ‘पीटीआई-भाषा’ के पास है। बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
चुनाव आयोग ने स्वतंत्रता सुनिश्चित करने को कहा
पत्र में कहा गया है, "सीईओ की वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता फिलहाल सीमित है। गृह विभाग के अधीन होने से चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित होती है। एक अलग, स्वायत्त चुनाव विभाग बनाया जाना चाहिए।" इसमें कहा गया है कि मौजूदा व्यवस्था में सीईओ का कार्यालय सीमित वित्तीय शक्तियों के साथ काम करता है तथा वित्त विभाग से मामूली स्थायी अग्रिम राशि पर निर्भर रहता है। पत्र में कहा गया है, "इसके अलावा, सीईओ कार्यालय को गृह एवं पहाड़ी मामलों के विभाग की अधीनस्थ शाखा के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका नेतृत्व प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा किया जाता है, जबकि सीईओ अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) रैंक के होते हैं।"
पत्र में चुनाव आयोग ने दिया सुझाव
पत्र में आयोग ने "एक अलग निर्वाचन विभाग बनाने का सुझाव दिया है, जो राज्य सरकार के किसी भी अन्य विभाग से पूरी तरह अलग हो।" इसमें कहा गया है कि निर्वाचन विभाग के पास एक समर्पित बजट प्रमुख होना चाहिए। बता दें कि इस मामले में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने की मांग चुनाव आयोग से की है। पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि हमने भाजपा विधायकों और भाजपा नेताओं के साथ यहां मार्च किया। बिहार में जो कवायद (SIR) हो रही है, वह यहां भी होनी चाहिए।
(इनपुट-भाषा)