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बंगाल में बीजेपी के 2 MLA दे सकते हैं विधायकी से इस्तीफा, जानें क्या है कारण

बता दें कि पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान जमकर राजनीतिक हिंसा हुई थी। 2 मई को नतीजे आने के बाद भी हिंसा का दौर नहीं थमा।

Jagannath Sarkar, Nisith Pramanik, Jagannath Sarkar Bengal BJP MLA- India TV Hindi Image Source : PTI REPRESENTATIONAL पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के 2 विधायक जल्द ही विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे सकते हैं।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के 2 विधायक जल्द ही विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शांतिपुर से बीजेपी के विधायक जगन्नाथ सरकार और दिनहाटा से पार्टी के एमएलए निसिथ प्रमाणिक अपनी-अपनी विधायकी की सीट छोड़ सकते हैं। ये दोनों पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी को अगले 2 सप्ताह के अंदर अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं। बताया जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व चाहता है कि वे एक सांसद के रूप में अपना काम जारी रखें, ताकि वे एक की बजाय 7-7 विधानसभा सीटों की जनता की सेवा कर सकें।

विधानसभा में खाली हो जाएंगी 5 सीटें
जगन्नाथ सरकार पश्चिम बंगाल की राणाघाट लोकसभा सीट से सांसद हैं जबकि निसिथ प्रमाणिक ने 2019 के चुनावों में कूच बिहार की लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। भारतीय जनता पार्टी के इन 2 विधायकों के इस्तीफे के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में कुल 5 सीटें खाली हो जाएंगी। दरअसल, मुर्शिदाबाद की शमशेरगंज और जंगीपुर विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की मौत के चलते चुनाव नहीं हो सके थे। वहीं, उत्तरी 24 परगना के खारदा से विधायक चुने गए तृणमूल कांग्रेस के काजल सिन्हा ने अपनी जीत का जश्न मनाने के पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया।

बंगाल में जमकर हुई है राजनीतिक हिंसा
बता दें कि पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान जमकर राजनीतिक हिंसा हुई थी। 2 मई को नतीजे आने के बाद भी हिंसा का दौर नहीं थमा। बीजेपी के दावे के मुताबिक, राजनीतिक हिंसा में उसके कई कार्यकर्ताओं की मौत हुई है, और उसने इसके लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। 2 मई को आए नतीजों के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीटों पर जीत के साथ पश्चिम बंगाल की विधानसभा में प्रचंड बहुमत हासिल किया, जबकि बीजेपी को 77 सीटों से संतोष करना पड़ा। एक सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी जबकि एक सीट राष्ट्रीय सेक्युलर मजलिस पार्टी के खाते में गई थी। कई दशकों तक बंगाल में शासन करने वाली कांग्रेस और वाम दलों को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली।