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डॉ. वेलुमणि ने 500 रुपये से बनाए 5000 करोड़ रुपये, जानें कैसा रहा संघर्ष से सफलता तक का सफर

डॉ. वेलुमणि ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी और बाद में B.Sc. में ग्रेजुएट हुए और फिर बाद में PhD. भी पूरी की। लेकिन वेलुमणि की शिक्षा यहीं खत्म नहीं हुई और आगे चलकर वे BARC (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) में वैज्ञानिक बने।

Written By: Sunil Chaurasia
Published : Aug 22, 2024 11:01 IST, Updated : Aug 22, 2024 11:23 IST
मिड-डे मील की वजह से स्कूल जाते थे वेलुमणि- India TV Paisa
Photo:DR. A. VELUMANI मिड-डे मील की वजह से स्कूल जाते थे वेलुमणि

Thyrocare Technologies का आईपीओ अप्रैल 2016 में आया था। उस वक्त कंपनी ने अपने आईपीओ के तहत प्रत्येक शेयर के लिए 420 रुपये से 446 रुपये का प्राइस बैंड फिक्स किया था। आज कंपनी के शेयर का भाव 918.90 रुपये है। थायरोकेयर टेक्नोलॉजी का आईपीओ लाने वाला व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं था। जी हां, मेडिकल सेक्टर के जाने-माने शख्सियत डॉ. अरोकियास्वामी वेलुमणि, थायरोकेयर टेक्नोलॉजी का आईपीओ लेकर आए थे। डॉ. वेलुमणि ने ही इस कंपनी की स्थापनी की थी।

मिड-डे मील की वजह से स्कूल जाते थे वेलुमणि

मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले डॉ. वेलुमणि की थायरोकेयर को दुनिया की सबसे बड़ी थॉइरॉयड टेस्टिंग कंपनी माना जाता है। डॉ. वेलुमणि का बचपन काफी बुरे वक्त में गुजरा। एक पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री के. कामराज ने राज्य के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील की शुरुआत की थी। वेलुमणि ने बताया कि वे सिर्फ मिड-डे मील के लिए ही स्कूल जाते थे। उन्होंने कहा कि अगर उस समय स्कूल में मिड-डे मील नहीं मिलता तो शायद वे कभी स्कूल ही नहीं जा पाते। उन्होंने बताया कि वो इतना कठिन समय था कि उस वक्त पढ़ाई से ज्यादा खाने की जरूरत थी।

2 लाख रुपये की सेविंग्स से शुरू किया था थायरोकेयर

डॉ. वेलुमणि ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी और बाद में B.Sc. में ग्रेजुएट हुए और फिर बाद में PhD. भी पूरी की। लेकिन वेलुमणि की शिक्षा यहीं खत्म नहीं हुई और आगे चलकर वे BARC (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) में वैज्ञानिक बने। उन्होंने बताया कि उनकी नौकरी बहुत बढ़िया चल रही थी लेकिन उन्हें कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। जिसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और 2 लाख रुपये की सेविंग्स को इंवेस्ट कर Thyrocare की शुरुआत की।

500 रुपये से बनाए 5000 करोड़ रुपये

थायरोकेयर के फाउंडर ने बताया कि उनकी सफलता और थायरोकेयर की सफलता में उनकी पत्नी का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी ने 25 साल में 25,000 फ्रेशर्स को नौकरी दी। थायरोकेयर द्वारा पूरे देश में सबसे सस्ती सेवाएं देने के बावजूद उनका मुनाफा 40 फीसदी था। कंपनी का मार्केट कैप 1 बिलियन डॉलर पार होने के बाद उन्होंने जून, 2021 में थायरोकेयर छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि वे सिर्फ 500 रुपये लेकर आए थे और जब कंपनी को छोड़ा तो उनके हाथ में 5000 करोड़ रुपये का चेक था।

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