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Hindi News विदेश एशिया Sri Lanka Elections: श्रीलंका में उथल-पुथल जारी, राष्ट्रपति चुनाव के बीच साजित प्रेमदासा ने वापस लिया अपना नाम, SLPP सांसद को करेंगे सपोर्ट

Sri Lanka Elections: श्रीलंका में उथल-पुथल जारी, राष्ट्रपति चुनाव के बीच साजित प्रेमदासा ने वापस लिया अपना नाम, SLPP सांसद को करेंगे सपोर्ट

श्रीलंका के कार्यकारी प्रधानमंत्री के तौर पर काम कर रहे प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे भी 20 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल हैं। इसके लिए सीक्रेट बैलेट में संसद के 225 सदस्य वोट देने के हकदार हैं।

Sri Lanka Presidential Elections- India TV Hindi Image Source : ANI Sri Lanka Presidential Elections

Highlights

  • एसएलपीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व पत्रकार हैं दुलस अलहप्परुमा
  • राजपक्षे सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे अलहप्परुमा
  • रानिल विक्रमासिंघे भी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल

Sri Lanka Presidential Elections: श्रीलंका में विपक्ष के नेता साजित प्रेमदासा ने बड़ा ऐलान करते हुए अपना नाम राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी से वापस ले लिया है। साथ ही कहा है कि वह अब अपने प्रतिद्विंदी दुलस अलहप्परुमा का इस पद के लिए समर्थन करेंगे। प्रेमदासा ने ट्वीट करते हुए कहा कि उनकी पार्टी सामगी जन बालावेगया, उसके गठबंधन के सहयोगी और विपक्ष के साझेदार अलहप्परुमा का समर्थन करेंगे। जो कि श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (SLPP) के सांसद हैं। वह भी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं। प्रेमदासा ने कहा है कि वह अपने फैसले के साथ ही आगे बढ़ेंगे क्योंकि वह श्रीलंका के लोगों का भला चाहते हैं। 

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, 'अपने देश, जिसे मैं प्यार करता हूं, उसके भले और वहां रहने वाले लोगों के लिए मैं अपनी राष्ट्रपति की उम्मीदवारी वापस लेता हूं। सामगी जन बालावेगया, उसके सगठबंधन के सहयोगी और विपक्ष के साझेदार अलहप्परुमा की जीत के लिए मेहनत करेंगे।' बता दें दुलस अलहप्परुमा राजनीतिक पार्टी श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व पत्रकार हैं। वह अतीत की राजपक्षे सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। 

विक्रमासिंघे भी दौड़ में शामिल
 
इस समय श्रीलंका के कार्यकारी प्रधानमंत्री के तौर पर काम कर रहे प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे भी 20 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल हैं। इसके लिए सीक्रेट बैलेट में संसद के 225 सदस्य वोट देने के हकदार हैं। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि विपक्ष के नेता प्रेमदासा इससे पहले कह चुके हैं कि वह राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने बीते शुक्रवार को कहा था कि वह चुनावों में हिस्सा लेंगे क्योंकि उन्हें पता है कि सच की जीत होगी। राष्ट्रपति का ये पद तब खाली हुआ था, जब पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण अपने और अपने परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच पहले मालदीव और फिर सिंगापुर भाग गए थे। वह उस वक्त भागे जब राजधानी कोलंबों में प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने उनके आधिकारिक आवास पर कब्जा कर लिया था। 

श्रीलंका की संसद ने इसके बाद ऐलान किया था कि राष्ट्रपति के पद के लिए मंगलवार को नामांकन दाखिल होगा और 20 जुलाई को नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव होंगे। श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने की शिकायत के बाद मंगलवार को श्रीलंका संसद परिसर में और उसके आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। महिंदा यापा अभयवर्धने ने पुलिस महानिरीक्षक के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी और सांसदों को सोशल मीडिया पर धमकी देने वाले भड़काऊ संदेशों के खिलाफ विस्तृत जांच की मांग की थी।

सांसदों ने सोमवार को की शिकायत

यह शिकायत ऐसे समय में की गई है, जब गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने के बाद देश में 20 जुलाई को नए राष्ट्रपति का चुनाव किए जाने की उम्मीद है। श्रीलंका की सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के सांसदों ने सोमवार को शिकायत की थी कि उन्हें सोशल मीडिया पर श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमासिंघे के खिलाफ मतदान करने के लिए चेतावनी दी जा रही है। इसके बाद, मंगलवार को संसद परिसर में और उसके आसपास पुलिस और सेना को तैनात किया गया। 

पुलिस ने आगाह किया है कि सोशल मीडिया पर सांसदों को धमकियां देने वालों, ऐसे संदेश प्रसारित करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि गोटबाया राजपक्षे देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण अपने और अपने परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच पहले मालदीव गए और वहां से सिंगापुर चले गए हैं । उन्होंने सिंगापुर से ही इस्तीफा पत्र भेजा है। उनके इस्तीफे के बाद देश के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया।

श्रीलंका में 1978 के बाद से पहली बार देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा गुप्त मतदान के जरिए होगा न कि जनादेश के जरिए। इससे पहले केवल 1993 में कार्यकाल के बीच में ही राष्ट्रपति का पद खाली हुआ था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदास की हत्या कर दी गयी थी। तब डी बी विजेतुंगा को संसद ने सर्वसम्मति से प्रेमदास का कार्यकाल पूरा करने का जिम्मा सौंपा था।

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