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अमेरिका के कहने पर पाकिस्तान ने जेल से छोड़ा, आज बना तालिबान की जीत का चेहरा

मुल्ला उमर के बाद तालिबान के दूसरे नेता अब्दुल गनी बरादर को तब भी जीत का हीरो माना गया। कहा जाता है कि तालिबान के लिए बरादर ने ही तब रणनीति बनाई थी।

Taliban leader Abdul Ghani Baradar is 'undisputed victor' of war in Afghanistan: Report- India TV Hindi Image Source : AP तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान में 20 साल की लड़ाई में निर्विवादित विजेता बनकर उभरा है।

लंदन: तीन साल से थोड़ा पहले अमेरिका के अनुरोध पर पाकिस्तान की एक जेल से रिहा किये गये तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान में 20 साल की लड़ाई में निर्विवादित विजेता बनकर उभरा है। ब्रिटिश मीडिया ने यह खबर दी है। वैसे तो हैबातुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का सर्वेसर्वा है लेकिन बरादर उसके राजनीतिक प्रमुख एवं सबसे अधिक जाना-पहचाना चेहरा है। बताया जाता है कि रविवार को वह कतर के दोहा से काबुल के लिए रवाना हुआ। गार्डियन अखबार ने रविवार को खबर दी कि तालिबान की काबुल फतह के बाद टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान में बरादर ने कहा कि तालिबान की असली परीक्षा तो अभी बस शुरू हुई है और उसे राष्ट्र की सेवा करनी है। 

खबर के अनुसार सत्ता में बरादर की वापसी देश के रक्तरंजित अतीत से उबरने की अफगानिस्तान की असमर्थता की परिचायक है। उसकी जवानी के दिनों की कहानी देश के निरंतर संघर्ष की कहानी है। सन् 1968 में उरूजगान प्रांत में पैदा हुए बरादर ने 1980 के दशक में अफगान मुजाहिदीन के साथ मिलकर सोवियत रूस के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। 1992 में रूसियों को देश से निकाले जाने के बाद अफगानिस्तान विभिन्न कबीलों के सरदारों के गृहयुद्ध में फंस गया। 

उसी दौरान बरादर ने अपने प्रतिष्ठित पूर्व कमांडर एवं रिश्तेदार मोहम्मद उमर के साथ मिलकर कंधार में मदरसा स्थापित किया। खबर के अनुसार दोनों मुल्लाओं ने साथ मिलकर तालिबान की स्थापना की। इस आंदोलन की ऐसे युवा इस्लामिक विद्वान अगुवाई रहे थे जिनका मकसद देश का मजहबी शुद्धिकरण एवं अमीरात की स्थापना पर था। 

धार्मिक उन्माद और योद्धाओं के प्रति व्यापक नफरत तथा बाद में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस का समर्थन पाकर तालिबान प्रांतीय राजधानियों को फतह करता 1996 में देश की सत्ता पर काबिज हो गया और दुनिया हक्का-बक्का होकर देखती रही, ठीक उसी तरह जिस तरह हाल के सप्ताह में हुआ है। मुल्ला उमर से संबद्ध बरादर को सबसे सक्रिय रणनीतिकार माना जाता है जिसने इन फतह की इबारत लिखी।

मुल्ला उमर के बाद तालिबान के दूसरे नेता अब्दुल गनी बरादर को तब भी जीत का हीरो माना गया। कहा जाता है कि तालिबान के लिए बरादर ने ही तब रणनीति बनाई थी। बरादर ने पांच साल के तालिबान शासन में सैन्य और प्रशासनिक भूमिकाएं निभाईं। 2001 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया तब बरादर देश का उप रक्षा मंत्री था। तालिबान के 20 साल के निर्वासन के दौरान, बरादर को एक शक्तिशाली सैन्य नेता और एक सूक्ष्म राजनीतिक संचालक होने की प्रतिष्ठा मिली।

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