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अनुपम खेर को FTII का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर बोलीं शर्मिला टैगोर

अनुपम खेर को हाल ही में सरकार ने भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) का अध्यक्ष घोषित किया गया है। इस खास उपलब्धि के लिए उन्होंने फैंस और फिल्मी हस्तियों से खूब बधाईयां मिल रही है। इस पर दिग्गज अदाकारा और सेंसर बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष शर्मिला...

Sharmila - India TV Hindi Sharmila

नई दिल्ली: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर को हाल ही में सरकार ने भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) का अध्यक्ष घोषित किया गया है। इस खास उपलब्धि के लिए उन्होंने फैंस और फिल्मी हस्तियों से खूब बधाईयां मिल रही है। अब इस पर दिग्गज अदाकारा और सेंसर बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष शर्मिला टैगोर का मानना है कि अनुपम खेर के नेतृत्व में FTII के हालात बेहतर होंगे। बता दें कि वर्ष 2014 में पूर्ववर्ती गजेंद्र चौहान की नियुक्ति पर काफी विवाद हुआ था। शर्मिला ने एक साक्षात्कार में कहा, “अब अनुपम वहां FTII हैं। वह एक अच्छे अभिनेता हैं। वह रंगमंच कलाकार भी हैं। मेरा मानना है कि उनके नेतृत्व में वहां हालात बेहतर होंगे।“

संस्थानों में नियुक्ति को लेकर राजनीतिक हस्तक्षेप के बारे में शर्मिला टैगोल ने कहा, “राजनीतिक नियुक्तियां तो होती हैं। यदि संप्रग की सरकार है तो वह अपने लोगों को लेकर आएंगे। दूसरे लोग अपने लोगों को लेकर आएंगे। उन्हें जिन पर भरोसा है, वह उन्हें लेकर आएंगे।“ पद्म भूषण से सम्मानित शर्मिला वर्ष 2004 से 2011 के बीच सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष रहीं। पिछले कुछ सालों में सेंसर बोर्ड के विवादों में रहने के बारे में उन्होंने कहा, “चेयरपर्सन सेंसर बोर्ड के लिए यह कोई लोकप्रिय होने का रास्ता नहीं है। हालांकि विवाद तो रहेंगे जिनमें कुछ वाजिब होते हैं और कुछ गैर-वाजिब। दिशानिर्देश भी हैं जिनकी व्याख्या करना मुश्किल है लेकिन इसमें बहुत कुछ चेयरपर्सन पर निर्भर करता है। यदि व्यवस्था में नीति पर से लागू की जाती है तो यह निश्चित तौर पर नीचे तक बदलाव लाती है।“

इस तरह के विवादों से फिल्म जगत से जुड़े लोगों की छवि को नुकसान पहुंचने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हां, इससे छवि को नुकसान होता है। जो प्रगतिशील लोग होते हैं वह मजाक़ उड़ाते हैं-बातें सुनाते हैं।“ सेंसर बोर्ड से फिल्मों को मिलने वाले प्रमाणन से जुड़े विवादों के बारे में शर्मिला ने कहा, “फिल्मों की श्रेणी को निर्धारित करने की नीति तो है लेकिन इसे समय के साथ बदलने की जरुरत है। आजकल सोशल मीडिया और प्रसार के अन्य मंच हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए हमें इसे परिवर्तित करने की जरुरत है।“ सेंसर बोर्ड के अपने कार्यकाल के विवादों के बारे में उन्होंने कहा कि उस समय ‘गजनी’, ‘ओमकारा’ और ‘आजा नचले’ के साथ विवाद हुए लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी ‘जोधा अकबर’ को लेकर हुई।

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