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सेना प्रमुख बाजवा के कार्यकाल बढ़ाने के फैसले पर भड़का विपक्ष, अलग-थलग पड़े इमरान खान

जनरल बाजवा को नवंबर 2016 में पाक सेना प्रमुख के पद पर बैठाया गया था। यह नियुक्ति तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने की थी। ऐसा माना जाता है कि बाजवा को कश्मीर मसले पर लंबा अनुभव है। उनके दोबारा चयन का भी ये ही आधार माना जा रहा है।

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लाहौर: पाकिस्तान से लगातार ऐसी खबरें आ रहीं थीं जिनमें कहा जा रहा था कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा की मदद के बाद ही इमरान खान सत्ता में आ पाए। अब इमरान खान ने भी बाजवा के नमक का कर्ज उतार दिया है। इमरान खान सरकार ने पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा का कार्यकाल अगले 3 वर्षों के लिए बढ़ा दिया है जिसके बाद विपक्षी दलों ने इमरान खान पर हमला बोल दिया है।

विपक्षी दलों ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को तीन साल का सेवा विस्तार दिये जाने को लोग सकारात्मक तरीके से नहीं लेंगे और इससे गलत संदेश जायेगा कि सेना ‘एक या दो लोगों’ पर निर्भर है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने क्षेत्रीय सुरक्षा के माहौल को देखते हुए बाजवा को तीन साल का सेवा विस्तार दिया है। 

इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा, ‘‘सेवा में विस्तार उचित नहीं है और इससे लोगों में सकारात्मक संदेश नहीं जायेगा। इस सेवा विस्तार का वरीयता क्रम में शामिल कई अधिकारियों पर कॅरियर के लिहाज से तथा उनके मनोबल पर भी असर पड़ेगा।’’ 

उन्होंने कहा कि सेना एक ताकतवर संस्थान है और ‘‘ताकतवर संस्थानों को किसी व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह कितना सक्षम और बेहतर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह संदेश देना बिल्कुल ठीक नहीं है कि सेना एक या दो व्यक्तियों पर निर्भर है।’’ 

अन्य विपक्षी पार्टी पीएमएल-एन ने हालांकि बाजवा के विस्तार पर प्रतिक्रिया देने में सतर्कता बरती। पार्टी के सीनेटर और पूर्व प्रधानमंत्री नवजा शरीफ के करीबी सहयोगी मुसाहिदुल्लाह खान ने कहा, ‘‘हम फिलहाल इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते। बेहतर होगा प्रधानमंत्री खान से इस बारे में पूछा जाए।’’

जनरल बाजवा को नवंबर 2016 में पाक सेना प्रमुख के पद पर बैठाया गया था। यह नियुक्ति तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने की थी। ऐसा माना जाता है कि बाजवा को कश्मीर मसले पर लंबा अनुभव है। उनके दोबारा चयन का भी ये ही आधार माना जा रहा है। उन्होंने कश्मीर और उत्तरी कश्मीर के इलाकों में लंबे समय तक बतौर सेनाधिकारी सेवा दी है। सेना प्रमुख बनने के बाद से जब भी बाजवा ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया है, तब-तब सीमा पार से घुसपैठ की घटनाएं तेज हुई हैं।

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