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Hindi News विदेश अन्य देश INS Vikranta Vs american Vs chinese warship:अमेरिका के सातवें बेड़े और चीन के फुजियान से कितना अलग है भारत का INS विक्रांत, जानें कौन कितना ताकतवर

INS Vikranta Vs american Vs chinese warship:अमेरिका के सातवें बेड़े और चीन के फुजियान से कितना अलग है भारत का INS विक्रांत, जानें कौन कितना ताकतवर

INS Vikranta Vs american vs chinese warship: दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले युद्धपोतों में शामिल आइएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना में अब शामिल कर लिया गया है। इससे देश की समुद्री ताकत कई गुना बढ़ गई है। भारत थल और नभ के साथ ही अब जल में भी दुश्मनों को तबाह करने का यह सबसे खतरनाक युद्धपोत तैयार कर लिया है।

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Highlights

  • INS विक्रांत की ताकत से घबराए चीन और पाक
  • दुनिया का सबसे बड़ा और खतरनाक सातवां युद्धपोत बना आइएनएस विक्रांत
  • पीएम मोदी ने नौसेना को सौंपा आइएनएस विक्रांत

INS Vikranta Vs american vs chinese warship: दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले युद्धपोतों में शामिल आइएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना में अब शामिल कर लिया गया है। इससे देश की समुद्री ताकत कई गुना बढ़ गई है। भारत ने थल और नभ के साथ ही अब जल में भी दुश्मनों को तबाह करने का यह सबसे खतरनाक युद्धपोत तैयार कर लिया है। इससे परंपरागत दुश्मन कहे जाने वाले पाकिस्तान और चीन में खलबली मच गई है। वहीं अमेरिका जैसे ताकतवर देश भी अब भारत की बढ़ती सामरिक ताकत को देखकर अचंभित हैं। भारत के इस महा विध्वंशकारी आइएनस विक्रांत का दूसरा नाम इंडीजीनियस एअरक्राफ्ट कैरियर (आइएसी) भी है। 

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भारतीय नौसेना के बेड़े में आइएनएस के शामिल होने से अब देश की ताकत कितनी अधिक बढ़ गई है और अब यह अमेरिका के सातवें बेड़े व चीन के युद्धक पोत फुजियान के लिए कैसे चुनौती पेश करेगा, यह जानने के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक युद्धपोत अमेरिका के सातवें बेड़े व चीन के फुजियान वॉर शिप के बारे में भी जानना जरूरी है। आइए अब आपको बताते हैं कि कौन सा युद्धपोत कितना ताकतवर है। तो सबसे पहले बात भारत के आइएनएस विक्रांत की करते हैं।

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आइएनएस विक्रांत 
यह दुनिया का सबसे बड़ा व खतरनाक सातवां विमानवाहक पोत है। भारत के पहले विमानवाहक पोत का नाम भी आइएनएस विक्रांत-11 था। उसी की याद में इसे आइएनएस विक्रांत नाम दिया गया है। यह विमान 262.5 मीटर लंबा और 62.5 मीटर चौड़ा है। इसका डिस्प्लेसमेंट 42 हजार 800 टन है। इसके 18 फ्लोर में 2400 कक्ष हैं। जिसमें 1600 क्रू मेंबर्स के रहने की व्यवस्था है। इस पर 18 मिग 29K और 12 लड़ाकू हेलीकॉप्टर तैनात करने की क्षमता है। इसके अलावा कामोव और अमेरिका से आयातित एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर की भी तैनाती होगी। यहां से काफी संख्या में लड़ाकू विमान एक साथ टेकऑफ और लैंडिंग कर सकते हैं। आइएनएस पर सतह से हवा में मार करने वाली बराक मिसाइलें भी जल्द तैनात की जाएंगी। इससे पहले भारत के पास एक अन्य विमानवाहक पोत आएनएस विक्रमादित्य भी है।

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भारत का नया आइएनएस विक्रांत करीब 2.5 एकड़ में फैला है। इसमें 16 बेड का मिनी हॉस्पिटल, ऑपरेशन थिएटर, 64 स्लाइस सीटी स्कैन मशीन, अल्ट्रासाउंड व डिजिटल एक्सरे इत्यादि की भी इमरजेंसी व गैस टर्बाइन सिस्टम भी है। इसमें आरएएन-401 थ्री डी एअर सर्विलांस सिस्टम है। सेल्फ प्रोटेक्शन के लिए कवच कॉफ डिकॉय सिस्टम और टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम है। इसमें एके-360 क्लोज वीपन सिस्टम और रिमोट कंट्रोल गन सुविधाएं हैं। नौसैनिकों के लिए एक दिन में 16 हजार रोटियां और छह हजार इडली की क्षमता वाला किचन है। इसकी रैंज 3900 किलोमीटर तक है। यानि बिना ईंधन भरे यह कोचि से ब्राजील तक की यात्रा कर सकता है। इसे 20 हजार करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। 

अमेरिका का सातवां बेड़ा
अमेरिका के सावतवें बेड़े का नाम सुनते ही दुश्मनों के होश फाख्ते हो जाते हैं। यह दुनिया के  सबसे खतरनाक युद्धपोतों में शुमार है। परमाणु हथियारों से लैस अमेरिका के सातवें बेड़े में करीब 70 जहाजों और पनडुब्बियों को वहन करन की क्षमता है। इस बेड़े में 150 युद्धक विमान और 20 हजार नौसैनिकों की तैनाती रहती है। 75 वर्षों से यह अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत है। इसका संचालन हिंद महासागर से लेकर पश्चिमी प्रशांत महासागर समेत 36 देशों के सीमाक्षेत्र तक है। अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े की सबसे बड़ी खासियत यह है कि किसी भी दूसरे देश के आर्थिक क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इसे कोई इजाजत लेने की जरूरत नहीं पड़ती। अमेरिका के सातवें बेड़े की स्थापना 15 मार्च 1943 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी। 

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चीन का फुजियान एअरक्राफ्ट कैरियर
फुजियान चीन का सबसे आधुनिक युद्धपोत है। इसकी लंबाई 315 मीटर और डिस्प्लेसमेंट 80 हजार टन है। इस पर एक साथ 36 से ज्यादा युद्धक विमानों की तैनाती हो सकती है। अमेरिकी युद्धपोत की तरह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापोल्टस से लैस है। जो भारी भरकम विमानों को लांच करने की क्षमता रखता है। इसमें लगे अत्याधुनिक रडार 500 किलोमीटर तक के दायरे को स्कैन कर सकते हैं। इस युद्धपोत में कैटापोल्ट्स लगे होने के कारण लड़ाकू विमान अत्यधिक ईंधन और युद्धक सामग्री के साथ उड़ान भर सकते हैं। इस पर चीन अपना प्रमुख लड़ाकू विमान जे-15, जे -35, केजे-600 समेत टोही विमानों की भी तैनाती कर रहा है। 

 

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