न्यूज रीडर थी बॉलीवुड की वन टेक क्वीन, शादीशुदा एक्टर से हुआ प्यार, बेटे के जन्म के 15 दिन बाद ही गंवाई जान
हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे स्टार हुए, जिनकी उम्र और करियर तो काफी छोटा रहा, लेकिन आज भी ये दर्शकों के दिलों में वही मुकाम रखते हैं। ब्लैक एंड व्हाइट फोटो में नजर आ रही ये बच्ची भी ऐसे ही नामों में से एक है।

हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे कलाकार आए, जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। मगर इनके जाने के बाद भी इनकी मौजूदगी बनी रहती है। स्मिता पाटिल भी फिल्मी दुनिया की ऐसी ही कलाकारों में से एक थीं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन फैंस के बीच इनकी मौजदूगी हमेशा रही। अपने छोटे से करियर में ही स्मिता पाटिल ने वो कमाल कर दिखाया, जो कई कलाकार अपने सालों साल के करियर में नहीं दिखा पाते। स्मिता पाटिल को इस दुनिया में और सिनेमा जगत में बहुत कम समय मिला, उन्होंने 31 साल की उम्र में ही हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन कम समय भी वह दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ने में सफल रहीं।
वन टेक क्वीन थीं स्मिता पाटिल
स्मिता पाटिल को हिंदी सिनेमा की 'वन टेक क्वीन' कहा जाता था। इसकी वजह थी कि वह जब भी कोई शॉट देती थीं, एक ही टेक में कम्प्लीट कर देती थीं। वह जब भी कैमरे के सामने आतीं, इतने आत्मविश्वास के साथ आतीं कि कैमरे को अपना साथी बना लेती थीं। उनके बोलने का अंदाज हो या हाव-भाव, कैमरे के सामने सब बेहद सहज और आत्मविश्वास से भरा होता था, जिसके चलते वह हर किरदार को अपना बना लेती थीं।
स्मिता पाटिल का करियर
स्मिता पाटिल की सबसे पहली फिल्म 'चरणदास चोर' थी। सबसे पहले निर्देशक श्याम बेनेगल की नजर स्मिता पाटिल पर पड़ी, जो उन्हें अभिनय की दुनिया में लेकर आए। स्मिता पाटिल एक नॉन फिल्मी लेकिन मजबूत बैकग्राउंड से आती थीं। उनके पिता महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हुआ करते थे और मां एक जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता थीं। वहीं दूसरी तरफ स्मिता पाटिल को बचपन से ही अभिनेत्री बनने का शौक था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दूरदर्शन में बतौर न्यूज रीडर काम किया और इसी दौरान श्याम बेनेगल की नजर उन पर पड़ी थी।
मेकअप से बचती थीं स्मिता पाटिल
स्मिता पाटिल ने जब फिल्मी दुनिया में अपने करियर की शुरुआत की, वह वो समय था जब इंडस्ट्री में ग्लैमर का बोलबाला होने लगा था। लेकिन, इसके बाद भी स्मिता कम मेकअप पर ही विश्वास करती थीं और सादे कपड़े पहनती थीं। यही वजह थी कि वह बड़े पर्दे पर भी असली लगती थीं। वह अपने ज्यादातर शॉट एक ही टेक में पूरे कर लेती थीं, यही वो वजह थी कि निर्देशक उन्हें वन टेक क्वीन कहते थे। इसका एक उदाहरण 1977 में रिलीज हुई 'भूमिका' है, जिसमें स्मिता ने अपना किरदार इतनी मजबूती से निभाया कि आज भी दर्शक उनके उस किरदार को भुला नहीं पाए हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने करियर में 'मंथन', 'अर्थ', 'मिर्च मसाला', 'चक्र' और 'आखिर क्यों' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों को इंप्रेस किया।
सिर्फ 10 साल का रहा करियर
स्मिता पाटिल का हिंदी सिनेमा में करियर सिर्फ 10 साल का रहा और इन्हीं 10 सालों में उन्होंने अपने नाम राष्ट्रीय पुरस्कार भी कर लिया। 1985 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया था। उन्होंने 1983 में शादीशुदा अभिनेता राज बब्बर से शादी की थी, लेकिन 1986 में बेटे प्रतीक बब्बर के निधन के 15 दिन बाद ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
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