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Hindi News विदेश यूरोप UN में Infosys के संस्थापक नारायण मूर्ति ने किया जिंदगी पर बड़ा खुलासा, "50 वर्ष पहले यूरोप में करना पड़ा था ये काम"

UN में Infosys के संस्थापक नारायण मूर्ति ने किया जिंदगी पर बड़ा खुलासा, "50 वर्ष पहले यूरोप में करना पड़ा था ये काम"

इंफोसिस के संस्थापक और दुनिया भर में अपार संपत्तियों के मालिक नारायण मूर्ति ने अपनी जिंदगी के बारे में एक बड़ा राज खोला है। संयुक्त राष्ट्र में एक कार्यक्रम के दौरान नारायण मूर्ति ने अपनी जिंदगी से जुड़ी वह बात बताई, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे।

यूएन में बोलते नारायण मूर्ति (इंफोसिस के संस्थापक)- India TV Hindi Image Source : PTI यूएन में बोलते नारायण मूर्ति (इंफोसिस के संस्थापक)

संयुक्त राष्ट्रः भारत समेत दुनिया भर में अपार संपदा के मालिक और इंफोसिस के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने अपनी जिंदगी से जुड़ा एक हैरान कर देने वाला खुलासा किया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में एक संबोधन के दौरान बताया कि वह 50 साल पहले जब यूरोप में यात्रा कर रहे थे तो 120 घंटे (5 दिन) तक लगातार भूखे रहना पड़ा। इस दौरान उन्होंने ‘भूख’ महसूस की। इसके बावजूद खाने को कुछ नहीं था। बता दें कि नारायण मूर्ति (77) मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जिसका विषय ‘खाद्य सुरक्षा में उपलब्धियां: सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में भारत के प्रयास’ था।

भारतीय गैर सरकारी संगठन ‘अक्षय पात्र फाउंडेशन’ द्वारा चार अरबवां भोजन परोसे जाने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में खाद्य सुरक्षा और पोषण में भारत की नवोन्मेषी रणनीतियों, नीतियों और उपलब्धियों तथा एसडीजी, विशेष रूप से ‘शून्य भूख’ के लक्ष्य के साथ उनके संयोजन को दर्शाया गया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के राजनयिकों, अधिकारियों, शिक्षाविदों, सामाजिक संगठनों और भारतवंशी समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपमें से कई ने भूख को नहीं सहा होगा। मैंने किया है।

यूरोप में यात्रा के दौरान आया था भूख से तड़पाने वाला वो पल

’’ नारायण मूर्ति ने कहा कि 50 साल पहले ‘‘मैंने यूरोप में यात्रा करते हुए 120 घंटे लगातार भूख सही थी। यह निश नामक स्थान की बात है जो बुल्गारिया और तत्कालीन यूगोस्लाविया और आज के सर्बिया के बीच सीमा पर स्थित एक शहर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां अधिकतर भारतीयों और मुझे भारत सरकार से अच्छी गुणवत्ता वाली और अत्यधिक सब्सिडी वाली शिक्षा प्राप्त हुई है। इसलिए, सभ्य लोगों के रूप में, हमें अपने राष्ट्र के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए और इन असहाय, गरीब बच्चों की भावी पीढ़ी को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए। (भाषा) 

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