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मैक्रों ने पीएम मोदी को दिया उपहार, जानिए क्या है वो ऐतिहासिक गिफ्ट, जिस पर होगा गर्व

पीएम मोदी को 11वीं सदी की ‘शारलेमैन चैसमेन’ की प्रतिकृति और 1913 से 1927 के बीच प्रकाशित मार्सल प्राउस्ट के उपन्यास ‘आ ला रिसर्च ड्यू टेंम्प्स पर्दू’ के अंक भी भेंट किये गये हैं।

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PM Modi and Emmanuel Macron: पीएम नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंधों में और प्रगाढ़ता आई है। भारत ने जहां फ्रांस को अपना सच्चा दोस्त बताया। वहीं फ्रांस ने आपसी विश्वास को ऐतिहासिक बताया। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने पीएम मोदी को उपहार भी दिए। इसमें एक उपहार ऐसा है, जिसमें देश के शौर्य का इतिहास भी नजर आता है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 1916 में खींची गयी एक तस्वीर की फ्रेम की हुई प्रतिकृति उपहार में दी। इस प्रति​कृति की खास बात यह है कि इसमें एक पेरिस का एक शख्स एक सिख सैन्य अधिकारी को पुष्प भेंट करता दिखाई दे रहा है।

अधिकारियों ने यहां बताया कि मोदी को 11वीं सदी की ‘शारलेमैन चैसमेन’ की प्रतिकृति और 1913 से 1927 के बीच प्रकाशित मार्सल प्राउस्ट के उपन्यास ‘आ ला रिसर्च ड्यू टेंम्प्स पर्दू’ के अंक भी भेंट किये गये हैं। इस उपन्यास को 20वीं सदी की शुरुआत की फ्रांसीसी साहित्य की सर्वोत्कृष्ट कृतियों में गिना जाता है। 

पीएम मोदी को भेंट की 14 जुलाई 1916 की सैन्य परेड की तस्वीर की प्रतिकृति 

वर्ष 1916 की तस्वीर 14 जुलाई को सैन्य परेड के दौरान चैम्प्स-एलिसी में म्यूरिसे समाचार एजेंसी के एक फोटो पत्रकार ने खींची थी। यह मूल तस्वीर नेशनल लाइब्रेरी ऑफ फ्रांस में रखी है। प्रथम विश्व युद्ध के समय की इस तस्वीर में एक स्थानीय राहगीर फ्रांस में तैनात ‘इंडियन एक्सपिडिशनरी फोर्स’ (आईईएफ) के एक सिख ‘वायसराय कमीशन्ड अधिकारी’ (वीसीओ) को पुष्प भेंट करता दिखाई दे रहा है। यह पुष्प भेंट करना यह दर्शाता है कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिक बड़ी वीरता के साथ लड़े थे। राष्ट्रपति मैक्रों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी पंजाब रेजिमेंट का जिक्र किया।

पहले विश्वयुद्ध में ब्रिटेन की ओर से लड़े थे 13 लाख भारतीय

पहले प्रथम विश्व युद्ध में करीब 13 लाख भारतीयों ने ब्रिटेन की ओर से भाग लिया था। इस युद्ध में 70,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। इनमें करीब 9,000 लोग फ्रांस और बेल्जियम से थे। ‘शारलेमैन’ चैसमेन को यह नाम फ्रेंक के राजा शारलेमैन से मिला, जिन्हें अब्बासीद खलीफा हारून अल-राशिद ने हाथीदांत से बना यह शतरंज उपहार में दिया था। 

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