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Hindi News Explainers Feroze Gandhi Birthday: फिरोज गांधी जितना गुमनाम रहे, उतनी ही आबाद रहीं इंदिरा, 'लव लाइफ' से लेकर 'सरनेम' बदलने तक की पूरी कहानी

Feroze Gandhi Birthday: फिरोज गांधी जितना गुमनाम रहे, उतनी ही आबाद रहीं इंदिरा, 'लव लाइफ' से लेकर 'सरनेम' बदलने तक की पूरी कहानी

फिरोज गांधी का जन्म मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था लेकिन सोशल मीडिया पर लंबे समय तक ये प्रोपेगंडा फैलाया जाता रहा कि फिरोज मुस्लिम थे। स्वीडन के एक मशहूर लेखक बर्टिल फॉक की किताब 'फिरोज द फॉरगॉटेन गांधी' में उनके पारसी होने का प्रमाण मिलता है।

Feroze Gandhi Indira Gandhi - India TV Hindi Image Source : FILE फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी

फिरोज गांधी जन्मदिन विशेष: भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी का आज जन्मदिन है। साल 1912 में फिरोज का जन्म मुंबई में हुआ था। वह कांग्रेस के सांसद थे और एक राजनेता होने के साथ पत्रकार भी थे। उनकी और इंदिरा गांधी की शादी के किस्से आज भी इतिहास में काफी प्रचलित हैं क्योंकि इंदिरा गांधी के पिता और भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे कि इंदिरा और फिरोज की शादी हो। लेकिन प्रेम कहानियों को पूरा होने से भला कौन रोक सकता है। ये शादी हुई और भारत के इतिहास में ये प्रेम कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई।

फिरोज के सर नेम में गांधी कैसे आया?

फिरोज गांधी का असली नाम फिरोज घांदी था और उनके पिता जहांगीर घांदी गुजरात के भरूच से थे, जोकि एक पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। फिरोज की मां का नाम रतिमाई घांदी था। फिरोज के पिता पेशे से मरीन इंजीनियर थे। पिता की मौत के बाद फिरोज अपनी मां के साथ पहले मुंबई में रहे, बाद में साल 1915 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आ गए। स्वीडन के एक मशहूर लेखक बर्टिल फॉक की किताब 'फिरोज द फॉरगॉटेन गांधी' में भी इस बात का जिक्र है कि फिरोज गांधी का जन्म बॉम्बे के एक पारसी परिवार में हुआ था और उनके पिता का नाम जहांगीर फरदूस जी घांदी था।

लेकिन सवाल ये है कि फिरोज घांदी, फिरोज गांधी कैसे बन गए? बर्टिल फॉक की किताब 'फिरोज द फॉरगॉटेन गांधी' के मुताबिक, जब फिरोज राजनीति में सक्रिय हुए तो उस वक्त के अखबारों में उनके सर नेम घांदी (GHANDHY) को गांधी (GANDHI) समझ लिया गया और वही प्रिंट होने लगा। उसके बाद से फिरोज के नाम के साथ गांधी एक ऐसे साए की तरह चिपक गया, जो कभी नहीं गया। हालांकि तमाम इतिहासकार इस बारे में अलग-अलग राय रखते हैं। कुछ का मानना है कि फिरोज ने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर अपना सर नेम गांधी कर लिया था।

फिरोज पारसी ही थे, इस बात पर मुहर ऐसे भी लगती है कि प्रयागराज के एक पारसी कब्रिस्तान में उनकी कब्र है। ये कब्र प्रयागराज के मम्फोर्डगंज इलाके में है। फिर भी सोशल मीडिया पर ये प्रोपेगंडा फैलाया जाता है कि फिरोज मुस्लिम थे।

इंदिरा गांधी के साथ कैसे शुरू हुई लव स्टोरी?

फिरोज और इंदिरा की लव स्टोरी काफी चर्चित रही है। दरअसल इंदिरा की मां कमला नेहरू एक आंदोलन करने के दौरान एक कॉलेज के सामने धरना देते समय बेहोश हो गईं थीं और फिरोज गांधी ने उनकी बहुत देखभाल की थी। इस बीच फिरोज उनके घर जाने लगे थे, जिससे कमला का हालचाल ले सकें। यहीं पर फिरोज और इंदिरा करीब आए।

वो साल 1933 का समय था, जब 21 साल के फिरोज ने 16 साल की इंदिरा को शादी के लिए प्रपोज किया। हालांकि इंदिरा ने इस प्रपोजल को साफ इनकार कर दिया। समय बीतता गया और फिरोज राजनीति में सक्रिय होते गए। इसके बाद एक समय ऐसा आया, जब इंदिरा और फिरोज फिर नजदीक आए और दोनों ने शादी करने का फैसला किया। 

हालांकि इंदिरा के पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे क्योंकि दोनों के धर्म अलग थे और उनकी राजनीति इससे प्रभावित हो सकती थी। ऐसे में महात्मा गांधी ने नेहरू को समझाया और अपना 'गांधी' सरनेम उपाधि के तौर पर फिरोज को दिया। इसके बाद फिरोज और इंदिरा की हिंदू रीति-रिवाजों के साथ शादी हो गई।

जीवन के आखिरी पड़ाव पर अकेले थे फिरोज

अपनी ही सरकार के प्रति आलोचनात्मक रवैये की वजह से फिरोज के अपने ससुर पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ संबंध बहुत मधुर नहीं रहे। इसका असर इंदिरा के साथ भी उनके रिलेशन पर पड़ा और एक समय ऐसा आया, जब फिरोज और इंदिरा गांधी अलग-अलग रहने लगे। फिरोज जब अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर थे तो काफी अकेले हो चुके थे। साल 1958 में उन्हें पहला हार्ट अटैक और साल 1960 में दूसरा हार्ट अटैक पड़ा। 47 साल की उम्र में फिरोज ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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