सीएम योगी बदलेंगे प्रदेश के सरकारी स्कूलों का स्वरूप, 2 हजार करोड़ खर्च करने का है प्लान
सीएम योगी प्रदेश के सरकारी स्कूलों स्वरूप बदलने के फिराक में है। इसके लिए उनकी सरकार ने 2 हजार करोड़ खर्च करने का मन बनाया है।
योगी सरकार प्रदेश के सरकारी स्कूलों का कायाकल्प करने जा रही है। इसके लिए योगी सरकार बजट भी तैयार कर चुकी है। योगी सरकार ने हालिया प्रस्तुत आम बजट 2023-24 में शिक्षा विभाग के लिए 2000 करोड़ रुपये की धनराशि देने का प्रावधान किया है। उत्तर प्रदेश सरकार 2,000 करोड़ रुपये की लागत से राज्य के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का अपग्रेड करेगी। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत बेसिक शिक्षा विभाग के हर विकास खंड (कुल 880 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय) को विकसित करने पर 1000 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। सरकार की मंशा आने वाले तीन सालों में करीब 4,000 (हर विकास खंड में 4-5) अभ्युदय समग्र विद्यालयों को डेवलप करने की है।
मिलेगा मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट स्कूल का दर्जा
प्री प्राइमरी से लेकर कक्षा 8 तक के इन विद्यालयों को अपग्रेड कर योगी सरकार हर छात्र तक बेहतर शिक्षा मुहैया कराने का प्रयास कर रही है। सरकार का सभी विद्यालय में वे सभी सुविधाएं भी मुहैया कराने का उद्देश्य है जिसकी मदद से छात्रों के स्किल बढ़ाए जा सके और वे बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने कार्य योजना तैयार कर लिया है, जिस पर अमल किया जा रहा है। इन स्कूलों को प्री-प्राइमरी से कक्षा 8 में अपग्रेड कर योगी सरकार न केवल हर छात्र को अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चाहती है, बल्कि छात्रों के स्किल के लिए स्कूलों को सभी सुविधाओं से लैस करने की मंशा है। महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरण आनंद ने बताया कि इन स्कूलों को निर्धारित मानकों के अनुरूप प्रमोट कर मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट स्कूल का दर्जा दिया जाएगा।
हर स्कूल पर करीब डेढ़ करोड़ होंगे खर्च
उन्होंने आगे कहा, करीब 1.42 करोड़ रुपये की मद से हर संयुक्त विद्यालय में अधोसंरचना सुविधाओं के अपग्रेड का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार पहले चरण में करीब 704 परिषदीय स्कूलों को मुख्यमंत्री अभ्युदय समग्र विद्यालय के रूप में प्रमोट किया जाएगा। इन स्कूलों को नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 के तहत बच्चों के समावेशी और स्किल डेवलपमेंट के लिए विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा। इन स्कूलों के प्रमोशन के बाद प्री-प्राइमरी से कक्षा 8 तक प्रति कक्षा अलग-अलग कक्षाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। हर स्कूल को लगभग 450 छात्रों की क्षमता के मुताबिक विकसित किया जाएगा।
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