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Hindi News विदेश एशिया Facebook पोस्ट पर होगी फांसी! पाकिस्तान में 4 युवकों को ईशनिंदा के केस में सजा-ए-मौत

Facebook पोस्ट पर होगी फांसी! पाकिस्तान में 4 युवकों को ईशनिंदा के केस में सजा-ए-मौत

पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले में अदालत ने 4 युवकों को मौत की सजा सुनाई है। इन युवकों पर आरोप है कि इन्होंने पैगंबर और कुरान के बारे में गलत चीजें पोस्ट की थीं।

Pakistan Blasphemy, Pakistan Blasphemy Death, Blasphemy Case- India TV Hindi Image Source : AP REPRESENTATIONAL पाकिस्तान में ईशनिंदा को लेकर अक्सर बवाल मचता रहता है।

लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने सोशल मीडिया पर ईशनिंदा करने के लिए 4 युवकों को मौत की सजा सुनाई है। देश की शीर्ष जांच एजेंसी FIA ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इन युवकों ने पैगंबर के खिलाफ ईशनिंदा वाला कंटेंट फेसबुक पर पोस्ट किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रावलपिंडी के अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश एहसान महमूद मलिक ने फेसबुक पर ईशनिंदा सामग्री पोस्ट करने के लिए सोमवार को चारों को मौत की सजा सुनाई। जज ने फैसला सुनाते हुए आरोपियों को किसी भी तरह की रियायत देने से साफ इनकार कर दिया।

एक युवक को सुनाई की 7 साल कैद की सजा
संघीय जांच एजेंसी (FIA) ने कहा कि उनमें से प्रत्येक को कुरान के खिलाफ ईशनिंदा करने के लिए 28 साल की जेल की सजा भी दी गई है। हालांकि इस केस में पांचवें संदिग्ध उस्मान लियाकत को 7 साल की कैद की सजा सुनाई गई। FIA ने कहा, ‘अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश ने लगभग 20 वर्ष के युवकों मुहम्मद अमीन, वजीर गुल, फैजान रजाक और मुहम्मद रिजवान को फेसबुक पर पैगंबर के खिलाफ ईशनिंदा सामग्री पोस्ट करने के लिए सोमवार को मौत की सजा सुनाई।’ कोर्ट ने कहा, ‘दोषियों ने सोशल मीडिया पर कुरान के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां साझा की थीं।’

‘पैगंबर और कुरान के बारे में गलत बातें पोस्ट कीं’
FIA ने कहा कि उसकी साइबर-अपराध रोधी शाखा ने पिछले साल उमर नवाज नाम के एक शख्स की तरफ से शिकायत मिलने के बाद संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। नवाज ने आरोप लगाया था कि संदिग्धों ने सोशल मीडिया पर पैगंबर और कुरान के बारे में गलत बातें पोस्ट कीं। जांच एजेंसी ने कहा कि जज ने आरोपियों को उनके सोशल मीडिया अकाउंट के फोरेंसिक सबूत पेश किए जाने के बाद दोषी ठहराया। जज ने अपने फैसले में कहा ‘पैगंबर मोहम्मद और कुरान के विरुद्ध ईशनिंदा का अपराध अक्षम्य है। इसलिए आरोपी किसी तरह की रियायत या उदारता के हकदार नहीं हैं।’

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