कच्चातिवु द्वीप को लेकर श्रीलंका के विदेश मंत्री ने दिया बड़ा बयान, भारत का भी लिया नाम; जानें क्या कहा
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर बड़ा बयान दिया है। हेराथ ने कहा कि उनके देश का कच्चातिवु द्वीप छोड़ने का कोई इरादा नहीं है।

कोलंबो: कच्चातिवु द्विप को लेकर चल रहे विवाद के बीच श्रीलंका के विदेश मंत्री ने बड़ा बयान दिया है। श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने कहा है कि उनके देश का कच्चातिवु द्वीप छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। हेराथ ने सिरासा टीवी से बातचीत में कहा, ‘‘इस मुद्दे को सुलझाने के लिए हमारे राजनयिक माध्यम हैं लेकिन यह तय है कि श्रीलंका कभी भी कच्चातिवु को छोड़ने के लिए सहमत नहीं होगा।’’
भारतीय मछुआरों को कर लिया जाता है गिरफ्तार
श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने यह बात श्रीलंकाई जलक्षेत्र में भारतीय मछुआरों को लगातार गिरफ्तार किए जाने की घटनाओं से जुड़े एक सवाल के जवाब में कही। भारत और श्रीलंका के मछुआरे एक-दूसरे के जलक्षेत्र में अनजाने में प्रवेश कर जाते है और वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या कहा था?
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 27 जून को कहा था कि भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने का मुद्दा 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान हुए एक समझौते से उपजा है, जिसके तहत कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में मछली पकड़ने के अधिकारों को छोड़ दिया गया था। हेराथ ने इस मुद्दे को यह कहते हुए टाल दिया कि कच्चातिवु मुद्दे पर ‘बयानबाजी’ केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के बीच ‘राजनीतिक वाद-विवाद’ है।
भारतीय मछुआरों के लेकर क्या बोले हेराथ?
विजिता हेराथ ने भारतीय मछुआरों पर कच्चातिवु के निकट मछली पकड़ने के लिए श्रीलंका की समुद्री सीमा में घुसने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वो ना केवल संसाधनों को लूटते हैं बल्कि समुद्री पौधों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम निश्चित रूप से जानते हैं कि भारत सरकार श्रीलंकाई जलक्षेत्र में लगातार अवैध मछली पकड़ने के पक्ष में नहीं है।’’
जानें क्या है कच्चातिवु द्वीप का विवाद
कच्चातिवु द्वीप हिंद महासागर में भारत के दक्षिण छोर पर है। करीब 285 एकड़ में फैला यह द्वीप भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित है। 17वीं शताब्दी में यह द्वीप मदुरई के राजा रामानंद के अधीन था। अंग्रेजों के शासनकाल में कच्चातिवु द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया। भारत और श्रीलंका दोनों मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर अपना-अपना दावा करते थे। आजादी के बाद समुद्र की सीमा को लेकर 1974-76 के बीच 4 समझौते किए गए थे। समझौते के तहत भारतीय मछुआरों को द्वीप पर आराम करने और जाल सुखाने में इजाजत की गई और यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया।
मछुआरों का मुद्दा है बड़ा मसला
भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों का मुद्दा एक बड़ा मसला है। श्रीलंकाई नौसेना ना सिर्फ भारतीय मछुआरों को पकड़ती है, बल्कि कई बार उनपर गोलियां भी चलाती है। कच्चातिवु के आसपास इस तरह की घटनाएं आम हैं, जहां श्रीलंकाई नौसेना मछुआरों को पकड़ने के साथ उनकी नौकाओं को भी जब्त कर लेती है। बीते कई सालों से यह निरंतर जारी है। (भाषा)
यह भी पढ़ें:
'हत्यारा पर्वत' ने ली एक और जान, अब चढ़ाई के दौरान चेक पर्वतारोही क्लारा कोलोचोवा की हुई मौत
Russia Ukraine War: रूस ने यूक्रेन में मचाई तबाही, कीव में किया अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला